बेंगलुरु : कर्नाटक का चुनाव जीतना भाजपा के लिए करो या मरो का मामला बन गया है.इसीलिए भाजपा यहां अपनी पूरी ताकत झोंकना चाहती है. इसीलिए कर्नाटक में पीएम मोदी का नौ दिवसीय प्रचार कार्यक्रम तय किया गया है.पीएम मोदी एक मई से नौ मई तक पूरे प्रदेश में 15 रैलियां करेंगे.अंतिम पड़ाव के इस प्रचार के साथ ही चुनाव की असली जंग शुरू होगी. उल्लेखनीय है कि कर्नाटक में 12 मई को मतदान होगा.मुख्य टक्कर सत्तारूढ़ कांग्रेस और भाजपा के बीच है.एक और राहुल गाँधी पिछले पांच छह महीनों में कर्नाटक में कई रैलियों को सम्बोधित कर चुके हैं, लेकिन कांग्रेस यह जानती है कि राहुल भीड़ को ज्यादा रोक नहीं पाते, इसलिए फिर माइक सीएम सिद्धारमैया को संभालना पड़ता है, जिनमें वे अपने कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाने और भाजपा पर आरोप लगाने में ही बीत जाता है. जबकि दूसरी ओर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने जीत के लिए ज़मीन तैयार कर दी है . कार्यकर्ता भी सक्रिय हैं .लेकिन पार्टी को चिंता उन दस फीसदी वोटों की है जो असमंजस में हैं. वे एक ओर बेंगलूरू से मैसूर, मंगलोर और ओल्ड मैसूर तक के मतदाता सिद्धरमैया से निराश हैं, तो दूसरी ओर येदुरप्पा की सीएम दावेदारी से उत्साहित भी नहीं है.इन्हें साधने के लिए ही पीएम मोदी के सघन दौरे आयोजित किये गए हैं.इसके अलावा प्रधानमंत्री की चुनावी अभियान से पहले ही भाजपा का विजन डाक्यूमेंट जारी होगा, जिसमें किसान, छात्र, व्यवसायी व जातीय स्तर पर बंटे पेशेवरों को संदेश देने का प्रयास किया जाएगा.

कर्नाटक में पीएम मोदी की नौ दिन में 15 रैलियां

 कर्नाटक का चुनाव जीतना भाजपा के लिए करो या मरो का मामला बन गया है.इसीलिए भाजपा यहां अपनी पूरी ताकत झोंकना चाहती है. इसीलिए कर्नाटक में पीएम मोदी का नौ दिवसीय प्रचार कार्यक्रम तय किया गया है.पीएम मोदी एक मई से नौ मई तक पूरे प्रदेश में 15 रैलियां करेंगे.अंतिम पड़ाव के इस प्रचार के साथ ही चुनाव की असली जंग शुरू होगी.बेंगलुरु : कर्नाटक का चुनाव जीतना भाजपा के लिए करो या मरो का मामला बन गया है.इसीलिए भाजपा यहां अपनी पूरी ताकत झोंकना चाहती है. इसीलिए कर्नाटक में पीएम मोदी का नौ दिवसीय प्रचार कार्यक्रम तय किया गया है.पीएम मोदी एक मई से नौ मई तक पूरे प्रदेश में 15 रैलियां करेंगे.अंतिम पड़ाव के इस प्रचार के साथ ही चुनाव की असली जंग शुरू होगी.  उल्लेखनीय है कि कर्नाटक में 12 मई को मतदान होगा.मुख्य टक्कर सत्तारूढ़ कांग्रेस और भाजपा के बीच है.एक और राहुल गाँधी पिछले पांच छह महीनों में कर्नाटक में कई रैलियों को सम्बोधित कर चुके हैं, लेकिन कांग्रेस यह जानती है कि राहुल भीड़ को ज्यादा रोक नहीं पाते, इसलिए फिर माइक सीएम सिद्धारमैया को संभालना पड़ता है, जिनमें वे अपने कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाने और भाजपा पर आरोप लगाने में ही बीत जाता है.  जबकि दूसरी ओर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने जीत के लिए ज़मीन तैयार कर दी है . कार्यकर्ता भी सक्रिय हैं .लेकिन पार्टी को चिंता उन दस फीसदी वोटों की है जो असमंजस में हैं. वे एक ओर बेंगलूरू से मैसूर, मंगलोर और ओल्ड मैसूर तक के मतदाता सिद्धरमैया से निराश हैं, तो दूसरी ओर येदुरप्पा की सीएम दावेदारी से उत्साहित भी नहीं है.इन्हें साधने के लिए ही पीएम मोदी के सघन दौरे आयोजित किये गए हैं.इसके अलावा प्रधानमंत्री की चुनावी अभियान से पहले ही भाजपा का विजन डाक्यूमेंट जारी होगा, जिसमें किसान, छात्र, व्यवसायी व जातीय स्तर पर बंटे पेशेवरों को संदेश देने का प्रयास किया जाएगा.

उल्लेखनीय है कि कर्नाटक में 12 मई को मतदान होगा.मुख्य टक्कर सत्तारूढ़ कांग्रेस और भाजपा के बीच है.एक और राहुल गाँधी पिछले पांच छह महीनों में कर्नाटक में कई रैलियों को सम्बोधित कर चुके हैं, लेकिन कांग्रेस यह जानती है कि राहुल भीड़ को ज्यादा रोक नहीं पाते, इसलिए फिर माइक सीएम सिद्धारमैया को संभालना पड़ता है, जिनमें वे अपने कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाने और भाजपा पर आरोप लगाने में ही बीत जाता है.

जबकि दूसरी ओर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने जीत के लिए ज़मीन तैयार कर दी है . कार्यकर्ता भी सक्रिय हैं .लेकिन पार्टी को चिंता उन दस फीसदी वोटों की है जो असमंजस में हैं. वे एक ओर बेंगलूरू से मैसूर, मंगलोर और ओल्ड मैसूर तक के मतदाता सिद्धरमैया से निराश हैं, तो दूसरी ओर येदुरप्पा की सीएम दावेदारी से उत्साहित भी नहीं है.इन्हें साधने के लिए ही पीएम मोदी के सघन दौरे आयोजित किये गए हैं.इसके अलावा प्रधानमंत्री की चुनावी अभियान से पहले ही भाजपा का विजन डाक्यूमेंट जारी होगा, जिसमें किसान, छात्र, व्यवसायी व जातीय स्तर पर बंटे पेशेवरों को संदेश देने का प्रयास किया जाएगा.

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