अभी-अभी आई छोटे कारोबारियों के लिए बुरी खबर, नहीं चुकाया बैंकों का लोन तो....

अभी-अभी आई छोटे कारोबारियों के लिए बुरी खबर, नहीं चुकाया बैंकों का लोन तो….

केंद्र सरकार जल्द ही छोटे कारोबारियों को भी दिवालिया घोषित करने के लिए नए नियम बनाने जा रही है। इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ने इसके लिए ड्रॉफ्ट  तैयार कर लिया है और जनता से 31 अक्टूबर तक जवाब मांगे हैं। नए नियमों के लागू हो जाने के बाद पार्टनरशिप फर्म भी इसके दायरे में आ जाएंगी। अभी-अभी आई छोटे कारोबारियों के लिए बुरी खबर, नहीं चुकाया बैंकों का लोन तो....

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मिंट के मुताबिक, अभी दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया केवल कॉर्पोरेट डिफॉल्टर ही लागू होती है। नए नियमों के लागू होने के बाद वो लोग भी इसके दायरे में आएंगे जो छोटे कारोबारियों द्वारा बैंक से लोन लेने के लिए गारंटर बनते हैं। 

छोटे कारोबारियों का भी है एनपीए में हिस्सा

बैंकों के एनपीए बढ़ाने में बड़ी कंपनियों के बाद छोटे कारोबारियों का नंबर आता है, जिनसे लोन की रिकवरी में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कंपनियों के मामले में लोन की रिकवरी और दिवालिया घोषित कराने में बैंकों को आसानी होती है, क्योंकि वो नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के पास चली जाती हैं।  

अब छोटे कारोबारियों को दिवालिया घोषित करने के दायरे में लाने से ऐसे लोगों पर लगाम लगेगी जो बैंकों से कारोबार शुरू करने के लिए लोन तो ले लेते हैं, लेकिन समय पर उसे वापस नहीं करते हैं। बहुत सारे केस में अपना कारोबार भी बंद कर देते हैं, जिसके बाद बैंकों को उन्हें ढूंढने में परेशानी होती है। 

होम बायर्स को दी थी राहत

इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी बोर्ड द्वारा बनाए गए नए नियमों के अनुसार, अब किसी भी रियल इस्टेट कंपनी को तभी दिवालिया घोषित किया जा सकेगा, जब वो इस बात का प्लान दे देगी कि उसने सभी स्टेकहोल्डर का ध्यान रखा है।

बोर्ड द्वारा नियमों में बदलाव करने से सबसे ज्यादा फायदा उन होम बायर्स को होगा, जिन्होंने जेपी इंफ्राटेक व आम्रपाली जैसी डिफॉल्टर कंपनियों से फ्लैट खरीदा हुआ है। पिछले हफ्ते बोर्ड द्वारा इन नियमों को नोटिफाई किया गया था।  

इससे अब बैंक केवल अपने हित नहीं साध सकेंगे। अभी बैंक केवल अपने हितों को देखते हुए ही कंपनी लॉ बोर्ड में किसी भी लोन डिफॉल्टर कंपनी के खिलाफ दिवालिया घोषित करने के लिए आवेदन कर सकते हैं। बैंक अक्सर उस कमेटी का हिस्सा होते हैं, जो कंपनी के दिवालिया घोषित करने के लिए बनाई जाती है। 

बायर्स के हितों का भी रखना होगा ध्यान
अब बैंकों को ऐसी रियल इस्टेट कंपनियों में फंसे बायर्स के हितों का ध्यान रखना होगा। फिलहाल पिछले साल बनाए गए नियमों के अनुसार किसी भी लोन डिफॉल्टर कंपनी को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया को 6 महीने में पूरा करना होगा। इसमें केवल तीन महीनों की बढ़ोतरी और हो सकती है। इसके लिए एक इनसॉल्वेंसी रिजॉलूशन प्रोफेशनल (आईआरपी) को नियुक्त किया जाता है जो कंपनी के ऑपरेशन का चार्ज लेता है और प्लान ऑफ एक्शन भी तैयार करता है। 

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