The checking of EVM ---file

ईवीएम छेड़छाड़ पर आज चुनाव आयोग की होगी अहम बैठक!

नई दिल्ली: काफी दिनों से ईवीएम में छेड़छाड़ को लेकर चल रही बहस के बीच आज चुनाव आयोग ने एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है। इस बैठक में सभी दलों को शामिल होना है और उम्मीद है कि विपक्षी दल ईवीएम की जांच की मांग उठा सकते हैं। इस बैठक में आयोग ईवीएम से जुड़े सभी सवालों को जवाब देगा साथ ही ईवीएम हैक करने की भी चुनौती देगा।

हाल में ही दिल्ली विधानसभा के स्पेशल सत्र में ईवीएम प्रतिरूप की टेंपरिंग का लाइव नमूना देखने के बाद ईवीएम मशीन के साथ छेड़छाड़ का मुद्दा ज्यादा गंभीर हो गया। इसके मद्देनजर ही विपक्षी दल स्वतंत्र जांच समिति बना ईवीएम विवाद से जुड़े सारे पहलुओं का समाधान निकालने के लिए आयोग से अनुरोध करने की संयुक्त रणनीति पर सहमति बनाने की कोशिश कर रहे हैं। विपक्षी खेमे में सहमति बनी तो फिर आयोग से कहा जाएगा कि तकनीकी विशेषज्ञों की एक टीम इस स्वतंत्र जांच समिति के सामने इसका प्रदर्शन कर स्पष्ट करे कि हाल के चुनाव में किसी पार्टी या उम्मीदवार विशेष ने ईवीएम में गड़बड़ी की या नहीं।

इसमें आयोग से यह भी कहा जाएगा कि इस प्रदर्शन और जांच के लिए उन बूथों की पहचान की जाए जहां ईवीएम टेंपरिंग की राजनीतिक दलों ने आशंका जताई है। बूथों की पहचान के बाद चुनाव में वहां इस्तेमाल सभी ईवीएम को भी इस जांच समिति के अध्ययन के लिए प्रदान किया जाए। साथ ही इन मतदान केंद्रों पर वोटरों के आने के क्रम का दस्तावेज भी दिया जाना जरूरी होगा। ताकि वोटर इस जांच समिति या न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने चुनाव के दौरान ईवीएम में अपनी पसंद के वोट पर बटन दबाने का खुलासा कर सके। हालांकि मतदान के गुप्त होने की मर्यादा को देखते हुए विपक्षी दल जांच प्रक्रिया की इस पहल में वोटर और उम्मीदवार की पहचान गुप्त रखने की बात कही जाएगी। सूत्रों के अनुसार स्वतंत्र जांच समिति बनाने की आयोग से मांग करते हुए इन सुझावों का ड्राफ्ट ईवीएम विवाद में बेहद मुखर आम आदमी पार्टी की ओर से दिया गया है।

ईवीएम विवाद पर राजनीतिक दलों के साथ चुनाव आयोग की बैठक को देखते हुए विपक्षी खेमे के कुछ नेता जैसे सपा, बसपा, जदयू और वामपंथी दलों से इस मसौदे को विपक्ष की संयुक्त मांग बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इस प्रस्ताव पर पूरे विपक्ष की सहमति बनाने के लिए कांग्रेस की हामी जरूरी है। राजनीतिक जंग की वजह से कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच कोई संवाद नहीं है। इसीलिए विपक्षी खेमे के दूसरे दलों के नेता कांग्रेस से इस प्रस्ताव को लेकर चर्चा कर रहे हैं।

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