भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गर्वनर उर्जित पटेल ने महंगाई को लेकर ‘उच्च अनिश्चितता’ का हवाला देते हुए मौद्रिक समीक्षा बैठक में दरें यथावत रखने की सिफारिश की थी. ये सिफारिस महीने की शुरुआत में केंद्रीय बैंक के प्रमुख ब्याज दरों को लेकर की गई.अभी अभी: मोदी सरकार का बड़ा रिकॉर्ड, तीन साल में 1200 पुराने कानून हो गए खत्म
बता दें कि एमपीसी (मौद्रिक समीक्षा समिति) की बैठक में ऐसा पहली बार हुआ कि सभी सदस्यों के बीच एक राय नहीं थी. यह जानकारी बुधवार को जारी बैठक के मिनट्स से मिली. अपनी दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में सात जून को आरबीआई ने रेपो रेट या अल्पकालिक दरों को 6.25 फीसदी पर यथावत रखा था. इससे संबंधित नीतिगत बयान में कहा गया कि एमपीसी ने मुद्रास्फीति के जोखिम को देखते हुए यह फैसला किया है.
क्या है मिनट्स
मिनट्स चल रही मीटिंग के दौरान लिखा गया एक ब्यौरा होता है जिसे प्रोटोकॉल या नोट के नाम से भी जाना जाता है. इसमें उपस्थित लोगों की सूची, उठाए गए मुद्दे, संबंधित प्रतिक्रियाएं और मुद्दों को हल करने के लिए – लिये गए अंतिम फैसले शामिल होते हैं. इसका उद्देश्य उपलब्धियों और समय-सीमा के साथ-साथ कौन से कार्य किसे सौंपा गए हैं -इसका हिसाब रखना होता है.
रेपो रेट और मौद्रिक नीति का रुख बनाए रखना
एमपीसी बैठक के मिनट्स के मुताबिक, पटेल ने कहा, ‘उच्च अनिश्चितता को ध्यान में रखते हुए निकट भविष्य की मुद्रास्फीति की स्थिति को देखते हुए इस स्तर पर समयपूर्व नीतिगत कार्रवाई से बचने की आवश्यकता है. इसलिए मैं 6.25 फीसदी के वर्तमान स्तर पर रेपो रेट को जारी रखने और मौद्रिक नीति के तटस्थ रुख को बनाए रखने के लिए वोट दे रहा हूं.’