आज है पौष पूर्णिमा व्रत, जानिए इसकी पूजा विधि

आप सभी जानते होंगे कि हर महीने में 15-15 दिनों के दो पक्ष होते हैं। जी हाँ और इन्हें शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के नाम से जाना जाता है। वहीं शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन को पूर्णिमा (Purnima) के नाम से जाना जाता है। इसी के साथ यह भी माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा (Moon) अपनी सभी कलाओं से सुशोभित होकर चमकता है। आपको बता दें कि शुक्ल पक्ष को शास्त्रों में देवताओं का समय कहा गया है। इसके अलावा पूर्णिमा के दिन को विशेष माना जाता है। वहीं इस दिन चंद्रमा के साथ साथ श्री विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा की जाती है। इसी के साथ इस दिन स्नान, दान पुण्य का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन दान करने से व्यक्ति के पाप कटते हैं और अमोघ फल की प्राप्ति होती है। वहीं शास्त्रों में पूर्णिमा के व्रत को भी बहुत शुभ कहा जाता है। इस बार पौष मास की पूर्णिमा तिथि 17 जनवरी सोमवार के दिन पड़ रही है। अब आज हम आपको बताते हैं पौष पूर्णिमा की तिथि और पूजा विधि।

पौष पूर्णिमा तिथि – 17 जनवरी को देर रात 3 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगी और 18 जनवरी को सुबह 5 बजकर 17 मिनट तक चलेगी। आपको बता दें कि पूर्णिमा का व्रत 17 जनवरी को ही रखा जाएगा। यह सुबह 08:34 बजे से 09:55 बजे तक राहुकाल रहेगा और राहुकाल को शुभ नहीं माना जाता। ऐसे में इस दौरान दान, पुण्य, पूजा आदि कार्य न करें।

पौष पूर्णिमा की पूजा विधि- पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की साफ़-सफाई करें। अब इसके बाद पानी में थोड़ा गंगा जल डालकर स्नान करें। वहीं इसके बाद भगवान के समक्ष व्रत का संकल्प लें। अब विधिपूर्वक भगवान सत्यनारायण का पूजन करें और पुष्प, फल, मिठाई, पंचामृत और नैवेद्य अर्पित करें। अब भगवान सत्यनारायण की कथा सुनें या पढ़ें। ऐसा माना जाता है कि पूर्णिमा के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की आराधना और सत्यनारायण भगवान की कथा पढ़ने या श्रवण करने से व्यक्ति को सौ यज्ञों के समतुल्य पुण्य की प्राप्ति होती है। अब पूजन के बाद सूर्य के सन्मुख खड़े होकर जल में तिल डालकर उसका तर्पण करें। ध्यान रहे दिन भर व्रत रखकर भगवान का मनन करें और रात में चंद्र दर्शन करके चंद्रमा को अर्घ्य दें और फिर अपना व्रत खोलें

English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com