आज यानी 2 दिसंबर को प्रदोष व्रत किया जा रहा है। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना संध्याकाल में करने का विधान है। साथ ही विशेष चीजों का दान भी किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को करने से साधक को शिव जी की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। ऐसे में आइए जानते हैं आज का पंचांग के बारे में।
तिथि: शुक्ल द्वदशी
मास पूर्णिमांत: मार्गशीर्ष
दिन: मंगलवार
संवत्: 2082
तिथि: शुक्ल द्वादशी – प्रातः 03 बजकर 57 मिनट तक
योग: वारियाना – रात्रि 09 बजकर 08 मिनट तक
करण: बालव – प्रातः 03 बजकर 57 मिनट तक
करण: कौलव – 03 दिसंबर को प्रातः 02 बजकर 14 मिनट तक
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय: प्रातः 06 बजकर 57 मिनट पर
सूर्यास्त: सायं 05 बजकर 24 मिनट पर
चंद्रोदय: दोपहर 02 बजकर 29 मिनट पर
चंद्रास्त: 03 दिसंबर को प्रातः 04 बजकर 53 मिनट पर
सूर्य राशि: वृश्चिक
चन्द्रमा की राशि: मेष
आज के शुभ मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त: प्रातः 11 बजकर 50 मिनट से दोपहर 12 बजकर 31 मिनट तक
अमृत काल: दोपहर 02 बजकर 23 मिनट से 03 बजकर 49 मिनट तक
आज के अशुभ समय
राहुकाल: दोपहर 02 बजकर 47 मिनट से 04 बजकर 06 मिनट तक
गुलिकाल: दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से 01 बजकर 29 मिनट तक
यमगण्ड: प्रातः 09 बजकर 34 मिनट से 10 बजकर 52 मिनट तक
आज का नक्षत्र
आज चंद्रदेव अश्विनी नक्षत्र में रहेंगे।
अश्विनी नक्षत्र: रात्रि 08 बजकर 51 मिनट तक
सामान्य विशेषताएं: सुंदर व्यक्तित्व, आभूषण-प्रिय, तेज बुद्धि, निपुण, यात्राप्रिय, स्वस्थ, जोशीले, नेतृत्व क्षमता, खेल-प्रिय, अधीर, आक्रामक और क्रोधी
शासक ग्रह: केतु देव
राशि स्वामी: मंगल देव
देवता: अश्विनी कुमार
प्रतीक: घोड़े का सिर
भौम प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व
भौम प्रदोष व्रत हर माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है जब प्रदोष का समय मंगलवार को पड़ता है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है और विशेष रूप से जीवन में शांति, समृद्धि और रोगों से मुक्ति के लिए किया जाता है।
श्रद्धालु इस दिन प्रात:काल स्नान कर शिवलिंग पर दूध, जल, बेलपत्र और फल अर्पित करते हैं। व्रत के दौरान फलाहार या उपवास रखा जाता है। शाम के समय प्रदोष काल में शिव आराधना, रुद्राभिषेक और भजन-कीर्तन करने का विशेष महत्व होता है। यह व्रत संकट निवारण, सुख-समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग खोलता है।
भौम प्रदोष व्रत की विधि
प्रात:काल उठकर स्वच्छ होकर स्नान करें।
शिवलिंग घर पर स्थापित करें या मंदिर में पूजा करें।
शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धूप और दीप अर्पित करें।
व्रत के दौरान फलाहार या निर्जल उपवास रखें।
शाम के प्रदोषकाल में रुद्राभिषेक और भजन-कीर्तन करें।
“ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
दिनभर क्रोध और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
अगले दिन व्रत का पारण करें।
जरूरतमंद या ब्राह्मण को दान दें।
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