आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों को देखते हुए कर्नाटक में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष का चुनाव बहुत अहम हो गया है .इसलिए कांग्रेस हाईकमान अब विधान सभा की गलतियों को न दोहराते हुए ऐसा चयन करना चाहते हैं जो सियासी समीकरण में सबसे फिट बैठे . इसलिए अध्यक्ष पद की दौड़ तेज़ हो गई है . इस कड़ी में पूर्व केंद्रीय मंत्री लोकसभा सांसद के एच मुनियप्पा प्रबल दावेदार हैं , जबकि राज्यसभा सांसद पूर्व पार्टी महासचिव बीके हरिप्रसाद भी इस दौड़ में शामिल हैं . बता दें कि कर्नाटक में जद(एस) के साथ गठबंधन की सरकार को दायरे में थामे रखने के दृष्टिकोण से कांग्रेस प्रभावशाली प्रदेश अध्यक्ष की जरूरत महसूस कर रही है.बेंगलुरू में कर्नाटक से लोकसभा और राज्यसभा के कांग्रेस के सभी सांसदों की बैठक में भी इसी बात पर जोर दिया गया. बीके हरिप्रसाद और राजीव गौडा जैसे वरिष्ठ सांसदों ने नये प्रदेश अध्यक्ष के लिए मुनियप्पा का नाम आगे बढ़ाया. जबकि मुनियप्पा ने इस बैठक में हरिप्रसाद का नाम सुझाया.दलित समुदाय को ही संगठन की कमान देने की मांग एक स्वर में उठी. स्मरण रहे कि मौजूदा कांग्रेस अध्यक्ष जी परमेश्वर भी दलित समुदाय के हैं. उल्लेखनीय है कि उपमुख्यमंत्री बनने के बाद परमेश्वर को प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी छोड़नी पड़ी है. सामाजिक और राजनीतिक दोनों समीकरणों के हिसाब से मुनियप्पा को प्रबल दावेदार माना जा रहा है . उनकी दलित समुदाय के साथ ही उच्च वर्गो में भी अच्छी पैठ मानी जाती है. पिछली सात लोकसभा से वे लगातार जीतकर सांसद हैं. यूपीए सरकार में वे रेल राज्यमंत्री भी रह चुके हैं. मुनियप्पा के पार्टी हाईकमान के विश्वासपात्रों में शामिल होने से अध्यक्ष पद के लिए उनकी संभावना ज्यादा लग रही है

कर्नाटक में कांग्रेस अध्यक्ष की दौड़

आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों को देखते हुए कर्नाटक में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष का चुनाव बहुत अहम हो गया है .इसलिए कांग्रेस हाईकमान अब विधान सभा की गलतियों को न दोहराते हुए ऐसा चयन करना चाहते हैं जो सियासी समीकरण में सबसे फिट बैठे . इसलिए अध्यक्ष पद की दौड़ तेज़ हो गई है . इस कड़ी में पूर्व केंद्रीय मंत्री लोकसभा सांसद के एच मुनियप्पा प्रबल दावेदार हैं , जबकि राज्यसभा सांसद पूर्व पार्टी महासचिव बीके हरिप्रसाद भी इस दौड़ में शामिल हैं .आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों को देखते हुए कर्नाटक में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष का चुनाव बहुत अहम हो गया है .इसलिए कांग्रेस हाईकमान अब विधान सभा की गलतियों को न दोहराते हुए ऐसा चयन करना चाहते हैं जो सियासी समीकरण में सबसे फिट बैठे . इसलिए अध्यक्ष पद की दौड़ तेज़ हो गई है . इस कड़ी में पूर्व केंद्रीय मंत्री लोकसभा सांसद के एच मुनियप्पा प्रबल दावेदार हैं , जबकि राज्यसभा सांसद पूर्व पार्टी महासचिव बीके हरिप्रसाद भी इस दौड़ में शामिल हैं .    बता दें कि कर्नाटक में जद(एस) के साथ गठबंधन की सरकार को दायरे में थामे रखने के दृष्टिकोण से कांग्रेस प्रभावशाली प्रदेश अध्यक्ष की जरूरत महसूस कर रही है.बेंगलुरू में कर्नाटक से लोकसभा और राज्यसभा के कांग्रेस के सभी सांसदों की बैठक में भी इसी बात पर जोर दिया गया. बीके हरिप्रसाद और राजीव गौडा जैसे वरिष्ठ सांसदों ने नये प्रदेश अध्यक्ष के लिए मुनियप्पा का नाम आगे बढ़ाया. जबकि मुनियप्पा ने इस बैठक में हरिप्रसाद का नाम सुझाया.दलित समुदाय को ही संगठन की कमान देने की मांग एक स्वर में उठी. स्मरण रहे कि मौजूदा कांग्रेस अध्यक्ष जी परमेश्वर भी दलित समुदाय के हैं.  उल्लेखनीय है कि उपमुख्यमंत्री बनने के बाद परमेश्वर को प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी छोड़नी पड़ी है. सामाजिक और राजनीतिक दोनों समीकरणों के हिसाब से मुनियप्पा को प्रबल दावेदार माना जा रहा है . उनकी दलित समुदाय के साथ ही उच्च वर्गो में भी अच्छी पैठ मानी जाती है. पिछली सात लोकसभा से वे लगातार जीतकर सांसद हैं. यूपीए सरकार में वे रेल राज्यमंत्री भी रह चुके हैं. मुनियप्पा के पार्टी हाईकमान के विश्वासपात्रों में शामिल होने से अध्यक्ष पद के लिए उनकी संभावना ज्यादा लग रही है

बता दें कि कर्नाटक में जद(एस) के साथ गठबंधन की सरकार को दायरे में थामे रखने के दृष्टिकोण से कांग्रेस प्रभावशाली प्रदेश अध्यक्ष की जरूरत महसूस कर रही है.बेंगलुरू में कर्नाटक से लोकसभा और राज्यसभा के कांग्रेस के सभी सांसदों की बैठक में भी इसी बात पर जोर दिया गया. बीके हरिप्रसाद और राजीव गौडा जैसे वरिष्ठ सांसदों ने नये प्रदेश अध्यक्ष के लिए मुनियप्पा का नाम आगे बढ़ाया. जबकि मुनियप्पा ने इस बैठक में हरिप्रसाद का नाम सुझाया.दलित समुदाय को ही संगठन की कमान देने की मांग एक स्वर में उठी. स्मरण रहे कि मौजूदा कांग्रेस अध्यक्ष जी परमेश्वर भी दलित समुदाय के हैं.

उल्लेखनीय है कि उपमुख्यमंत्री बनने के बाद परमेश्वर को प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी छोड़नी पड़ी है. सामाजिक और राजनीतिक दोनों समीकरणों के हिसाब से मुनियप्पा को प्रबल दावेदार माना जा रहा है . उनकी दलित समुदाय के साथ ही उच्च वर्गो में भी अच्छी पैठ मानी जाती है. पिछली सात लोकसभा से वे लगातार जीतकर सांसद हैं. यूपीए सरकार में वे रेल राज्यमंत्री भी रह चुके हैं. मुनियप्पा के पार्टी हाईकमान के विश्वासपात्रों में शामिल होने से अध्यक्ष पद के लिए उनकी संभावना ज्यादा लग रही है 

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