अभी अभी: कोयले के मामले में पावर कंपनियों को सरकार ने दी ‘शक्ति’

मोदी सरकार की कैबिनेट ने पावर कंपनियों को कोल लिंकेज के लिए पॉलिसी को गुरुवार को मंज़ूरी दी, जिसको ‘शक्ति’ नाम दिया गया है. शक्ति पॉलिसी के तहत बिजली कंपनियों को कोयला देने के नियमों में सरकार कई बदलाव करने को तैयार है.

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कोल लिंकेज भी अब पावर कंपनियों को नीलामी के जरिये कोयला मिलेगा. जिन पावर कंपनियों के पास कोल लिंकेज नहीं है, उनको नए नियम से फायदा मिलेगा. जिनके पास पीपीए ( पावर पर्चेज एग्रीमेंट) है, उन्हें कोल लिंकेज में प्राथमिकता दी जाएगी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने लेटर ऑफ अश्योरेंस होल्डर्स (LOA) के साथ ईंधन आपूर्ति करार (FSA) पर दस्तखत को मंजूरी दे दी है. जिन कंपनियों के पास पीपीए होने के बाद भी कोल लिंकेज नहीं है, उन्हें भी शक्ति पॉलिसी के तहत अब राहत मिलेगी.

ऐसे करीब 12 हजार मेगावॉट के प्लांट हैं, जिनके पास पीपीए तो हैं लेकिन कोयला नहीं है. इस पॉलिसी के बाद अब बिजली कंपनियां कोल लिंकेज हासिल करने के लिए कोल इंडिया नोटिफाइड प्राइस पर बिड लगा सकेंगी. लेकिन ये लिंकेज सेंट्रल जनरेटिंग कंपनियां, स्टेट और जॉइंट वेंचर्स को पावर मिनिस्ट्री की सिफारिशों के आधार पर ही पावर कंपनियों को मिलेगा.

इस तरह भविष्य में कोल लिंकेज का आवंटन पारदर्शी और बिडिंग आधारित होगा. पॉलिसी में पावर सेक्टर के प्रोजेक्ट को कोयले की उपलब्धता पर जोर देने से इफ्रास्ट्रक्चर और बैंकिंग सेक्टर को भी तेजी मिलेगी. लिंकेज के लिए पीपीए होल्डर टैरिफ कम करेंगे जिसका अंतत: नतीजा यह होगा कि उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दर किफायती होगी.

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