आंबेडकर के सहारे सपा-बसपा गठबंधन की काट में जुटी भाजपा

आंबेडकर के सहारे सपा-बसपा गठबंधन की काट में जुटी भाजपा

प्रदेश सरकार के डॉ. भीमराव अंबेडकर का नाम डॉ. भीमराव राम जी आंबेडकर करने पर उठे विवाद के बीच भाजपा ने अब इसी बहाने गठबंधन की गणित से निपटने की तैयारी शुरू कर दी है।आंबेडकर के सहारे सपा-बसपा गठबंधन की काट में जुटी भाजपा

पार्टी ने डॉ. आंबेडकर की जयंती 14 अप्रैल को सभी बूथों पर सामाजिक समरसता दिवस मनाने के साथ बाबा साहब के मान, सम्मान और उनके नाम पर किए गए कार्यों को दलित समाज के लोगों को बताने का फैसला किया है।

सरकार की तरफ से भी 14 अप्रैल से 5 मई तक दलितों और गरीबों के कल्याण के लिए शुरू की गई योजनाओं के सहारे इस वर्ग को अपने पक्ष में लामबंद करने की तैयारी की गई है।

भाजपा ने कार्यक्रमों में दलितों के कल्याण और डॉ. आंबेडकर सहित इस वर्ग के अन्य महापुरुषों के सम्मान के लिए केंद्र की मोदी और भाजपा की राज्य सरकारों के बताने की तैयारी की है।

यह भी बताएंगे कि डॉ. आंबडेकर का नाम शुद्ध कर उसके साथ रामजी इसलिए जोड़ा गया क्योंकि उनके पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल था। परंपरा के अनुसार, बाबा साहब अपने नाम के साथ पिता का नाम रामजी लिखते थे। 

भाजपा सरकार ने वही किया, जिस पर राजनीति की जा रही है। दलितों की सुरक्षा के लिए बने एस.सी. व एस.टी. एक्ट पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर केंद्र सरकार के पुनर्विचार याचिका दायर करने और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों के आरक्षण में किसी तरह का बदलाव न करने का भी आश्वासन देगी।

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो भाजपा की इस तैयारी की असली वजह प्रदेश में लोकसभा के दो उपचुनाव में बसपा का सपा के उम्मीदवारों का समर्थन,  भाजपा की पराजय और राज्यसभा के चुनाव में सपा और बसपा की एकजुटता के साथ कॉंग्रेस का भी विरोध में खड़े होना भी है।

भाजपा को वोट का गणित गड़बड़ाने की आशंका सता रही है। इसीलिए भाजपा के रणनीतिकारों ने डॉ. आंबेडकर के सहारे सपा और बसपा के संभावित गठबंधन की गणित की काट की तैयारी की है।

लोगों को आपत्ति क्यों

भाजपा के प्रदेश महामंत्री विजय बहादुर पाठक कहते हैं कि बाबा साहब को लेकर भाजपा कोई राजनीति नहीं कर रही है। प्रदेश सरकार ने एक दलित महापुरुष के अब तक लिखे अशुद्ध नाम को शुद्ध करके लिखने का फैसला किया है। लोगों को इस पर भी एतराज है कि नाम शुद्ध और सही क्यों लिखाया जा रहा है तो राजनीति वह कर रहे हैं, भाजपा नहीं। 

कारण यह तो नहीं

भाजपा को 2014 और 2017 में मिली भारी जीत में दलितों की भाजपा के पक्ष में लामबंदी भी एक बड़ा कारण रही थी। जिसका प्रमाण लोकसभा की उत्तर प्रदेश में सुरक्षित सभी 17 सीटों पर और विधानसभा चुनाव में सुरक्षित 86 सीटों में 76 पर मिली जीत है। केंद्र में सरकार बनने के बाद से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दलितों की लामबंदी को लेकर सचेत रहे हैं।

स्टैंडअप योजना से दलित वर्ग के उद्यमियों की बैंक से मदद, डॉ. अंबेडकर से जुड़े स्थानों का विकास, डाक टिकट, सिक्का जारी करना इसका प्रमाण है। डॉ. अंबेडकर के जन्मस्थान मध्यप्रदेश के मुहू में लगभग 110 करोड़ रुपये से संविधान की पुस्तक के आकार का एक स्मारक का निर्माण जिसका इसी 14 अप्रैल को लोकार्पण है। साफ दिखता है कि गोरखपुर व फूलपुर नतीजों ने भाजपा के रणनीतिकारों को सचेतकर दलितों की लामबंदी पर सक्रियता को सचेत किया है। 

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