गर्मी के मौसम में मैदानी इलाकों में रहने वाले लोगों का मन पहाड़ों की तरफ भागने लगता है। गर्म से ठंडक की ओर, शोर से एकांत की तरफ आना बेहद शानदार व मनमोहक लगता है। दिल्ली के लोगों को वैसे भी पहाड़ बहुत लुभाते हैं। ऐसी ही एक जगह है चोपता, जिसे भारत का मिनी स्विट्जरलैंड कहा जाता है। लोग प्रकृति से रूबरू होने के साथ ही कुछ पल एकांत में बिताने के लिए यहां आते हैं। चौपता की खूबसूरती सड़क से दूर गगन छूती बर्फ से ढ़की चोटियों की खूबसूरती को देखकर ऐसा लगता है जैसे स्वर्ग में आ गए हों। कुछ पैदल चलते हुए तो कुछ सैलानी खच्चरों पर सवार होकर यहां तक पहुंचते हैं। यहां का मौसम ज्यादातर सुहावना ही होता है। तुंगनाथ-चंद्रशिला ट्रैक तुंगनाथ बहुत ही जाना-माना मंदिर है। तुंगनाथ, पंच केदार ( केदारनाथ, मद्महेश्वर, तुंगनाथ, रूद्रनाथ और कल्पेश्वर) में से एक है और यह तीसरे स्थान पर आता है। ज्यादातर लोग सिर्फ केदारनाथ के बारे में ही जानते हैं लेकिन ये पांचों केदार भी उतना ही महत्व रखते हैं, जितना केदारनाथ। तुंगनाथ मंदिर से चंद्रशिला एक किलोमीटर दूर है, लेकिन चढ़ाई बहुत खड़ी है। कई बार तो लोग सिर्फ तुंगनाथ से ही वापस लौट जाते हैं। बर्फबारी की वजह से रास्ता और भी फिसलन वाला हो जाता है। चंद्रशिला पीक पर मां गंगा का मंदिर बना हुआ है और यहां से चारों तरफ बर्फ से ढकी हिमालय की चोटियां दिखाई देती हैं। यहां से नंदादेवी चोटी को साफ-साफ देखा जा सकता है।

एक रोमांचक यात्रा तुंगनाथ-चंद्रशिला की

गर्मी के मौसम में मैदानी इलाकों में रहने वाले लोगों का मन पहाड़ों की तरफ भागने लगता है। गर्म से ठंडक की ओर, शोर से एकांत की तरफ आना बेहद शानदार व मनमोहक लगता है। दिल्ली के लोगों को वैसे भी पहाड़ बहुत लुभाते हैं। ऐसी ही एक जगह है चोपता, जिसे भारत का मिनी स्विट्जरलैंड कहा जाता है। लोग प्रकृति से रूबरू होने के साथ ही कुछ पल एकांत में बिताने के लिए यहां आते हैं।गर्मी के मौसम में मैदानी इलाकों में रहने वाले लोगों का मन पहाड़ों की तरफ भागने लगता है। गर्म से ठंडक की ओर, शोर से एकांत की तरफ आना बेहद शानदार व मनमोहक लगता है। दिल्ली के लोगों को वैसे भी पहाड़ बहुत लुभाते हैं। ऐसी ही एक जगह है चोपता, जिसे भारत का मिनी स्विट्जरलैंड कहा जाता है। लोग प्रकृति से रूबरू होने के साथ ही कुछ पल एकांत में बिताने के लिए यहां आते हैं।   चौपता की खूबसूरती  सड़क से दूर गगन छूती बर्फ से ढ़की चोटियों की खूबसूरती को देखकर ऐसा लगता है जैसे स्वर्ग में आ गए हों। कुछ पैदल चलते हुए तो कुछ सैलानी खच्चरों पर सवार होकर यहां तक पहुंचते हैं। यहां का मौसम ज्यादातर सुहावना ही होता है।     तुंगनाथ-चंद्रशिला ट्रैक   तुंगनाथ बहुत ही जाना-माना मंदिर है। तुंगनाथ, पंच केदार ( केदारनाथ, मद्महेश्वर, तुंगनाथ, रूद्रनाथ और कल्पेश्वर) में से एक है और यह तीसरे स्थान पर आता है। ज्यादातर लोग सिर्फ केदारनाथ के बारे में ही जानते हैं लेकिन ये पांचों केदार भी उतना ही महत्व रखते हैं, जितना केदारनाथ। तुंगनाथ मंदिर से चंद्रशिला एक किलोमीटर दूर है, लेकिन चढ़ाई बहुत खड़ी है। कई बार तो लोग सिर्फ तुंगनाथ से ही वापस लौट जाते हैं। बर्फबारी की वजह से रास्ता और भी फिसलन वाला हो जाता है। चंद्रशिला पीक पर मां गंगा का मंदिर बना हुआ है और यहां से चारों तरफ बर्फ से ढकी हिमालय की चोटियां दिखाई देती हैं। यहां से नंदादेवी चोटी को साफ-साफ देखा जा सकता है।

चौपता की खूबसूरती

सड़क से दूर गगन छूती बर्फ से ढ़की चोटियों की खूबसूरती को देखकर ऐसा लगता है जैसे स्वर्ग में आ गए हों। कुछ पैदल चलते हुए तो कुछ सैलानी खच्चरों पर सवार होकर यहां तक पहुंचते हैं। यहां का मौसम ज्यादातर सुहावना ही होता है। 

तुंगनाथ-चंद्रशिला ट्रैक 

तुंगनाथ बहुत ही जाना-माना मंदिर है। तुंगनाथ, पंच केदार ( केदारनाथ, मद्महेश्वर, तुंगनाथ, रूद्रनाथ और कल्पेश्वर) में से एक है और यह तीसरे स्थान पर आता है। ज्यादातर लोग सिर्फ केदारनाथ के बारे में ही जानते हैं लेकिन ये पांचों केदार भी उतना ही महत्व रखते हैं, जितना केदारनाथ। तुंगनाथ मंदिर से चंद्रशिला एक किलोमीटर दूर है, लेकिन चढ़ाई बहुत खड़ी है। कई बार तो लोग सिर्फ तुंगनाथ से ही वापस लौट जाते हैं। बर्फबारी की वजह से रास्ता और भी फिसलन वाला हो जाता है। चंद्रशिला पीक पर मां गंगा का मंदिर बना हुआ है और यहां से चारों तरफ बर्फ से ढकी हिमालय की चोटियां दिखाई देती हैं। यहां से नंदादेवी चोटी को साफ-साफ देखा जा सकता है।

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