भाजपा की चंडीगढ़ इकाई इस समय सीधे सीधे तीन धड़ो में बंटी हुई है। इनमें से एक गुट के लीडर चंडीगढ़ इकाइ्र के अध्‍यक्ष संजय टंडन हैं। दूसरे के पूर्व एमपी सत्यपाल जैन। सांसद किरण खेर को चाहने वालों का भी एक वर्ग है। पार्टी के सीनियर नेता हरमोहन धवन पहले ही पार्टी को बगावती तेवर दिखा चुके हैं। पार्टी के केंद्रीय नेताओं की नजर शहर से जुड़े सभी प्रमुख व्यक्तियों पर भी है। किरण खेर के पति अनुपम खेर पर पार्टी पहले ही अपनी मेहरबानी दिखा चुकी है। पार्टी नेता आपस में लड़ते रहे तो चंडीगढ़ से किसी ऐसे चेहरे को मैदान में उतारा जाएगा जोकि शहर की जनता को आसानी से स्वीकार हो। चुनाव की कमान टंडन के ही हाथ पार्टी अध्‍यक्ष अमित शाह पहले ही संकेत दे चुके है कि चंडीगढ़ का लोकसभा चुनाव संजय टंडन के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। टंडन का चंडीगढ़ भाजपा के अध्‍यक्ष के रूप में दूसरा टर्म भी एक साल पहले पूरा हो चुका है। पिछले लोकसभा चुनाव में भी टंडन टिकट की दौड़ में थे लेकिन पार्टी ने उन्हें किरण खेर को चुनाव जिताने की जिम्मेदारी दे दी। यदि इस बार भी पार्टी किसी नए चेहरे को मैदान में उतार देती है तो टंडन को एक बार फिर टिकट से हाथ धोना पड़ सकता है। गुटबाजी सबसे बड़ा कारण चंडीगढ़ में किसी नए चेहरे को मैदान में उतारने की तैयारी के पीछे सबसे बड़ा कारण पार्टी की गुटबाजी है। पार्टी के शीर्ष नेता जानते है कि इस बार तीनों को एकजुट कर पाना आसान नहीं होगा। किसी एक को टिकट देने पर दोनों अन्य नेता की नाराजगी पार्टी को महंगी पड़ सकती है। पार्टी से नाराज चल रहे सीनियर नेता हरमोहन धवन के अनुसार एमपी किरण खेर के कार्यकाल में शहर की जनता का कोई भी काम नहीं हुआ। ऐसे में भाजपा क्या मुंह लेकर चुनाव में लोगों के बीच जाएगी।भाजपा की चंडीगढ़ इकाई इस समय सीधे सीधे तीन धड़ो में बंटी हुई है। इनमें से एक गुट के लीडर चंडीगढ़ इकाइ्र के अध्‍यक्ष संजय टंडन हैं। दूसरे के पूर्व एमपी सत्यपाल जैन। सांसद किरण खेर को चाहने वालों का भी एक वर्ग है। पार्टी के सीनियर नेता हरमोहन धवन पहले ही पार्टी को बगावती तेवर दिखा चुके हैं। पार्टी के केंद्रीय नेताओं की नजर शहर से जुड़े सभी प्रमुख व्यक्तियों पर भी है। किरण खेर के पति अनुपम खेर पर पार्टी पहले ही अपनी मेहरबानी दिखा चुकी है। पार्टी नेता आपस में लड़ते रहे तो चंडीगढ़ से किसी ऐसे चेहरे को मैदान में उतारा जाएगा जोकि शहर की जनता को आसानी से स्वीकार हो। चुनाव की कमान टंडन के ही हाथ पार्टी अध्‍यक्ष अमित शाह पहले ही संकेत दे चुके है कि चंडीगढ़ का लोकसभा चुनाव संजय टंडन के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। टंडन का चंडीगढ़ भाजपा के अध्‍यक्ष के रूप में दूसरा टर्म भी एक साल पहले पूरा हो चुका है। पिछले लोकसभा चुनाव में भी टंडन टिकट की दौड़ में थे लेकिन पार्टी ने उन्हें किरण खेर को चुनाव जिताने की जिम्मेदारी दे दी। यदि इस बार भी पार्टी किसी नए चेहरे को मैदान में उतार देती है तो टंडन को एक बार फिर टिकट से हाथ धोना पड़ सकता है। गुटबाजी सबसे बड़ा कारण चंडीगढ़ में किसी नए चेहरे को मैदान में उतारने की तैयारी के पीछे सबसे बड़ा कारण पार्टी की गुटबाजी है। पार्टी के शीर्ष नेता जानते है कि इस बार तीनों को एकजुट कर पाना आसान नहीं होगा। किसी एक को टिकट देने पर दोनों अन्य नेता की नाराजगी पार्टी को महंगी पड़ सकती है। पार्टी से नाराज चल रहे सीनियर नेता हरमोहन धवन के अनुसार एमपी किरण खेर के कार्यकाल में शहर की जनता का कोई भी काम नहीं हुआ। ऐसे में भाजपा क्या मुंह लेकर चुनाव में लोगों के बीच जाएगी।

कपिलदेव की राजनीति में नई पारी के आसार, चंडीगढ़ से हो सकते हैं भाजपा प्रत्याशी

भाजपा की चंडीगढ़ इकाई इस बार भी लोकसभा चुनाव से पहले एकजुट नहीं हुई तो फिर से पार्टी किसी नए चेहरे पर दांव लगा सकती है। यह चेहरा जाने माने क्रिकेटर कपिल देव भी हो सकते है। भाजपा अध्‍यक्ष अमित शाह ने हाल ही में कपिल देव से संपर्क से समर्थन अभियान के तहत मुलाकात की थी। वीरवार को अमित शाह ने चंडीगढ़ में मिल्खा सिंह, तीन ओलंपिक गोल्ड मेडल विजेता बलबीर सिंह सीनियर से मुलाकात की।भाजपा की चंडीगढ़ इकाई इस समय सीधे सीधे तीन धड़ो में बंटी हुई है। इनमें से एक गुट के लीडर चंडीगढ़ इकाइ्र के अध्‍यक्ष संजय टंडन हैं। दूसरे के पूर्व एमपी सत्यपाल जैन। सांसद किरण खेर को चाहने वालों का भी एक वर्ग है। पार्टी के सीनियर नेता हरमोहन धवन पहले ही पार्टी को बगावती तेवर दिखा चुके हैं। पार्टी के केंद्रीय नेताओं की नजर शहर से जुड़े सभी प्रमुख व्यक्तियों पर भी है। किरण खेर के पति अनुपम खेर पर पार्टी पहले ही अपनी मेहरबानी दिखा चुकी है। पार्टी नेता आपस में लड़ते रहे तो चंडीगढ़ से किसी ऐसे चेहरे को मैदान में उतारा जाएगा जोकि शहर की जनता को आसानी से स्वीकार हो।  चुनाव की कमान टंडन के ही हाथ  पार्टी अध्‍यक्ष अमित शाह पहले ही संकेत दे चुके है कि चंडीगढ़ का लोकसभा चुनाव संजय टंडन के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। टंडन का चंडीगढ़ भाजपा के अध्‍यक्ष के रूप में दूसरा टर्म भी एक साल पहले पूरा हो चुका है। पिछले लोकसभा चुनाव में भी टंडन टिकट की दौड़ में थे लेकिन पार्टी ने उन्हें किरण खेर को चुनाव जिताने की जिम्मेदारी दे दी। यदि इस बार भी पार्टी किसी नए चेहरे को मैदान में उतार देती है तो टंडन को एक बार फिर टिकट से हाथ धोना पड़ सकता है।  गुटबाजी सबसे बड़ा कारण  चंडीगढ़ में किसी नए चेहरे को मैदान में उतारने की तैयारी के पीछे सबसे बड़ा कारण पार्टी की गुटबाजी है। पार्टी के शीर्ष नेता जानते है कि इस बार तीनों को एकजुट कर पाना आसान नहीं होगा। किसी एक को टिकट देने पर दोनों अन्य नेता की नाराजगी पार्टी को महंगी पड़ सकती है। पार्टी से नाराज चल रहे सीनियर नेता हरमोहन धवन के अनुसार एमपी किरण खेर के कार्यकाल में शहर की जनता का कोई भी काम नहीं हुआ। ऐसे में भाजपा क्या मुंह लेकर चुनाव में लोगों के बीच जाएगी।भाजपा की चंडीगढ़ इकाई इस समय सीधे सीधे तीन धड़ो में बंटी हुई है। इनमें से एक गुट के लीडर चंडीगढ़ इकाइ्र के अध्‍यक्ष संजय टंडन हैं। दूसरे के पूर्व एमपी सत्यपाल जैन। सांसद किरण खेर को चाहने वालों का भी एक वर्ग है। पार्टी के सीनियर नेता हरमोहन धवन पहले ही पार्टी को बगावती तेवर दिखा चुके हैं। पार्टी के केंद्रीय नेताओं की नजर शहर से जुड़े सभी प्रमुख व्यक्तियों पर भी है। किरण खेर के पति अनुपम खेर पर पार्टी पहले ही अपनी मेहरबानी दिखा चुकी है। पार्टी नेता आपस में लड़ते रहे तो चंडीगढ़ से किसी ऐसे चेहरे को मैदान में उतारा जाएगा जोकि शहर की जनता को आसानी से स्वीकार हो।  चुनाव की कमान टंडन के ही हाथ  पार्टी अध्‍यक्ष अमित शाह पहले ही संकेत दे चुके है कि चंडीगढ़ का लोकसभा चुनाव संजय टंडन के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। टंडन का चंडीगढ़ भाजपा के अध्‍यक्ष के रूप में दूसरा टर्म भी एक साल पहले पूरा हो चुका है। पिछले लोकसभा चुनाव में भी टंडन टिकट की दौड़ में थे लेकिन पार्टी ने उन्हें किरण खेर को चुनाव जिताने की जिम्मेदारी दे दी। यदि इस बार भी पार्टी किसी नए चेहरे को मैदान में उतार देती है तो टंडन को एक बार फिर टिकट से हाथ धोना पड़ सकता है।  गुटबाजी सबसे बड़ा कारण  चंडीगढ़ में किसी नए चेहरे को मैदान में उतारने की तैयारी के पीछे सबसे बड़ा कारण पार्टी की गुटबाजी है। पार्टी के शीर्ष नेता जानते है कि इस बार तीनों को एकजुट कर पाना आसान नहीं होगा। किसी एक को टिकट देने पर दोनों अन्य नेता की नाराजगी पार्टी को महंगी पड़ सकती है। पार्टी से नाराज चल रहे सीनियर नेता हरमोहन धवन के अनुसार एमपी किरण खेर के कार्यकाल में शहर की जनता का कोई भी काम नहीं हुआ। ऐसे में भाजपा क्या मुंह लेकर चुनाव में लोगों के बीच जाएगी।

चंडीगढ़ की यह तीन हस्तियों को केवल चंडीगढ़ ही नहीं बल्कि पूरा देश जानता है। भाजपा के संपर्क अभियान के तहत पार्टी प्रधान अमित शाह ने इन दिग्गजों का दरवाजा खटखटाकर शहर की राजनीति को हवा दे दी है। पार्टी में चल रही खींचतान और शीर्ष नेताओं की गतिविधियों ने संकेत दे दिया है कि आगामी लोकसभा चुनाव से पहले नेता एकजुट नहीं हुए तो इस बार भी कोई नया चेहरा मैदान में होगा।

पार्टी सूत्रों के अनुसार कपिल देव से चंडीगढ़ के कई भाजपा नेता संपर्क में है। कपिल देव चंडीगढ़ के ही रहने वाले हैं। 2014 में भी तीन शीर्ष नेताओं के बीच खींचतान के कारण किरण खेर को टिकट मिली थी। यही कारण था कि वीरवार को पार्टी अध्‍यक्ष को रीसिव करने भी चंडीगढ़ भाजपा के तीनों शीर्ष नेता पहुंचे हुए थे। सिर्फ पूर्व केंद्रीय मंत्री हरमोहन धवन गायब थे।

खुद एमपी किरण खेर, पूर्व एमपी सत्यपाल जैन, पार्टी प्रेसिडेंट संजय टंडन और मेयर देवेश मोदगिल एयरपोर्ट से लेकर पार्टी आफिस के प्रोग्राम तक में मौजूद थे। पार्टी का आगामी लोकसभा चुनाव में चंडीगढ़ से उम्मीदवार कौन होगा इसपर पार्टी का कोई भी बड़ा नेता अभी कुछ भी कहने को तैयार नहीं है।

भाजपा की चंडीगढ़ इकाई इस समय सीधे सीधे तीन धड़ो में बंटी हुई है। इनमें से एक गुट के लीडर चंडीगढ़ इकाइ्र के अध्‍यक्ष संजय टंडन हैं। दूसरे के पूर्व एमपी सत्यपाल जैन। सांसद किरण खेर को चाहने वालों का भी एक वर्ग है। पार्टी के सीनियर नेता हरमोहन धवन पहले ही पार्टी को बगावती तेवर दिखा चुके हैं। पार्टी के केंद्रीय नेताओं की नजर शहर से जुड़े सभी प्रमुख व्यक्तियों पर भी है। किरण खेर के पति अनुपम खेर पर पार्टी पहले ही अपनी मेहरबानी दिखा चुकी है। पार्टी नेता आपस में लड़ते रहे तो चंडीगढ़ से किसी ऐसे चेहरे को मैदान में उतारा जाएगा जोकि शहर की जनता को आसानी से स्वीकार हो।

चुनाव की कमान टंडन के ही हाथ

पार्टी अध्‍यक्ष अमित शाह पहले ही संकेत दे चुके है कि चंडीगढ़ का लोकसभा चुनाव संजय टंडन के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। टंडन का चंडीगढ़ भाजपा के अध्‍यक्ष के रूप में दूसरा टर्म भी एक साल पहले पूरा हो चुका है। पिछले लोकसभा चुनाव में भी टंडन टिकट की दौड़ में थे लेकिन पार्टी ने उन्हें किरण खेर को चुनाव जिताने की जिम्मेदारी दे दी। यदि इस बार भी पार्टी किसी नए चेहरे को मैदान में उतार देती है तो टंडन को एक बार फिर टिकट से हाथ धोना पड़ सकता है।

गुटबाजी सबसे बड़ा कारण

चंडीगढ़ में किसी नए चेहरे को मैदान में उतारने की तैयारी के पीछे सबसे बड़ा कारण पार्टी की गुटबाजी है। पार्टी के शीर्ष नेता जानते है कि इस बार तीनों को एकजुट कर पाना आसान नहीं होगा। किसी एक को टिकट देने पर दोनों अन्य नेता की नाराजगी पार्टी को महंगी पड़ सकती है। पार्टी से नाराज चल रहे सीनियर नेता हरमोहन धवन के अनुसार एमपी किरण खेर के कार्यकाल में शहर की जनता का कोई भी काम नहीं हुआ। ऐसे में भाजपा क्या मुंह लेकर चुनाव में लोगों के बीच जाएगी।

 
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