आरुषि-हेमराज हत्याकांड के आरोपों से कुछ माह पहले ही बरी हुए तलवार दंपति की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. हेमराज की पत्नी ने तलवार दंपित को जेल से रिहा करने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
हेमराज की पत्नी खुमकला बंजाडे ने याचिका में कहा है कि तलवार दंपित को रिहा करने का कोई औचित्य नहीं बनता. जब कोर्ट ने माना है कि आरुषि-हेमराज की हत्या की गई थी लेकिन उन्होंने किसी को भी इसका दोषी नहीं माना है तो ऐसे में जांच एजेंसी को चाहिए कि वह फिर से हत्यारों का पता लगाए.
2013 में तलवार दंपति को सुनाई गई थी सजा
सीबीआई की विशेष अदालत ने आरुषी-हेमराज की हत्या के मामले में तलवार दंपति को 26 नवंबर, 2013 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. जिसके बाद इस फैसले को तलवार दंपत्ति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. सीबीआई की दलीलों से कोर्ट संतुष्ट नहीं था. कोर्ट ने कहा कि उन्हें दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं है. जिसके बाद राजेश तलवार और नुपूर तलवार को कोर्ट ने इसी साल के अक्टूबर महीने में बरी कर दिया था.
कब-कब क्या हुआ?
आरुषि व हेमराज की हत्या 15 मई 2008 की रात नोएडा के सेक्टर-25 जलवायु विहार स्थित घर में हुई थी. 16 मई की सुबह आरुषि का खून से लथपथ शव उसके कमरे में बिस्तर पर पड़ा मिला था. तलवार दंपति ने इस हत्या का आरोप अपने नौकर हेमराज पर लगाया था. केस में 17 मई की सुबह तब नया मोड़ आ गया, जब हेमराज का भी खून से लथपथ शव तलवार दंपति के फ्लैट की छत से बरामद हुआ. हत्याकांड में नोएडा पुलिस ने 23 मई को डॉ. राजेश तलवार को बेटी आरुषि और नौकर हेमराज की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था. 1 जून को इस केस की जांच सीबीआई को स्थानांतरित हो गई. 9 फरवरी को सीबीआई ने तलवार दंपति के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया. सीबीआई की जांच के आधार पर गाजियाबाद सीबीआई कोर्ट ने 26 नवंबर 2013 को हत्या और सबूत मिटाने का दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी. तब से तलवार दंपति जेल में बंद थे. इसी साल के अक्टूबर में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पर्याप्त सबूत नहीं होने के कारण दोनों को बरी कर दिया था.