कर्नाटक में आखिर बीएस येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बन गए. इसके बाद अब कर्नाटक में राजनीतिक उठापटक का दौर भी शुरू हो गया.राज्यपाल वजुभाई वाला द्वारा बीएस येदुरप्पा को सीएम की शपथ दिला दी गई .लेकिन अहम सवाल यह है कि स्पीकर किस पार्टी का बनेगा. आमतौर पर स्पीकर सत्ता पक्ष का ही होता है. स्पीकर फ्लोर पर शक्ति परीक्षण के पहले अहम भूमिका निभाते हैं. येदुरप्पा को 15 दिनों में बहुमत साबित करना है, इस अवधि में उन्हें अपना स्पीकर या प्रो-टेम स्पीकर बनाना होगा . पार्टी का स्पीकर बनने पर कई सुविधाएं स्वतः मिल जाएंगी . जैसे दल विरोधी कानून में सदस्यों को मान्य या अमान्य करने का फैसला स्पीकर पर निर्भर रहता है.इसी तरह मतदान होने पर व्हिप के खिलाफ जाने वाले विधायकों पर फैसला करने का अधिकार भी स्पीकर के पास सुरक्षित रहता है.यदि स्पीकर का चुनाव होता है तो ये फ्लोर पर पहला शक्ति परीक्षण होगा. बशर्ते सर्वानुमति से कोई स्पीकर नहीं बन रहा है.बीजेपी यही चाहेगी कि नया स्पीकर या नया प्रो-टेम स्पीकर उसी का बने. उल्लेखनीय है कि स्पीकर का चुनाव आम तौर पर सर्वानुमति से होता है. लेकिन कर्नाटक के हालात अलग हैं . यहां बीजेपी के कर्नाटक में 104 विधायक हैं. कांग्रेस के पास 77 विधायक हैं तो जेडी (एस) के पास 38 निर्वाचित विधायक. जबकि एक विधायक निर्दलीय दूसरा बहुजन समाज पार्टी का है .ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी अपना स्पीकर कर्नाटक विधानसभा में बनवा पाती है या नहीं.इस बारे में भाजपा में विचार चल रहा है.

कर्नाटक में नए स्पीकर की होगी अहम भूमिका

कर्नाटक में आखिर बीएस येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बन गए. इसके बाद अब कर्नाटक में राजनीतिक उठापटक का दौर भी शुरू हो गया.राज्यपाल वजुभाई वाला द्वारा बीएस येदुरप्पा को सीएम की शपथ दिला दी गई .लेकिन अहम सवाल यह है कि स्पीकर किस पार्टी का बनेगा. आमतौर पर स्पीकर सत्ता पक्ष का ही होता है. स्पीकर फ्लोर पर शक्ति परीक्षण के पहले अहम भूमिका निभाते हैं.कर्नाटक में आखिर बीएस येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बन गए. इसके बाद अब कर्नाटक में राजनीतिक उठापटक का दौर भी शुरू हो गया.राज्यपाल वजुभाई वाला द्वारा बीएस येदुरप्पा को सीएम की शपथ दिला दी गई .लेकिन अहम सवाल यह है कि स्पीकर किस पार्टी का बनेगा. आमतौर पर स्पीकर सत्ता पक्ष का ही होता है. स्पीकर फ्लोर पर शक्ति परीक्षण के पहले अहम भूमिका निभाते हैं.   येदुरप्पा को 15 दिनों में बहुमत साबित करना है, इस अवधि में उन्हें अपना स्पीकर या प्रो-टेम स्पीकर बनाना होगा . पार्टी का स्पीकर बनने पर कई सुविधाएं स्वतः मिल जाएंगी . जैसे दल विरोधी कानून में सदस्यों को मान्य या अमान्य करने का फैसला स्पीकर पर निर्भर रहता है.इसी तरह मतदान होने पर व्हिप के खिलाफ जाने वाले विधायकों पर फैसला करने का अधिकार भी स्पीकर के पास सुरक्षित रहता है.यदि स्पीकर का चुनाव होता है तो ये फ्लोर पर पहला शक्ति परीक्षण होगा. बशर्ते सर्वानुमति से कोई स्पीकर नहीं बन रहा है.बीजेपी यही चाहेगी कि नया स्पीकर या नया प्रो-टेम स्पीकर उसी का बने.  उल्लेखनीय है कि स्पीकर का चुनाव आम तौर पर सर्वानुमति से होता है. लेकिन कर्नाटक के हालात अलग हैं . यहां बीजेपी के कर्नाटक में 104 विधायक हैं. कांग्रेस के पास 77 विधायक हैं तो जेडी (एस) के पास 38 निर्वाचित विधायक. जबकि एक विधायक निर्दलीय दूसरा बहुजन समाज पार्टी का है .ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी अपना स्पीकर कर्नाटक विधानसभा में बनवा पाती है या नहीं.इस बारे में भाजपा में विचार चल रहा है.

 येदुरप्पा को 15 दिनों में बहुमत साबित करना है, इस अवधि में उन्हें अपना स्पीकर या प्रो-टेम स्पीकर बनाना होगा . पार्टी का स्पीकर बनने पर कई सुविधाएं स्वतः मिल जाएंगी . जैसे दल विरोधी कानून में सदस्यों को मान्य या अमान्य करने का फैसला स्पीकर पर निर्भर रहता है.इसी तरह मतदान होने पर व्हिप के खिलाफ जाने वाले विधायकों पर फैसला करने का अधिकार भी स्पीकर के पास सुरक्षित रहता है.यदि स्पीकर का चुनाव होता है तो ये फ्लोर पर पहला शक्ति परीक्षण होगा. बशर्ते सर्वानुमति से कोई स्पीकर नहीं बन रहा है.बीजेपी यही चाहेगी कि नया स्पीकर या नया प्रो-टेम स्पीकर उसी का बने.

उल्लेखनीय है कि स्पीकर का चुनाव आम तौर पर सर्वानुमति से होता है. लेकिन कर्नाटक के हालात अलग हैं . यहां बीजेपी के कर्नाटक में 104 विधायक हैं. कांग्रेस के पास 77 विधायक हैं तो जेडी (एस) के पास 38 निर्वाचित विधायक. जबकि एक विधायक निर्दलीय दूसरा बहुजन समाज पार्टी का है .ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी अपना स्पीकर कर्नाटक विधानसभा में बनवा पाती है या नहीं.इस बारे में भाजपा में विचार चल रहा है.

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