आखिर क्यों विराट कोहली नहीं खेलना चाहते डे-नाइट टेस्ट...

आखिर क्यों विराट कोहली नहीं खेलना चाहते डे-नाइट टेस्ट…

टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली और उनके साथियों का अक्टूबर में वेस्टइंडीज के खिलाफ डे-नाइट टेस्ट खेलना मुश्किल नजर आ रहा है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के सूत्रों के मुताबिक कोहली ने इस मसले पर कोच रवि शास्त्री से बातचीत की है और 7 अप्रैल को मुंबई में होने वाली आईपीएल ओपनिंग सेरेमनी से पहले वह विनोद राय की अध्यक्षता वाली प्रशासकों की समिति (सीओए) से भी इस मामले पर विचार-विमर्श कर सकते हैं।आखिर क्यों विराट कोहली नहीं खेलना चाहते डे-नाइट टेस्ट...

बीसीसीआई के कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी समेत कई अधिकारियों ने डे-नाइट टेस्ट आयोजित कराने का मन बनाया है ताकि फैंस का इंटरेस्ट टेस्ट क्रिकेट में बढ़ा सकें। ऐसा लगता है कि टीम प्रबंधन की अपनी प्राथमिकताएं हैं, लेकिन खिलाड़ियों ने कूकाबूरा पिंक (गुलाबी) बॉल का परीक्षण नहीं किया है। राय ने भी पहले यह चिंता जताई थी कि डे-नाइट टेस्ट आयोजित कराने से पहले क्रिकेटर्स से सलाह ले लेना सही होगा।

सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि शास्त्री ने डे-नाइट टेस्ट खेलने पर अपनी सहमति लिखित तौर पर चौधरी को दी है, लेकिन यह समझना जरूरी है कि कोहली को भरोसा नहीं है कि लाइट्स के नीचे उन्हें कितने सेशन खेलने के लिए मिलेंगे। आमतौर पर डे-नाइट टेस्ट में एक से अधिक सेशन का खेल लाइट्स के नीचे होता है, लेकिन शास्त्री ने सलाह दी है कि लाइट्स के नीचे एक सत्र का खेल हो।

ऑस्ट्रेलियाई टीम के डर से नहीं खेलना चाहते कोहली!

यह भी चिंता जताई रही है कि अगर टीम इंडिया अक्टूबर में वेस्टइंडीज के खिलाफ डे-नाइट टेस्ट खेलने के लिए राजी हो जाती है तो साल के अंत में ऑस्ट्रेलिया भी ‘कोहली ब्रिगेड’ के खिलाफ डे-नाइट टेस्ट की मांग करेगी और वह एक से ज्यादा सेशन लाइट्स के नीचे खेलना पसंद करेगी। 

लाइट्स के नीचे एक से अधिक सेशन खेलने पर टीम इंडिया राजी नहीं है क्योंकि कोहली बिना अभ्यास के ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ डे-नाइट टेस्ट नहीं खेलना चाहते। एक सूत्र ने कहा, ‘शुरुआत में कोहली को भी डे-नाइट टेस्ट के लंबे समय के प्रभाव का अंदाजा नहीं था। वह बिना पर्याप्त अभ्यास के इसे नहीं खेलना चाहते। मगर कोहली और शास्त्री अब इस समझौते पर पहुंचे हैं कि टीम इंडिया डे-नाइट टेस्ट के लिए कोई जल्दबाजी नहीं करेगी।’

बोर्ड और टीम प्रबंधन भी कोई परेशानी नहीं बढ़ाना चाहता और वह इस साल ऑस्ट्रेलिया दौरे से पहले डे-नाइट टेस्ट के बारे में अच्छे से सोचेगा। राय ने अपने ई-मेल में कहा कि डे-नाइट टेस्ट की मेजबानी का प्रस्ताव होल्ड पर रखा जा सकता है जब तक खिलाड़ियों के साथ विचार-विमर्श नहीं हो जाए। उन्होंने खिलाड़ियों के समय को भी ध्यान में रखना पसंद किया।

डे-नाइट टेस्ट की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं

राय ने साथ ही यह भी लिखा भी हैदराबाद और राजकोट में वेस्टइंडीज के खिलाफ दो टेस्ट आयोजित कराने की बातचीत चल रही है, लेकिन इस बात की चिंता ज्यादा है कि दिन का खेल समाप्त होने के बाद स्टेडियम में तैनात की जाने वाली अतिरिक्त सुरक्षा का खर्चा कौन उठाएगा। 

सीओए का मानना है कि अगर डे-नाइट टेस्ट की मेजबानी करना हो तो मेट्रो शहर जैसे मुंबई, बैंगलोर, कोलकाता और दिल्ली में से किसी एक जगह इसे आयोजित किया जाए ताकि दर्शकों को अपने घर लौटने में कोई परेशानी नहीं हो। उन्हें पर्याप्त साधन मिल सके।

राय ने यह मामला बीसीसीआई अधिकारियों के सामने भी उठाया है कि वह मेहमान टीम से इस संबंध में बात कर कि वह डे-नाइट टेस्ट खेलने के लिए तैयार है या नहीं। उनका शरीर डे-नाइट टेस्ट के समय के हिसाब से तैयार रहेगा या नहीं।

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