ब्रेकिंग न्यूज़: ट्रपं और मोदी के सपने को एक साथ उड़ाने की साजिश में लगा अब पाक

नई दिल्ली। जब भी कभी आतंक का नाम आता है हम सब की आँखों के सामने 26/11 का वो दर्दनाक मंज़र घूमने लगता है। 26/11 के आतंकी हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। आतंक का दिया ज़ख्म अभी भरा भी नहीं है कि खबर सामने आ रही है कि आतंकी उससे बड़ा हमला करने की साजिश कर रहे हैं।

ब्रेकिंग न्यूज़: ट्रपं और मोदी के सपने को एक साथ उड़ाने की साजिश में लगा अब पाक

पाकिस्तान में बसे आतंकी संगठन, भारत पर एक बार फिर से 26/11 मुंबई हमले के जैसा ही हमला कर सकते हैं और भारत के लिए इनसे निपटना काफी मुश्किल होगा। यह जानकारी ब्रसल्ज स्थित थिंक टैंक इंटरनैशनल क्राइसिस ग्रुप (ICG) ने दक्षिण एशिया में अमेरिका की आतंकवाद से संबंधित नीति का विश्लेषण करती अपनी रिपोर्ट में दी।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘पाकिस्तान में संरक्षण प्राप्त भारत विरोधी दो संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद से भारत के साथ ही यूएस को भी गंभीर खतरा है। दोनों संगठनों का अल-कायदा से लिंक नहीं है, लेकिन उनके लड़ाके अफगानिस्तान और पाकिस्तान में सक्रिय अन्य जेहादी और आतंकी संगठनों से जुड़े हैं। वे भारत पर एक और हमला कर यूएस और पाकिस्तान के लिए बहुत बड़ा खतरा पैदा कर सकते हैं।’

आपको बता दें कि रिपोर्ट के अनुसार भारत के साथ रणनीतिक संबंधों के बारे में फिर से विचार करके ही लश्कर और जैश को कमजोर किया जा सकता है। 

पिछले वर्ष कश्मीर में भारतीय सेना पर हमले के जवाब में पीएम नरेंद्र मोदी की प्रतिक्रिया से आतंक के खिलाफ कड़ा संदेश गया था। सितंबर में उरी सेक्टर में आतंकी हमले के बाद भारतीय सैनिकों ने एलओसी के पार सर्जिकल स्ट्राइक कर कई टेरर लॉन्चपैड को ध्वस्त करने के साथ ही अनेक आतंकियों को मार गिराया था।

हालांकि रिपोर्ट के अनुसार 2008 के मुंबई हमले जैसे एक और हमले की स्थिति से निपट पाना भारत के लिए चुनौतीपूर्ण साबित होगा। ‘काउन्टर टेररिज्म पिटफाल्स’ के अनुसार तालिबान को बातचीत के लिए राजी करना और भारत विरोधी संगठनों को नियंत्रण में रखने के लिए पाकिस्तान को प्रोत्साहित करना यूएस के लिए प्रमुख चुनौती है। इसके लिए अमेरिका को चीन के सहयोग की भी जरुरत पड़ेगी।

रिपोर्ट के मुताबिक़ पाकिस्तान का जेहादी समस्या खुद उसकी ही है और यह अपनी पकड़ काफी गहरे तक जमा चुकी है। ऐसे अफगान तालिबान नेता जेल में बंद हैं या गायब हैं , जो बिना पाकिस्तान की अनुमति के यूएस या अफगानिस्तानी सरकार से बात करते हैं। यह दर्शाता है कि सेना कितनी कठोर नीति अपना सकती है।

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