सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाकर या गलत सूचनाएं पोस्ट कर माहौल खराब करने वालों पर पुलिस अब प्रभावी ढंग से लगाम लगा सकेगी। इसके लिए विभाग के तकनीकी विशेषज्ञों ने 'एडवांस अप्लीकेशन सोशल मीडिया एनालीटिक्स' (आस्मा) नाम का खास तरह का साफ्टवेयर तैयार किया है। इस साफ्टवेयर की मदद से न केवल सोशल मीडिया पर नजर रखना पुलिस के लिए आसान हो जाएगा बल्कि आपत्तिजनक पोस्ट खुद हटाने के साथ ही साथ पोस्ट डालने वाले की आसानी से पहचान भी हो सकेगी। इस साफ्टवेयर की मदद से पुलिस, सोशल मीडिया पर अराजकतत्वों को ब्लाक कर सकेगी। –– ADVERTISEMENT –– 'आस्मा' से रखी जाएगी सोशल मीडिया पर नजर यह भी पढ़ें वर्तमान समय में सोशल मीडिया सूचनाओं के आसानी से आदान-प्रदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इसकी व्यापकता और बेहद कम समय में अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने की क्षमता एक तरफ जहां तमाम लोगों के लिए बेहद मुफीद साबित हो रही है वहीं दूसरी तरफ उन्माद और अराजकता फैलाने वाले तत्व इसका बड़े पैमाने पर दुरुपयोग भी कर रहे हैं। लोगों की व्यक्तिगत प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने, अश्लील और आपत्तिजनक वीडियो अपलोड कर लोगों को बदनाम करने में भी कुछ लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। सोशल मीडिया का बढ़ रहा यही दुरुपयोग पुलिस के सामने नए तरह की चुनौती बन गया है। इससे निपटने के लिए पुलिस लगातार प्रयास कर रही है। इस दिशा में अब तक की सबसे कामयाब कोशिश पुलिस विभाग के विशेषज्ञों द्वारा खासतौर से तैयार किया गया 'आस्मा' नाम के साफ्टवेयर के रूप में सामने आई है। इस साफ्टवेयर की मदद से फेसबुक, ट्विटर, वाट्सएप, यू ट्यूब, इंस्ट्राग्राम और गुगल प्लस सहित सभी सोशल मीडिया पर नजर रखना और आपत्तिजनक पोस्ट डालने वालों की पहचान कर पकड़ना पुलिस के लिए बेहद आसान हो जाएगा। रेंज कार्यालय से रखी जाएगी निगरानी यहां 73 साल से बह रही भक्ति की धारा यह भी पढ़ें फिलहाल रेंज स्तर से सोशल मीडिया पर नजर रखने की योजना तैयार की गई है। रेंज कार्यालय में गठित साइबर सेल खास तौर से तैयार इस साफ्टवेयर का उपयोग करेगा। रेंज स्तर पर गठित साइबर सेल को इस साफ्टवेयर का आइपी एड्रेस और हर रेंज का अलग-अलग लांगिग और पासवर्ड की जानकारी दे दी गई है। साइबर सेल में कार्यरत पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षित करने के बाद बहुत जल्दी इस साफ्टवेयर की मदद से सोशल मीडिया की निगरानी शुरू हो जाएगी। राज्य साइबर सेल स्थापित करेगा समन्वय प्रदेश के सभी रेंज कार्यालयों और दूसरे प्रदेश की पुलिस से तालमेल स्थापित करने के लिए आइजी एसटीएफ के नेतृत्व में राज्य साइबर समन्वय सेल का गठन किया गया है। समन्वय सेल के प्रभारी के तौर पर आइजी एसटीएफ का पदनाम राज्य साइबर क्राइम समन्वयक होगा। रेंज स्तर पर गठित साइबर सेल के कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिलाना, साइबर क्राइम के मामलों की विवेचना में मार्गदर्शन करना तथा दूसरे राज्यों की पुलिस से समन्वय स्थापित करना राज्य साइबर क्राइम समन्वयक की जिम्मेदारी होगी।

‘आस्मा’ से रखी जाएगी सोशल मीडिया पर नजर

सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाकर या गलत सूचनाएं पोस्ट कर माहौल खराब करने वालों पर पुलिस अब प्रभावी ढंग से लगाम लगा सकेगी। इसके लिए विभाग के तकनीकी विशेषज्ञों ने ‘एडवांस अप्लीकेशन सोशल मीडिया एनालीटिक्स’ (आस्मा) नाम का खास तरह का साफ्टवेयर तैयार किया है। इस साफ्टवेयर की मदद से न केवल सोशल मीडिया पर नजर रखना पुलिस के लिए आसान हो जाएगा बल्कि आपत्तिजनक पोस्ट खुद हटाने के साथ ही साथ पोस्ट डालने वाले की आसानी से पहचान भी हो सकेगी। इस साफ्टवेयर की मदद से पुलिस, सोशल मीडिया पर अराजकतत्वों को ब्लाक कर सकेगी।सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाकर या गलत सूचनाएं पोस्ट कर माहौल खराब करने वालों पर पुलिस अब प्रभावी ढंग से लगाम लगा सकेगी। इसके लिए विभाग के तकनीकी विशेषज्ञों ने 'एडवांस अप्लीकेशन सोशल मीडिया एनालीटिक्स' (आस्मा) नाम का खास तरह का साफ्टवेयर तैयार किया है। इस साफ्टवेयर की मदद से न केवल सोशल मीडिया पर नजर रखना पुलिस के लिए आसान हो जाएगा बल्कि आपत्तिजनक पोस्ट खुद हटाने के साथ ही साथ पोस्ट डालने वाले की आसानी से पहचान भी हो सकेगी। इस साफ्टवेयर की मदद से पुलिस, सोशल मीडिया पर अराजकतत्वों को ब्लाक कर सकेगी।    –– ADVERTISEMENT ––     'आस्मा' से रखी जाएगी सोशल मीडिया पर नजर यह भी पढ़ें वर्तमान समय में सोशल मीडिया सूचनाओं के आसानी से आदान-प्रदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इसकी व्यापकता और बेहद कम समय में अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने की क्षमता एक तरफ जहां तमाम लोगों के लिए बेहद मुफीद साबित हो रही है वहीं दूसरी तरफ उन्माद और अराजकता फैलाने वाले तत्व इसका बड़े पैमाने पर दुरुपयोग भी कर रहे हैं। लोगों की व्यक्तिगत प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने, अश्लील और आपत्तिजनक वीडियो अपलोड कर लोगों को बदनाम करने में भी कुछ लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं।  सोशल मीडिया का बढ़ रहा यही दुरुपयोग पुलिस के सामने नए तरह की चुनौती बन गया है। इससे निपटने के लिए पुलिस लगातार प्रयास कर रही है। इस दिशा में अब तक की सबसे कामयाब कोशिश पुलिस विभाग के विशेषज्ञों द्वारा खासतौर से तैयार किया गया 'आस्मा' नाम के साफ्टवेयर के रूप में सामने आई है। इस साफ्टवेयर की मदद से फेसबुक, ट्विटर, वाट्सएप, यू ट्यूब, इंस्ट्राग्राम और गुगल प्लस सहित सभी सोशल मीडिया पर नजर रखना और आपत्तिजनक पोस्ट डालने वालों की पहचान कर पकड़ना पुलिस के लिए बेहद आसान हो जाएगा।  रेंज कार्यालय से रखी जाएगी निगरानी   यहां 73 साल से बह रही भक्ति की धारा यह भी पढ़ें फिलहाल रेंज स्तर से सोशल मीडिया पर नजर रखने की योजना तैयार की गई है। रेंज कार्यालय में गठित साइबर सेल खास तौर से तैयार इस साफ्टवेयर का उपयोग करेगा। रेंज स्तर पर गठित साइबर सेल को इस साफ्टवेयर का आइपी एड्रेस और हर रेंज का अलग-अलग लांगिग और पासवर्ड की जानकारी दे दी गई है। साइबर सेल में कार्यरत पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षित करने के बाद बहुत जल्दी इस साफ्टवेयर की मदद से सोशल मीडिया की निगरानी शुरू हो जाएगी।  राज्य साइबर सेल स्थापित करेगा समन्वय  प्रदेश के सभी रेंज कार्यालयों और दूसरे प्रदेश की पुलिस से तालमेल स्थापित करने के लिए आइजी एसटीएफ के नेतृत्व में राज्य साइबर समन्वय सेल का गठन किया गया है। समन्वय सेल के प्रभारी के तौर पर आइजी एसटीएफ का पदनाम राज्य साइबर क्राइम समन्वयक होगा। रेंज स्तर पर गठित साइबर सेल के कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिलाना, साइबर क्राइम के मामलों की विवेचना में मार्गदर्शन करना तथा दूसरे राज्यों की पुलिस से समन्वय स्थापित करना राज्य साइबर क्राइम समन्वयक की जिम्मेदारी होगी।

वर्तमान समय में सोशल मीडिया सूचनाओं के आसानी से आदान-प्रदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इसकी व्यापकता और बेहद कम समय में अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने की क्षमता एक तरफ जहां तमाम लोगों के लिए बेहद मुफीद साबित हो रही है वहीं दूसरी तरफ उन्माद और अराजकता फैलाने वाले तत्व इसका बड़े पैमाने पर दुरुपयोग भी कर रहे हैं। लोगों की व्यक्तिगत प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने, अश्लील और आपत्तिजनक वीडियो अपलोड कर लोगों को बदनाम करने में भी कुछ लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं।

सोशल मीडिया का बढ़ रहा यही दुरुपयोग पुलिस के सामने नए तरह की चुनौती बन गया है। इससे निपटने के लिए पुलिस लगातार प्रयास कर रही है। इस दिशा में अब तक की सबसे कामयाब कोशिश पुलिस विभाग के विशेषज्ञों द्वारा खासतौर से तैयार किया गया ‘आस्मा’ नाम के साफ्टवेयर के रूप में सामने आई है। इस साफ्टवेयर की मदद से फेसबुक, ट्विटर, वाट्सएप, यू ट्यूब, इंस्ट्राग्राम और गुगल प्लस सहित सभी सोशल मीडिया पर नजर रखना और आपत्तिजनक पोस्ट डालने वालों की पहचान कर पकड़ना पुलिस के लिए बेहद आसान हो जाएगा।

रेंज कार्यालय से रखी जाएगी निगरानी

फिलहाल रेंज स्तर से सोशल मीडिया पर नजर रखने की योजना तैयार की गई है। रेंज कार्यालय में गठित साइबर सेल खास तौर से तैयार इस साफ्टवेयर का उपयोग करेगा। रेंज स्तर पर गठित साइबर सेल को इस साफ्टवेयर का आइपी एड्रेस और हर रेंज का अलग-अलग लांगिग और पासवर्ड की जानकारी दे दी गई है। साइबर सेल में कार्यरत पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षित करने के बाद बहुत जल्दी इस साफ्टवेयर की मदद से सोशल मीडिया की निगरानी शुरू हो जाएगी।

राज्य साइबर सेल स्थापित करेगा समन्वय

प्रदेश के सभी रेंज कार्यालयों और दूसरे प्रदेश की पुलिस से तालमेल स्थापित करने के लिए आइजी एसटीएफ के नेतृत्व में राज्य साइबर समन्वय सेल का गठन किया गया है। समन्वय सेल के प्रभारी के तौर पर आइजी एसटीएफ का पदनाम राज्य साइबर क्राइम समन्वयक होगा। रेंज स्तर पर गठित साइबर सेल के कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिलाना, साइबर क्राइम के मामलों की विवेचना में मार्गदर्शन करना तथा दूसरे राज्यों की पुलिस से समन्वय स्थापित करना राज्य साइबर क्राइम समन्वयक की जिम्मेदारी होगी।

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