इस दरवाजे के खुलते ही टूट कर बिखर जाएगी पृथ्वी….

हर प्राचीन मंदिर रहस्यों और दिलचस्प कहानी से जुड़ा रहता है। ऐसी ही एक कहानी जुड़ी है केरल के पद्मनाभस्वामी मंदिर से। एक मंदिर ऐसा भी है, जिससे कई रहस्य जुड़े हुए है और उन रहस्यों के साथ कुछ मान्यताएं भी जुड़ी हुई है. उन मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर का सातवां यानी आखिरी दरवाजा खुलते ही प्रलय आ जाएगा।

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 यह मंदिर केरल राज्य के  तिरुवनन्तपुरम में स्थापित है। इस मंदिर को पद्मनाभस्वामी मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर  भगवान विष्णु को पूर्णरूप से समर्पित किया गया है। भगवान विष्णु की प्रतिमा इस मंदिर के गर्भगृह में स्थापित की गई है। भगवान विष्णु शेषनाग के ऊपर शयन अवस्था में  विराजमान है।

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मंदिर की सबसे दिलचस्प बात इस मंदिर की दिलचस्प बात यह है कि इस मंदिर से जुड़े अनेक  रहस्य है। यह दुनिया का सबसे धनी मंदिर भी माना जाता है। इस मंदिर की कुल संपत्ति लगभग  1,32,000 करोड़ है। त्रावणकोर में 1947  तक राजाओं का शासन काल चलता था। भारत आज़ाद होने के बाद इसको भारत में मिलाया गया था।

शाही परिवार करता है देखभाल विलय के पश्चात् भी भारत सरकार द्वारा इस धनी मंदिर पर अधिकार नहीं जमाया गया था। त्रावणकोर का यह मंदिर यहाँ के शाही परिवार के हाथो में ही था। मंदिर की देखभाल व अन्य बाकी व्यवस्था यह शाही परिवार एक निजी संस्था के माध्यम से करवाते हैं। इस मंदिर की संपत्ति को देखते हुए और रहस्य को सुनकर इस मंदिर के दरवाज़े खोलने की मांग जनता द्वारा की जाने लगी।
सरकार खोल सकती है दरवाजा जनता की मांग को सुनकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा 7 सदस्यों की देखरेख में  6 द्वार खोल दिए गए। इन 6 द्वार के अंदर से लगभग 1,32,000 करोड़  के  सोने के जेवर और संपत्ति निकली है। इस मंदिर की सबसे रहस्यमय चीज यहाँ का सातवा दरवाजा है। जिसको खोलने और ना खोलने पर विचार विमर्श हो रहा है। यह मंदिर का सातवाँ दरवाज़ा इसलिए रहस्यमय बना हुआ है, क्योंकि मान्यताओं के अनुसार इसके खुलने पर प्रलय आने की बात कही जाती है।
दरवाजे पर कोई कुंडी नहीं इस सातवें द्वार पर किसी तरह की कुंडी या नट वोल्ट नहीं लगा है। इस दरवाजे पर सिर्फ दो सर्पों का प्रतिबिंब बना हुआ है, जिसको इस द्वार का रक्षक बताया जाता है। यही दोनों सर्प इस द्वारा पर पहरा देते हैं और रक्षा करते हैं। इस द्वार की विशेषता यहाँ है कि यह द्वार सिर्फ मंत्रोच्चारण से खुल सकता है। उसके अलावा इसको खोलने का और कोई रास्ता नहीं है।
गरुड़ मंत्र से ही खुलेगा इस द्वार को खोलने के लिए  ‘गरुड़ मंत्र’ का प्रयोग स्पष्ट व साफ़ शब्दों में किसी सिद्ध पुरूष के माध्यम से कराना होगा। मंत्रोच्चारण साफ़ और स्पष्ट न होने पर उस पुरुष की मृत्यु भी हो सकती है। त्रावणकोर राजपरिवार के मुखिया तिरुनल मार्तंड वर्मा जो 90 वर्ष के है। उन्होंने एक अंग्रेज़ी समाचार पत्र में दिए गए साक्षात्कार में कहा है कि उनका पूरा जीवन इस मंदिर की देखभाल में बीता है।
साथ ही सातवें द्वार को खोले जाने पर देश में प्रलय आ सकता है। इसलिए इस द्वार को ना खोलें। इसका रहस्य रहस्य ही बना रहने देना सही है। ज्यादातर प्राचीन चीजों का निर्माण रहस्यमय तरीकों से करवाया जाता था और उन वस्तुओं को सुरक्षित रखने के लिए उससे मंत्रो से बांधकर रखा जाता था, ताकि उसका  रहस्य बना रहे और उस जगह से जुड़ी वस्तुओं का दुरूपयोग न हो। मंदिर का सातवाँ दरवाज़ा अगर बंद है, तो किसी का अहित नहीं हो रहा लेकिन मंदिर का सातवाँ दरवाज़ा खुलने पर अहित होने की संभावना है। इसलिए इसको बंद रखना ही उचित है।
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