अभी अभी: फिर सामने आई कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई, पार्टी ढूंढ रही 'काली भेड़'

अभी अभी: फिर सामने आई कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई, पार्टी ढूंढ रही ‘काली भेड़’

नगर निगम शिमला के चुनाव में हार मिलने के बाद अब मेयर और डिप्टी मेयर चुनने के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी की ओर से क्रॉस वोटिंग करने से सरकार और संगठन में खाई अधिक हो गई है।अभी अभी: फिर सामने आई कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई, पार्टी ढूंढ रही 'काली भेड़'

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निर्वाचित पार्षदों को एकजुट नहीं रख पाने से कांग्रेस की अंतर्कलह एक बार सामने आई है। टिकट चयन में वीरभद्र और सुक्खू गुट की अंदरूनी लड़ाई पहले ही जगजाहिर थी। निगम चुनाव के दौरान सरकार और संगठन के बीच सामंजस्य की कमी दिखी।

पहले चरण में चुनाव करवाने या ना करवाने और पार्टी चिन्ह पर चुनाव करवाने को लेकर सरकार अपना रुख स्पष्ट नहीं कर सकी। मतदाता सूचियों में हुई गड़बड़ियों को लेकर भी सरकार गंभीर नहीं दिखी।

दूसरे चरण में संगठन समर्थित प्रत्याशी घोषित करने पर पसोपेश में रहा। संगठन ने बयान देकर प्रत्याशी घोषित नहीं करने का फैसला लिया। जब उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र भर दिए तो संगठन ने अपने समर्थित प्रत्याशियों की सूची जारी कर नामांकन करने वाले पार्टी से जुड़े अन्य उम्मीदवारों को नाम वापस लेने के आदेश जारी कर दिए।

कुछ वार्डों में संगठन टिकटें फाइनल भी नहीं कर सका। कहीं न कहीं इसका खामियाजा कांग्रेस को हार से चुकाना पड़ा। इधर, टिकट नहीं मिलने से नाराज आजाद प्रत्याशी संजय परमार ने पाला बदल लिया। मंगलवार को मेयर-डिप्टी मेयर के चयन में दोबारा से अंतर्कलह के चलते क्रॉस वोटिंग हुई। 

एक ही सवाल, कौन है काली भेड़
कांग्रेस में काली भेड़ कौन है? यह सवाल कांग्रेस को परेशान कर रहा है। हर कोई अपने-अपने तरीके से काली भेड़ को तलाशता रहा। कोई सरकार में हुई अनदेखी से जोड़ रहा है तो कोई संगठन में तवज्जो नहीं मिलने का तर्क देकर काली भेड़ को चिन्हित कर रहा है।
कांग्रेस नेताओं के साथ-साथ भाजपा के लोगों की आंखें भी मौन समर्थन देने वाले पार्षद को तलाश रही हैं। उधर, सरकार की ओर से साइड लाइन किए गए कई अफसर भी इस मामले को लेकर खूब मौज ले रहे हैं।

धोखा देने से बेहतर होता संजय की तरह छोड़ जाते
क्रॉस वोटिंग होना कई कांग्रेस नेताओं के गले से नीचे नहीं उतर रहा है। नेताओं का कहना है साथ चलकर धोखा देने से बेहतर होता संजय परमार की तरह काली भेड़ भी छोड़ कर चली जाती। ताकि कांग्रेस को पता चल जाता कि कौन अपना है और कौन बेगाना। 

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