अभी-अभी: सीएम वीरभद्र ने किया खुलासा, इन दो सीटों से लड़ सकते हैं विस चुनाव

चुनाव की कमान मिलने के बाद मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ‘मिशन रिपीट’ में जुट गए हैं। कांग्रेस प्रदेश संगठन से अब उनके कोई मतभेद नहीं हैं। बेटे विक्रमादित्य के लिए शिमला ग्रामीण सीट छोड़कर वह ठियोग या फिर अर्की का रुख कर सकते हैं।
अभी-अभी: सीएम वीरभद्र ने किया खुलासा, इन दो सीटों से लड़ सकते हैं विस चुनाववीरभद्र सिंह पैराशूट से उतरने वाले नेता पुत्र-पुत्रियों को ‘परिवारवाद’ मानते हैं। अपने दम पर राजनीति में आगे बढ़ने वालों को उन्होंने इस दायरे से बाहर रखा है। प्रत्याशी चयन में करीबियों को टिकट से नवाजने का फॉर्मूला पार्टी में नहीं चलेगा।

मुख्यमंत्री का कहना है कि केवल ‘जिताऊ’ प्रत्याशी ही टिकट पाएगा। राहुल गांधी के प्रदेश की कमान सौंपने के बाद वीरभद्र सिंह ने अमर उजाला के विशेष संवाददाता अरुणेश पठानिया से खुद की सीट और बेटे विक्रमादित्य की दावेदारी से लेकर आगामी चुनावों में चुनौतियों पर बातचीत की।

दोनों विकल्पों पर कर रहा हूं विचार

प्रश्न- आप को चुनाव की कमान मिल गई है, लेकिन आप खुद चुनाव कहां से लड़ रहे हैं?
मुख्यमंत्री- मेरे पास चुनाव लड़ने के लिए दो विधानसभा क्षेत्रों अर्की और ठियोग से प्रस्ताव हैं। दोनों विकल्पों पर विचार कर रहा हूं, लेकिन अंतिम फैसला पार्टी हाईकमान को लेना है। रही बात चुनावी कमान की, तो पार्टी एकजुट होकर लड़ेगी, जिसमें सभी नेता और कार्यकर्ताओं की भागीदारी तय होती है।

प्रश्न- अर्की या ठियोग में से कौन सी सीट आपकी पहली पसंद है?
मुख्यमंत्री- ठियोग से वरिष्ठ मंत्री विद्या स्टोक्स कांग्रेस विधायक हैं। उन्होंने मुझसे कहा है कि वह सक्रिय राजनीति छोड़ना चाहती हैं। वे चाहती हैं कि उनकी जगह मैं ठियोग से चुनाव लडू़ं।

दूसरी तरफ, अर्की विधानसभा क्षेत्र के लोग पिछले एक साल से मुझे वहां से चुनाव लड़ने को आमंत्रित कर रहे हैं। वहां की जनता लगातार मुझ पर चुनाव लड़ने का दबाव बना रही है। दोनों विधानसभा क्षेत्रों के बारे में हाईकमान को अवगत करवाया जाएगा। हाईकमान तय करे कि मुझे ठियोग, अर्की या कहीं और से चुनाव लड़ना है।

प्रश्न- क्या आप दोनों सीटों से चुनाव लड़ सकते हैं?
मुख्यमंत्री- मैं किसी एक सीट से ही चुनाव लड़ूंगा। दो सीट से लड़ने का कोई औचित्य नहीं है। पार्टी के पास और भी बहुत से जिताऊ उम्मीदवार हैं।

मेरे कोई व्यक्तिगत मतभेद नहीं

प्रश्न- चुनाव की कमान मिलने से क्या सरकार और प्रदेश कांग्रेस कमेटी में मतभेद खत्म हो गए?
मुख्यमंत्री- प्रदेश कांग्रेस कमेटी से मेरे कोई व्यक्तिगत मतभेद नहीं रहे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर मेरे कुछ मौलिक सवाल थे कि अध्यक्ष का पद चुनाव के माध्यम से तय होना चाहिए।

मेरे सुखविंद्र सुक्खू से भी कोई निजी मतभेद नहीं हैं। पार्टी में अहम पदों पर चुनाव के माध्यम से तैनातियां होनी चाहिए। हाईकमान के निर्देशों के तहत ही अब चुनाव लड़ने की तैयारी की जा रही है। संगठन और सरकार नहीं, बल्कि कांग्रेस पार्टी चुनाव में उतर रही है। 

प्रश्न- क्या यहां भी टिकटों में परिवारवाद चलेगा?
मुख्यमंत्री- परिवारवाद के आधार पर नहीं, बल्कि जिताऊ प्रत्याशी को टिकट मिलेगा। परिवारवाद यह है कि किसी नेता के बेटा-बेटी को बिना जनाधार के प्रत्याशी बनाया जाए।

राजनीति में सक्रियता और जनाधार ही टिकट का आधार रहेगा। विधानसभा में उम्मीदवार ही पार्टी का असल चेहरा होता है। पिछले चुनावों में उतरे प्रत्याशियों का प्रदर्शन देखा जाएगा और युवा चेहरों को भी प्राथमिकता मिलेगी। 

भाजपा के मुकाबले ग्राउंड पर हमारी स्थिति कहीं बेहतर

प्रश्न- बेटे विक्रमादित्य के शिमला ग्रामीण से टिकट आवेदन पर क्या कहेंगे?
मुख्यमंत्री- युवा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष विक्रमादित्य ने शिमला ग्रामीण विधानसभा से टिकट के लिए आवेदन किया है। उनके आवेदन पर हाईकमान को निर्णय लेना है।

प्रश्न- टिकट आवंटन में खेमेबाजी की अटकलें कितनी सच्ची हैं?
मुख्यमंत्री- हमारी पार्टी में टिकट आवंटन की लोकतांत्रिक प्रक्रिया है। मैं या कोई और अपने स्तर से टिकट जारी नहीं करता। जल्द ही चयन समिति का गठन होगा। इसमें मेरे साथ सीडब्ल्यूसी सदस्य, राष्ट्रीय महासचिव, प्रदेश प्रभारी, प्रदेश अध्यक्ष सहित कई और अहम नेता होंगे।

हमारे यहां हर सीट से कई दावेदार हैं, लेकिन सर्वसम्मति से जिताऊ दावेदार का नाम हाईकमान को भेजा जाएगा। ऐसे में खेमेबाजी की संभावना नहीं है और अंतिम निर्णय तो हाईकमान को लेना है।

प्रश्न- भाजपा के 50 प्लस के जवाब में पार्टी कितना लक्ष्य लेकर उतरेगी?
मुख्यमंत्री- भाजपा के मुकाबले ग्राउंड पर हमारी स्थिति कहीं बेहतर है। हिमाचल ग्रामीण परिवेश वाला राज्य है, जहां कांग्रेस का कोई विकल्प नहीं। सरकार हमारी ही बन रही है, यही हमारा लक्ष्य है।

 
 
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