यूपी की कैराना लोकसभा सीट पर कल हुई हार ने बीजेपी के लिए खतरनाक संकेत दे दिए हैं. यह पार्टी के लिए वार्निंगअलार्म है क्योंकि पहले गोरखपुर, फूलपुर और अब कैराना, इन सभी जगहों पर बीजेपी की हार ने आने वाले चुनाव में पार्टी के लिए खतरे की घंटी बजा दी है. ऐसे में यह सवाल उठना वाजिब है कि क्या विपक्ष के महागठबंधन के सामने मोदी का मैजिक फिर चल पाएगा ? बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को अकेले यूपी से 80 में से 73 सीटों पर जीत मिली थी. लेकिन, विपक्ष की एकता ने पार्टी की गति पर विराम लगा दिया है.कैराना सीट पर बीजेपी सांसद हुकुम सिंह के निधन के कारण हुए उपचुनाव में बीजेपी ने हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को चुनाव मैदान में उतारा फिर भी हार का सामना करना पड़ा , क्योंकि विपक्ष ने साझा उम्मीदवार खड़ा किया था. इसी रणनीति पर चलते हुए विपक्ष ने लोक सभा चुनाव के समय भी एकजुटता दिखा दी तो बीजेपी की मुश्किलें बढ़ना तय है. देश के अलग-अलग राज्यों में लोकसभा की चार और विधानसभा की दस सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आए. इन नतीजों में बीजेपी सिर्फ दो सीटों पर ही जीत पाई. यह पार्टी के लिए चिंता का विषय है . बीजेपी विपक्षी एकता से कैसे निपटेगी.अमित शाह ने भी इस बात को माना है कि अगर यूपी ऐसा गठबंधन होता है तो 2019 में उनके लिए चुनौती होगी. हालाँकि बीजेपी ने इसके लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की रणनीति लोकसभा के चुनाव में यूपी समेत देश भर में 50 फीसदी से ज्यादा वोट लाने की है. मोदी के काम के आधार पर वोट मिलने की आस है. अब देखना यह है कि उनकी यह आस पूरी होती है या नहीं.

उपचुनावों में हार भाजपा के लिए खतरे की घंटी

यूपी की कैराना लोकसभा सीट पर कल हुई हार ने बीजेपी के लिए खतरनाक संकेत दे दिए हैं. यह पार्टी के लिए वार्निंगअलार्म है क्योंकि पहले गोरखपुर, फूलपुर और अब कैराना, इन सभी जगहों पर बीजेपी की हार ने आने वाले चुनाव में पार्टी के लिए खतरे की घंटी बजा दी है. ऐसे में यह सवाल उठना वाजिब है कि क्या विपक्ष के महागठबंधन के सामने मोदी का मैजिक फिर चल पाएगा ?यूपी की कैराना लोकसभा सीट पर कल हुई हार ने बीजेपी के लिए खतरनाक संकेत दे दिए हैं. यह पार्टी के लिए वार्निंगअलार्म है क्योंकि पहले गोरखपुर, फूलपुर और अब कैराना, इन सभी जगहों पर बीजेपी की हार ने आने वाले चुनाव में पार्टी के लिए खतरे की घंटी बजा दी है. ऐसे में यह सवाल उठना वाजिब है कि क्या विपक्ष के महागठबंधन के सामने मोदी का मैजिक फिर चल पाएगा ?    बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को अकेले यूपी से 80 में से 73 सीटों पर जीत मिली थी. लेकिन, विपक्ष की एकता ने पार्टी की गति पर विराम लगा दिया है.कैराना सीट पर बीजेपी सांसद हुकुम सिंह के निधन के कारण हुए उपचुनाव में बीजेपी ने हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को चुनाव मैदान में उतारा फिर भी हार का सामना करना पड़ा , क्योंकि विपक्ष ने  साझा उम्मीदवार खड़ा किया था.  इसी रणनीति पर चलते हुए विपक्ष ने लोक सभा चुनाव के समय भी एकजुटता दिखा दी तो बीजेपी की मुश्किलें बढ़ना तय है.    देश के अलग-अलग राज्यों में लोकसभा की चार और विधानसभा की दस सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आए. इन नतीजों में बीजेपी सिर्फ दो सीटों पर ही जीत पाई. यह पार्टी के लिए चिंता का विषय है . बीजेपी विपक्षी एकता से कैसे निपटेगी.अमित शाह ने भी इस बात को माना है कि अगर यूपी ऐसा गठबंधन होता है तो 2019 में उनके लिए चुनौती होगी. हालाँकि बीजेपी ने इसके लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की रणनीति लोकसभा के चुनाव में यूपी समेत देश भर में 50 फीसदी से ज्यादा वोट लाने की है. मोदी के काम के आधार पर वोट मिलने की आस है. अब देखना यह है कि उनकी यह आस पूरी होती है या नहीं.

बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को अकेले यूपी से 80 में से 73 सीटों पर जीत मिली थी. लेकिन, विपक्ष की एकता ने पार्टी की गति पर विराम लगा दिया है.कैराना सीट पर बीजेपी सांसद हुकुम सिंह के निधन के कारण हुए उपचुनाव में बीजेपी ने हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को चुनाव मैदान में उतारा फिर भी हार का सामना करना पड़ा , क्योंकि विपक्ष ने  साझा उम्मीदवार खड़ा किया था.  इसी रणनीति पर चलते हुए विपक्ष ने लोक सभा चुनाव के समय भी एकजुटता दिखा दी तो बीजेपी की मुश्किलें बढ़ना तय है.

देश के अलग-अलग राज्यों में लोकसभा की चार और विधानसभा की दस सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आए. इन नतीजों में बीजेपी सिर्फ दो सीटों पर ही जीत पाई. यह पार्टी के लिए चिंता का विषय है . बीजेपी विपक्षी एकता से कैसे निपटेगी.अमित शाह ने भी इस बात को माना है कि अगर यूपी ऐसा गठबंधन होता है तो 2019 में उनके लिए चुनौती होगी. हालाँकि बीजेपी ने इसके लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की रणनीति लोकसभा के चुनाव में यूपी समेत देश भर में 50 फीसदी से ज्यादा वोट लाने की है. मोदी के काम के आधार पर वोट मिलने की आस है. अब देखना यह है कि उनकी यह आस पूरी होती है या नहीं.

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