अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बाघों के गलियारे को और भी सुरक्षित बनाए जाएंगे...

अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बाघों के गलियारे को और भी सुरक्षित बनाए जाएंगे…

अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बाघों के गलियारे और सुरक्षित बनाए जाएंगे। इन गलियारों से बाघ लंधौर सैंक्चुरी से नेपाल के आरक्षित क्षेत्रों में आते-जाते हैं। बाघों की संख्या बढ़ाने और इन्हें सुरक्षित वासस्थल देने के लिए ग्लोबल टाइगर फोरम (जीटीएफ), इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन आफ नेचर (आईयूसीएन) और भारतीय वन्य जीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) इस क्षेत्र में प्रोजेक्ट शुरू कर रहा है। इस संबध में पिछले हफ्ते लंदन में इन संस्थानों की बैठक हुई। इसमें प्रोजेक्ट पर अंतिम मोहर लगा दी गई है।अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बाघों के गलियारे को और भी सुरक्षित बनाए जाएंगे...जिद में आकर मायावती ने किया बड़ा ऐलान, कहा- अब भाजपा का नाश किए बिना चैन से बैठूंगी नहीं…

लंधौर से नेपाल तक फैले आरक्षित वन क्षेत्र में बाघों के गलियारे बने हैं। इनके बीच में अंतरराष्ट्रीय सीमा आती है। बाघ उत्तराखंड से नेपाल तक विचरण करते रहते हैं। इसके साथ ही डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के हाल के सर्वे में एक खुलासा और हुआ है।

इसमें पता चला है कि बाघों ने अपने पुश्तैनी गलियारों को छोड़कर नए रास्ते बना लिए हैं। इस क्षेत्र में लगाए गए कैमरा ट्रैप में बाघों को पुराने गलियारों में नहीं देखा गया, वे नए इलाकों में पाए गए। नए क्षेत्रों में इनके शिकार का खतरा बढ़ जाता है।

यह क्षेत्र वन्य जीव तस्करी के प्रति संवेदनशील माना जाता है। चीन से जुड़े वन्य जीव तस्करों के गिरोह इस इलाके में सक्रिय हैं। बाघों को सुरक्षित गलियारे और वास स्थल देने के लिए जीटीएफ , आईयूसीएन और डब्ल्यूआईआई यहां प्रोजेक्ट शुरू करेगा। प्रोजेक्ट के लिए जर्मनी फंड देगा।

उत्तराखंड के वन्य जीव प्रतिपालक डीबीएस खाती ने बताया कि गत दिनों लंदन में बैठक हुई है। इस प्रोजेक्ट के सभी पहलुओं पर चर्चा कर ली गई है। प्रोजेक्ट शुरू होने पर लंधौर क्षेत्र में बाघों की संख्या और बढ़ेगी।

English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com