आजादी के 28 साल बाद भारत का राज्य बना सिक्किम, जानें इतिहास और चीन की आपत्तियां

भारत-चीन के बीच सीमा विवाद अपने चरम पर है. सिक्किम में सीमा को लेकर दोनों देश आमने-सामने हैं. मगर ये तनाव नया नहीं है. राज्य के रूप में सिक्किम के अस्तित्व में आने के बाद से चीन की मंशा पर सवाल उठते रहे हैं. यहां तक कि चीन ने सिक्किम के भारत में विलय का भी विरोध किया था. सिक्किम को लेकर चीन का भारत से विवाद क्यों हैं, इसे जानने से पहले सिक्किम का इतिहास जानना भी जरूरी है.

आजादी के 28 साल बाद भारत का राज्य बना सिक्किम, जानें इतिहास और चीन की आपत्तियां

सिक्किम सन 1642 में वजूद में आया, जब फुन्त्सोंग नाम्ग्याल को सिक्किम का पहला चोग्याल(राजा) घोषित किया गया. नामग्याल को तीन बौद्ध भिक्षुओं ने राजा घोषित किया था. इस तरीके से सिक्किम में राजतन्त्र का की शुरूआत हुई. जिसके बाद नाम्ग्याल राजवंश ने 333 सालों तक सिक्किम पर राज किया.

1975 में बना राज्य

भारत ने 1947 में स्वाधीनता हासिल की. इसके बाद पूरे देश में सरदार वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में अलग-अलग रियासतों का भारत में विलय किया गया. इसी क्रम में 6 अप्रैल, 1975 की सुबह सिक्किम के चोग्याल को अपने राजमहल के गेट के बाहर भारतीय सैनिकों के ट्रकों की आवाज़ सुनाई दी. भारतीय सेना ने राजमहल को चारों तरफ़ से घेर रखा था. सेना ने राजमहल पर मौजूद 243 गार्डों को पर तुरंत काबू पा लिया और सिक्किम की आजादी का खात्मा हो गया. इसके बाद चोग्याल को उनके महल में ही नज़रबंद कर दिया गया.

इसके बाद सिक्किम में जनमत संग्रह कराया गया. जनमत संग्रह में 97.5 फीसदी लोगों ने भारत के साथ जाने की वकालत की. जिसके बाद सिक्किम को भारत का 22वां राज्य बनाने का संविधान संशोधन विधेयक 23 अप्रैल, 1975 को लोकसभा में पेश किया गया. उसी दिन इसे 299-11 के मत से पास कर दिया गया. वहीं राज्यसभा में यह बिल 26 अप्रैल को पास हुआ और 15 मई, 1975 को जैसे ही राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद ने इस बिल पर हस्ताक्षर किए, नाम्ग्याल राजवंश का शासन समाप्त हो गया.

भारत में विलय का विरोध

जब सिक्किम के भारत में विलय की मुहिम शुरू हुई तो चीन ने इसकी तुलना 1968 में रूस के चेकोस्लोवाकिया पर किए गए आक्रमण से की. जिसके बाद इंदिरा गांधी ने चीन को तिब्बत पर किए उसके आक्रमण की याद दिलाई. हालांकि, भूटान इस विलय से खुश हुआ. ऐसा इसलिए क्योंकि इसके बाद से उसे सिक्किम के साथ जोड़ कर देखने की संभावना खत्म हो गईं. नेपाल ने भी सिक्किम के विलय का जबरदस्त विरोध किया.

विवाद की जड़ क्या है?

दरअसल, भारत-चीन के बीच कुल 3500 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा है. सीमा विवाद को लेकर दोनों देश 1962 में युद्ध लड़ चुके हैं. मगर सीमा पर तनाव पर आज भी जारी है. यही वजह है कि अलग-अलग हिस्सों में अक्सर भारत-चीन के बीच सीमा विवाद उठता रहा है.

 फिलहाल जो सीमा विवाद है, वो भारत-भूटान और चीन सीमा के मिलान बिन्दु से जुड़ा हुआ है. सिक्किम में भारतीय सीमा से सटी डोकलाम पठार है, जहां चीन सड़क निर्माण कराने पर आमादा है. चीन इस इलाके को अपना मानता है. मगर भारतीय सैनिकों ने पिछले दिनों चीन की इस कोशिश का विरोध किया था. डोकलाम पठार का कुछ हिस्सा भूटान में भी पड़ता है. भूटान ने भी चीन की इस कोशिश का विरोध किया.

चीन का तर्क

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने हाल ही में कहा कि सिक्किम में भारत के साथ सीमा का निर्धारण 127 साल पहले क्विंग साम्राज्य और ग्रेट ब्रिटेन के बीच हुई संधि-एंग्लो-चाइनीज कंवेंशन ऑफ 1890, पर आधारित था. लू ने कहा,’चीन और भारत की सभी सरकारें ये स्वीकार करती हैं कि सिक्किम खंड का सीमा-निर्धारण हो चुका है. भारतीय नेता, भारत सरकार के प्रासंगिक दस्तावेज और सीमा के मुद्दे पर चीन के साथ विशिष्ट प्रतिनिधियों की बैठक में भारत के प्रतिनिधिमंडल ने इस बात की पुष्टि की है कि भारत और चीन सिक्किम खंड के सीमा निर्धारण को लेकर 1890 के समझौते के प्रति एक जैसा विचार रखते हैं. चीन का मानना है कि भारत इस समझौते और दस्तावेज का पालन करने के अंतरराष्ट्रीय दायित्व से मुंह नहीं मोड़ सकता.

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