अग्निशमन विभाग के आवास निर्माण में हुआ बड़ा घोटाला...

अग्निशमन विभाग के आवास निर्माण में हुआ बड़ा घोटाला…

अग्निशमन विभाग के आवास निर्माण में बड़ा घोटाला सामने आया है। एएसपी चारु निगम की जांच से पता चला है कि 51 की जगह 18 आवास बनाकर चार करोड़ रुपये से ज्यादा का बजट निकाल लिया गया। जो आवास बने हैं, वह भी अधूरे और घटिया हैं। अब पुलिस ने कार्यदायी संस्था के प्रोजेक्ट मैनेजर, इंजीनियर और ठेकेदार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का फैसला किया है। इसी सिलसिले में एएसपी ने मंगलवार को स्थलीय निरीक्षण करके घोटाले से संबंधित फाइल तैयार की। उन्होंने अधूरे आवासों के निर्माण के लिए ठेकेदार को 15 दिन का समय दिया है।अग्निशमन विभाग के आवास निर्माण में हुआ बड़ा घोटाला...अभी अभी: बर्निंग ट्रेन बनने से बची मालगाड़ी, इंजन में लगी भयंकर आग…

अग्निशमन विभाग के कार्यालय, सरकारी आवास, गैरेज, मेस, बैरक के निर्माण के लिए 2013 में निविदा निकाली गई थी। उत्तर प्रदेश प्रोजेक्ट कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) ने टेंडर लिया और ठेकेदार तैनात करके आनन-फानन में काम शुरू कर दिया। 2014 तक 18 मकान ही बनाए जा सके लेकिन ठेकेदार और कार्यदायी संस्था ने मिली भगत करके पूरा बजट निकाल लिया। इसका मतलब है कि 33 आवास बनाए ही नहीं गए। एएसपी की जांच रिपोर्ट के मुताबिक टाइप वन (एक कमरे का मकान) के 37 मकान बनाए जाने थे लेकिन ठेकेदार ने 16 मकान बनाकर पल्ला झाड़ लिया।

टाइप टू (दो कमरे का मकान) के 12 मकान बनाए जाने थे लेकिन एक का निर्माण हुआ। यानी 12 आवासों का बजट हजम कर लिया गया। टाइप थ्री (तीन कमरे का मकान) में 2 मकान बनवाने का लक्ष्य दिया गया था कार्यदायी संस्था और ठेकेदार ने एक मकान बनाकर ही दोनों का पैसा निकाल लिया। यही नहीं अग्निशमन विभाग का दफ्तर का अधूरा निर्माण कराया गया है। जो आवास बने हैं, उसमें रहना मुश्किल होगा। वेंटीलेशन बेहद खराब हैं। ऐसा लगता है कि कमरे में दम घुट जाएगा। अफसरों के आवास के टॉयलेट तक नहीं बनाए गए हैं। गैरेज, मेस, बैरक का निर्माण तक नहीं शुरू कराया गया है। जांच रिपोर्ट के मुताबिक धांधली करके वर्ष 2014 में ही चार करोड़ 10 लाखा रुपये का बजट निकाल लिया गया।

भुगतान से पहले देनी होती है रिपोर्ट
इस पूरे प्रकरण की जांच में कई लोग फंस सकते हैं, क्योंकि भुगतान से पहले रिपोर्ट जिला स्तर से जाती है। यदि रिपोर्ट अधूरे निर्माण का भेजी गई होती तो पूरा भुगतान हो पाना संभव नहीं होता।

महिला बैरक का निर्माण भी अधूरा
महिला बैरक का निर्माण भी अधूरा ही है। न तो खिड़की पर जाली लगाए गए हैं और न ही टॉयलेट का काम पूरा हो सका है। इन सभी अधूरे कामों को पूरा कराने के लिए एएसपी ने 15 दिन की मोहलत दी है। इस दौरान कामों को पूरा नहीं कराया गया तो एक अलग मुकदमा भी दर्ज हो सकता है।

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