अदाणी का एक और बड़ा निवेश

धनबाद में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (इंडियन स्कूल ऑफ माइंस) के 100 वें स्थापना दिवस समारोह में अदाणी ने बड़ी घोषणा की है। उन्होंने कहा कि उनका समूह गले पांच साल में ऊर्जा परिवर्तन के क्षेत्र में 75 अरब डॉलर (6.75 लाख करोड़ रुपये) से अधिक का निवेश करेगा।

उन्होंने आगे बताया कि समूह गुजरात के खावड़ा में 520 वर्ग किलोमीटर में फैला दुनिया का सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा पार्क बना रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘2030 तक अपनी पूरी क्षमता पर, यह पार्क 30 गीगावाट हरित ऊर्जा उत्पन्न करेगा।

इसके साथ ही औसत घरेलू खपत के हिसाब से यह ऊर्जा प्रति वर्ष छह करोड़ से अधिक मकानों को बिजली मुहैया कराने के बराबर है।’’ अदाणी ने कहा, ‘‘10 गीगावाट की स्थापना पहले ही हो चुकी है। हम दुनिया में सबसे कम लागत वाली हरित ‘इलेक्ट्रॉन’ उपलब्ध कराने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं जो ऊर्जा परिवर्तन में एक वैश्विक मानक स्थापित करेगा।’’

उन्होंने आगे बताया कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बिजली उपभोक्ता है, लेकिन इसकी प्रति व्यक्ति खपत ‘‘प्रति वर्ष 1,400 किलोवाट घंटे से भी कम है जो वैश्विक औसत के आधे से भी कम तथा अमेरिका के 10वें हिस्से और यूरोप के पांचवें हिस्से के बराबर है।’’

वैश्विक स्थिरता बहस का उल्लेख करते हुए अदाणी ने कहा, ‘‘यह विमर्श 2025 सीओपी-30 में सामने आई, जहां एक रिपोर्ट में भारत की स्थिरता ‘रैंकिंग’ को यह तर्क देते हुए घटा दिया गया कि हमारे देश में कोयला निकालने की समयसीमा का अभाव है और कोयला ब्लॉक की नीलामी जारी है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हां, कुल कार्बन उत्सर्जन के मामले में हम तीसरे स्थान पर हैं लेकिन प्रति व्यक्ति हमारे लोग दो टन से कम उत्सर्जन करते हैं जबकि अमेरिका में यह 14 टन, चीन में नौ टन और यूरोप में छह टन है।’’ अदाणी ने कहा, ‘‘200 वर्ष की औद्योगिक गतिविधि में संचयी वैश्विक उत्सर्जन की बात करें तो हमारा देश केवल चार प्रतिशत उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है। वहीं यूरोप 13 प्रतिशत, अमेरिका 19 प्रतिशत और चीन 20 प्रतिशत उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है।’

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