बताया जाता है कई सालों पहले जब एक किसान खेत में हल चला रहा था तब उसके हल से कोई टकराई थी जब उस चीज़ को देखा गया तो उसमें दो मूर्तियां दबी हुई थी जिसे साफ करने पर पता चला कि मूर्ति भगवान हनुमान और बालाजी जी है. उसके बाद उस किसान के सपने में बालाजी आये और कहा इस मूर्ति को चूरू जिले में सालासर में स्थित किया जाए और इसी के बाद मूर्ति को सालासर भेज दिया और वहीं दूसरी मूर्ति को पाबोलाम में स्‍थापित किया गया.

इस मंदिर में दाढ़ी-मूछ में पूजे जाते हैं बालाजी

अक्सर लोग कष्ट में होते हैं तो भगवान का नाम लेते हैं और ये तो माना भी जाता है कि भगवान का नाम लेने से ही सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. ऐसे में भगवान हनुमान को ज्यादा माना जाता है कि वो हमे हर कष्ट से दूर रखते हैं. आज हम ऐसे ही हनुमान मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ पर हनुमान जी को दाढ़ी और मूंछ लगी हुई है और ऐसे ही  उन्हें पूजा भी जाता है. आपको बता देते हैं ये भारत का पहला मंदिर है जहाँ पर भगवान को दाढ़ी और मूंछ है. आइये बता देते हैं उस मंदिर के बारे में.बताया जाता है कई सालों पहले जब एक किसान खेत में हल चला रहा था तब उसके हल से कोई टकराई थी जब उस चीज़ को देखा गया तो उसमें दो मूर्तियां दबी हुई थी जिसे साफ करने पर पता चला कि मूर्ति भगवान हनुमान और बालाजी जी है. उसके बाद उस किसान के सपने में बालाजी आये और कहा इस मूर्ति को चूरू जिले में सालासर में स्थित किया जाए और इसी के बाद मूर्ति को सालासर भेज दिया और वहीं दूसरी मूर्ति को पाबोलाम में स्‍थापित किया गया.

हम बात कर रहे हैं राजस्थान के चूरू जिले में स्थित सालासर बालाजी की. इसके बारे में ये बताया जाता है कि इस भव्य मंदिर को मुस्लिम कारीगरों ने बनाया है. यहाँ के बालाजी भगवान के चेहरे पर दाढ़ी और मूंछ हैं, साथ ही उनके चेहरे पर सिन्दूर भी लगा होता है. यहाँ आने वाले भक्तों के लिए कई सुविधाएं हैं खाने पीने से लेकर रहने तक की. इस मंदिर को काफी माना जाता है जिसके दर्शन के लये दूर-दूर से आते हैं. इसका रास्ता भी आपको बता दें, अगर आप जाना चाहते हैं तो यह जयपुर-बीकानेर राजमार्ग पर स्थित है. इस मंदिर तक पहुँचने के लिए सड़क मार्ग भी काफी अच्छा है.

बताया जाता है कई सालों पहले जब एक किसान खेत में हल चला रहा था तब उसके हल से कोई टकराई थी जब उस चीज़ को देखा गया तो उसमें दो मूर्तियां दबी हुई थी जिसे साफ करने पर पता चला कि मूर्ति भगवान हनुमान और बालाजी जी है. उसके बाद उस किसान के सपने में बालाजी आये और कहा इस मूर्ति को चूरू जिले में सालासर में स्थित किया जाए और इसी के बाद मूर्ति को सालासर भेज दिया और वहीं दूसरी मूर्ति को पाबोलाम में स्‍थापित किया गया.

 
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