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ऐसी सोसाइटी को जीएसटी के तहत रजिस्ट्रेशन कराना तो अनिवार्य नहीं होगा लेकिन उन्हें अपना हिसाब-किताब पूरी तरह से जीएसटी के प्रावधानों के अनुसार रखना होगा।
जीएसटी के तहत ऐसी सोसाइटी और आरडब्लूए से 18 फीसदी टैक्स वसूला जाएगा, जिनके सालाना फंड में 20 लाख रुपये से अधिक आते हैं और प्रत्येक रजिस्टर्ड सदस्य से 5 हजार या इससे अधिक मासिक मेंटीनेंस चार्ज वसूलते हैं। इस मेंटीनेंस में प्रॉपर्टी टैक्स, स्टांप ड्यूटी और पानी व बिजली का बिल शामिल नहीं है।
करने होंगे 37 अलग-अलग तरह के रिटर्न फाइल
टैक्स एक्सपर्ट सीए अतुल गर्ग ने amarujala.com को बताया कि जिन सोसाइटी और RWA ने अपना रजिस्ट्रेशन जीएसटी में नहीं कराया है, उनको अब ऐसा कराना जरुरी हो जाएगा। इसके अलावा जीएसटी में 37 अलग-अलग तरह के वार्षिक रिटर्न फाइल करने होंगे, जो कि पहले एक ही करना होता था।
सोसाइटी और RWA के पदाधिकारियों के मुताबिक इससे फंड के इस्तेमाल करने पर असर पड़ेगा, क्योंकि इस फंड का इस्तेमाल सोसाइटी में इमरजेंसी के दौरान होता है। एक सोसाइटी के पदाधिकारी राजीव शर्मा के अनुसार, कोई भी सोसाइटी इस फंड का इस्तेमाल तब तक नहीं करती है, जब तक कोई बड़ा खर्चा न आ जाएं। अब टैक्स ज्यादा लगने से उनको फंड का स्टेटस सही रखने में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।