अमेरिका ने माना, भारत में अल्पसंख्यकों को मिली है धार्मिक आजादी

भारत विश्व का सबसे बड़ा ही नहीं बल्कि जीवंत लोकतंत्र भी है। वहां के संविधान ने अल्पसंख्यकों के लिए धार्मिक आजादी समेत सभी अधिकार स्थापित किए हैं। विदेश मंत्रालय में दक्षिण और मध्य एशिया मामलों की प्रधान उपसहायक सचिव एलिस वेल्स ने भारत समेत अन्य देशों के मानवाधिकार पर बातचीत के दौरान ये बातें कहीं।

कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस के एलन क्रांस्टाड ने एलिस से सवाल पूछने के दौरान भारत में धार्मिक आजादी पर चिंता जताई थी। एलन ने पूछा, ‘मैं खासतौर पर मानव अधिकारों के बारे में जानना चाहता हूं। आपके विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट में भी मानवाधिकार के व्यापक उल्लंघन की चर्चा की गई है। इनमें से कुछ मामलों के लिए भारत सरकार को दोषी ठहराया गया है। भाजपा शासन में धार्मिक आजादी से जुड़े मसलों का भी रिपोर्ट में जिक्र है।’ इसके जवाब में एलिस ने कहा कि भारतीय संविधान ने वहां के अल्पसंख्यकों के अधिकारों को सुरक्षित किया है।

सितंबर की शुरुआत में भारत-अमेरिका के बीच हुए 2+2 डॉयलाग में अमेरिका ने मानवाधिकार का मुद्दा उठाया या नहीं इससे संबंधित भी कई सवाल ट्रंप प्रशासन की अधिकारी से पूछे गए थे। उनके जवाब में एलिस ने कहा, ‘हम लोकतंत्र का आदर करते हैं। हम मानते हैं लोकतंत्र खुद में सुधार करता है, क्योंकि वहां कई संस्थाएं इसके पीछे काम करती हैं। दो देशों के बीच वार्ता हो इसके लिए जरूरी है कि वह एक-दूसरे का आदर करें। चूंकि, हम एक-दूसरे के लिए खड़े रहते हैं तो आलोचनाओं से बच नहीं सकते हैं।’

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