- सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हैदराबाद में रखे गए कांग्रेस और जेडीएस विधायक विशेष बसों में कड़ी सुरक्षा के बीच शनिवार सुबह बेंगलुरु पहुंचे। सभी विधायक यहां के होटल हिल्टन में रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट के अहम निर्देश -बहुमत साबित होने तक सीएम येदियुरप्पा कोई नीतिगत फैसले न लें। -एंग्लो इंडियन सदस्य की नियुक्ति व शक्ति परीक्षण में भाग लेने पर रोक। -कर्नाटक के डीजीपी विधायकों, विधानसभा के बाहर सुरक्षा सुनिश्चित करें। नहीं दिया सोमवार तक वक्त जस्टिस एके सीकरी की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष भाजपा व येदियुरप्पा की ओर से पैरवी करते हुए वकील मुकुल रोहतगी ने बहुमत साबित करने के लिए सोमवार तक का वक्त मांगा, लेकिन कोर्ट ने इनकार करते हुए कहा, पहले भी 36 व 48 घंटे में ऐसा परीक्षण कराया गया है। कांग्रेस-जेडीएस की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने सवाल किया कि जिस दल के पास बहुमत नहीं है, क्या उसे न्योता देना उचित है? कांग्रेस का पक्ष कपिल सिब्बल व पी. चिदंबरम ने रखा। रोहतगी की दलीलें... -किसे सरकार बनाने का न्योता देना यह राज्यपाल का विवेकाधिकार है। -राज्यपाल स्थाई सरकार कौन-सा दल दे सकता है, इस आधार पर न्योता दे सकते हैं। -सरकारिया आयोग ने बहुमत साबित करने के लिए 30 दिन के वक्त की सिफारिश की है, जबकि राज्यपाल ने 15 दिन का ही वक्त दिया। -कांग्रेस व जेडीएस के बीच कोई चुनाव पूर्व गठबंधन नहीं था। इन्होंने चुनाव बाद अनैतिक गठबंधन किया है। चुनाव में उनकी हार हुई है। -कांग्रेस विधायक आनंद सिंह ने कांग्रेस के पत्र पर दस्तखत नहीं किए हैं, इससे उस पत्र पर विचार नहीं हो सकता। सिंघवी, सिब्बल की दलीलें -येदियुरप्पा ने राज्यपाल को पहला पत्र 15 मई को शाम 5 बजे लिखा, जब काउंटिंग जारी थी। -तब चुनाव आयोग ने विधायकों को सर्टिफिकेट भी नहीं दिए थे। यह भी तय नहीं हुआ था कि बहुमत किसे मिल रहा है। -येदि के दावे में किसी विधायक के दस्तखत नहीं हैं, लेकिन हमारे दावे में विधायकों के दस्तखत हैं। -राज्यपाल को सौंपे गए पत्र में विधायकों के हस्ताक्षर न हों, तब तक वह विवेकाधिकार का उपयोग नहीं कर सकते। 2010 में बोपैया ने बचाई थी येदियुरप्पा की सरकार राज्यपाल वजुभाई वाला ने भाजपा के वरिष्ठ नेता केजी बोपैया को विस का प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया है। उन्होंने स्पीकर रहते हुए 2010 में 16 विधायकों को अयोग्य घोषित कर येदियुरप्पा सरकार बचाई थी। यह मामला भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। तब कोर्ट ने उसके खिलाफ कठोर टिप्पणियां की थीं। इसे मुद्दा बनाकर कांग्रेस ने शुक्रवार शाम फिर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी। मामले की अर्जेंट सुनवाई का आग्रह किया गया है। विस में क्या हो सकते हैं दांव-पेंच दलीय स्थिति कुल सीटें : 224 प्रभावी संख्या : 221 (कुमारस्वामी का एक वोट कम हुआ, वह दो सीटों से जीते हैं) बहुमत : 111 भाजपा : 104 (बहुमत से 07 कम) कांग्रेस : 78 जदएस+ : 37अन्य : 02 ऐसा हो तो भाजपा की जीत - कांग्रेस-जदएस के जो 14 विधायक गायब माने जा रहे हैं। वे सदन की कार्यवाही से गैरहाजिर रहें। - कांग्रेस व जदएस के 31 लिंगायत विधायक जातीय आधार पर येदियुरप्पा के पक्ष में आ जाएं। - कांग्रेस-जदएस के दो तिहाई विधायकों यानी कांग्रेस के 52 और जेडीएस के 26 विधायकों को वह अपने खेमे में कर ले। - दो तिहाई सदस्यों के बागी होने पर दलबदल कानून लागू नहीं होगा। हालांकि इसकी संभावना सबसे कम है।

कर्नाटक LIVE: विधानसभा की कार्यवाही शुरू, येदि समेत विधायक ले रहे शपथ

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कर्नाटक में आज शाम 4 बजे भाजपा की येदियुरप्पा सरकार का बहुमत परीक्षण होगा। इसके लिए सारी तैयारियां हो चुकी हैं और विधानसभा का सत्र शुरू हो चुका है। सत्र शुरू होने के बाद सबसे पहले मुख्यमंत्री येदियरप्पा ने सदन की सदस्यता की शपथ ली जिसके बाद अन्य विधायकों को शपथ दिलाई गई। फ्लोर टेस्ट को देखते हुए विधानसभा के आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।- सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हैदराबाद में रखे गए कांग्रेस और जेडीएस विधायक विशेष बसों में कड़ी सुरक्षा के बीच शनिवार सुबह बेंगलुरु पहुंचे। सभी विधायक यहां के होटल हिल्टन में रहेंगे।  सुप्रीम कोर्ट के अहम निर्देश  -बहुमत साबित होने तक सीएम येदियुरप्पा कोई नीतिगत फैसले न लें।  -एंग्लो इंडियन सदस्य की नियुक्ति व शक्ति परीक्षण में भाग लेने पर रोक।  -कर्नाटक के डीजीपी विधायकों, विधानसभा के बाहर सुरक्षा सुनिश्चित करें।  नहीं दिया सोमवार तक वक्त  जस्टिस एके सीकरी की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष भाजपा व येदियुरप्पा की ओर से पैरवी करते हुए वकील मुकुल रोहतगी ने बहुमत साबित करने के लिए सोमवार तक का वक्त मांगा, लेकिन कोर्ट ने इनकार करते हुए कहा, पहले भी 36 व 48 घंटे में ऐसा परीक्षण कराया गया है। कांग्रेस-जेडीएस की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने सवाल किया कि जिस दल के पास बहुमत नहीं है, क्या उसे न्योता देना उचित है? कांग्रेस का पक्ष कपिल सिब्बल व पी. चिदंबरम ने रखा।  रोहतगी की दलीलें...  -किसे सरकार बनाने का न्योता देना यह राज्यपाल का विवेकाधिकार है।  -राज्यपाल स्थाई सरकार कौन-सा दल दे सकता है, इस आधार पर न्योता दे सकते हैं।  -सरकारिया आयोग ने बहुमत साबित करने के लिए 30 दिन के वक्त की सिफारिश की है, जबकि राज्यपाल ने 15 दिन का ही वक्त दिया।  -कांग्रेस व जेडीएस के बीच कोई चुनाव पूर्व गठबंधन नहीं था। इन्होंने चुनाव बाद अनैतिक गठबंधन किया है। चुनाव में उनकी हार हुई है।  -कांग्रेस विधायक आनंद सिंह ने कांग्रेस के पत्र पर दस्तखत नहीं किए हैं, इससे उस पत्र पर विचार नहीं हो सकता।  सिंघवी, सिब्बल की दलीलें   -येदियुरप्पा ने राज्यपाल को पहला पत्र 15 मई को शाम 5 बजे लिखा, जब काउंटिंग जारी थी।  -तब चुनाव आयोग ने विधायकों को सर्टिफिकेट भी नहीं दिए थे। यह भी तय नहीं हुआ था कि बहुमत किसे मिल रहा है।  -येदि के दावे में किसी विधायक के दस्तखत नहीं हैं, लेकिन हमारे दावे में विधायकों के दस्तखत हैं।  -राज्यपाल को सौंपे गए पत्र में विधायकों के हस्ताक्षर न हों, तब तक वह विवेकाधिकार का उपयोग नहीं कर सकते।  2010 में बोपैया ने बचाई थी येदियुरप्पा की सरकार  राज्यपाल वजुभाई वाला ने भाजपा के वरिष्ठ नेता केजी बोपैया को विस का प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया है। उन्होंने स्पीकर रहते हुए 2010 में 16 विधायकों को अयोग्य घोषित कर येदियुरप्पा सरकार बचाई थी। यह मामला भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। तब कोर्ट ने उसके खिलाफ कठोर टिप्पणियां की थीं। इसे मुद्दा बनाकर कांग्रेस ने शुक्रवार शाम फिर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी। मामले की अर्जेंट सुनवाई का आग्रह किया गया है।  विस में क्या हो सकते हैं दांव-पेंच  दलीय स्थिति  कुल सीटें : 224  प्रभावी संख्या : 221 (कुमारस्वामी का एक वोट कम हुआ, वह दो सीटों से जीते हैं)  बहुमत : 111  भाजपा : 104 (बहुमत से 07 कम)  कांग्रेस : 78 जदएस+ : 37अन्य : 02  ऐसा हो तो भाजपा की जीत  - कांग्रेस-जदएस के जो 14 विधायक गायब माने जा रहे हैं। वे सदन की कार्यवाही से गैरहाजिर रहें।  - कांग्रेस व जदएस के 31 लिंगायत विधायक जातीय आधार पर येदियुरप्पा के पक्ष में आ जाएं।  - कांग्रेस-जदएस के दो तिहाई विधायकों यानी कांग्रेस के 52 और जेडीएस के 26 विधायकों को वह अपने खेमे में कर ले।  - दो तिहाई सदस्यों के बागी होने पर दलबदल कानून लागू नहीं होगा। हालांकि इसकी संभावना सबसे कम है।

वहीं सुप्रीम कोर्ट में प्रोटेम स्पीकर पर कांग्रेस-जेडीएस की याचिका पर सुनवाई हो चुकी है और सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस को झटका देते हुए कहा कि वो राज्यपाल के फैसले को नहीं बदल सकती और वो भाजपा का ही रहेगा। इसके अलावा कोर्ट ने बहुमत परीक्षण के दौरान मत विभाजन करने और इसका लोकल चैनल्स पर लाइव प्रसारण करने के निर्देश भी दिए हैं।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस-जेडीएस की याचिका पर मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को आज शाम 4 बजे तक बहुमत साबित करने का निर्देश दिया है। राज्यपाल वजुभाई वाला ने उन्हें 15 दिन की मोहलत दी थी, कोर्ट ने घटाकर 3 दिन कर दी।

– बहुमत परीक्षण के लिए मुख्यमंत्री येदियुरप्पा भाजपा विधायकों के साथ विधानसभा पहुंच चुके हैं वहीं कांग्रेस और जेडीएस विधायक भी बसों में विधानसभा पहुंचे हैं।

– बहुमत परीक्षण के लिए बुलास सत्र में हिस्सा लेने कांग्रेस नेता सिद्धारमैया विधानसभा पहुंच चुके हैं।

– बहुमत परीक्षण से पहले येदियुरप्पा शांगरी ला होटल पहुंचे।

– येदियुरप्पा ने कहा कि मैं 100 प्रतिशत बहुमत साबित करूंगा। कल मैं वो सभी फैसले लूंगा जो मैंने चुनाव में जनता से किए थे।

– बहुमत परीक्षण के चलते विधानसभा के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

– भाजपा नेता सदानंद गौड़ा ने कहा है कि शाम 4.30 बजे तक का इंतजार करें, येदियुरप्पा अगले 5 साल के लिए मुख्यमंत्री होंगे।

– अनंत कुमार ने कहा कि कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन अपवित्र है और उन्हें रिजेक्ट कर दिया जाएगा।

– कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि नंबर हमारे पक्ष में हैं। हम सरकार बनाएंगे, सारे विधायक हमारे साथ हैं।

– सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हैदराबाद में रखे गए कांग्रेस और जेडीएस विधायक विशेष बसों में कड़ी सुरक्षा के बीच शनिवार सुबह बेंगलुरु पहुंचे। सभी विधायक यहां के होटल हिल्टन में रहेंगे।

सुप्रीम कोर्ट के अहम निर्देश

-बहुमत साबित होने तक सीएम येदियुरप्पा कोई नीतिगत फैसले न लें।

-एंग्लो इंडियन सदस्य की नियुक्ति व शक्ति परीक्षण में भाग लेने पर रोक।

-कर्नाटक के डीजीपी विधायकों, विधानसभा के बाहर सुरक्षा सुनिश्चित करें।

नहीं दिया सोमवार तक वक्त

जस्टिस एके सीकरी की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष भाजपा व येदियुरप्पा की ओर से पैरवी करते हुए वकील मुकुल रोहतगी ने बहुमत साबित करने के लिए सोमवार तक का वक्त मांगा, लेकिन कोर्ट ने इनकार करते हुए कहा, पहले भी 36 व 48 घंटे में ऐसा परीक्षण कराया गया है। कांग्रेस-जेडीएस की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने सवाल किया कि जिस दल के पास बहुमत नहीं है, क्या उसे न्योता देना उचित है? कांग्रेस का पक्ष कपिल सिब्बल व पी. चिदंबरम ने रखा।

रोहतगी की दलीलें…

-किसे सरकार बनाने का न्योता देना यह राज्यपाल का विवेकाधिकार है।

-राज्यपाल स्थाई सरकार कौन-सा दल दे सकता है, इस आधार पर न्योता दे सकते हैं।

-सरकारिया आयोग ने बहुमत साबित करने के लिए 30 दिन के वक्त की सिफारिश की है, जबकि राज्यपाल ने 15 दिन का ही वक्त दिया।

-कांग्रेस व जेडीएस के बीच कोई चुनाव पूर्व गठबंधन नहीं था। इन्होंने चुनाव बाद अनैतिक गठबंधन किया है। चुनाव में उनकी हार हुई है।

-कांग्रेस विधायक आनंद सिंह ने कांग्रेस के पत्र पर दस्तखत नहीं किए हैं, इससे उस पत्र पर विचार नहीं हो सकता।

सिंघवी, सिब्बल की दलीलें

-येदियुरप्पा ने राज्यपाल को पहला पत्र 15 मई को शाम 5 बजे लिखा, जब काउंटिंग जारी थी।

-तब चुनाव आयोग ने विधायकों को सर्टिफिकेट भी नहीं दिए थे। यह भी तय नहीं हुआ था कि बहुमत किसे मिल रहा है।

-येदि के दावे में किसी विधायक के दस्तखत नहीं हैं, लेकिन हमारे दावे में विधायकों के दस्तखत हैं।

-राज्यपाल को सौंपे गए पत्र में विधायकों के हस्ताक्षर न हों, तब तक वह विवेकाधिकार का उपयोग नहीं कर सकते।

2010 में बोपैया ने बचाई थी येदियुरप्पा की सरकार

राज्यपाल वजुभाई वाला ने भाजपा के वरिष्ठ नेता केजी बोपैया को विस का प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया है। उन्होंने स्पीकर रहते हुए 2010 में 16 विधायकों को अयोग्य घोषित कर येदियुरप्पा सरकार बचाई थी। यह मामला भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। तब कोर्ट ने उसके खिलाफ कठोर टिप्पणियां की थीं। इसे मुद्दा बनाकर कांग्रेस ने शुक्रवार शाम फिर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी। मामले की अर्जेंट सुनवाई का आग्रह किया गया है।

विस में क्या हो सकते हैं दांव-पेंच

दलीय स्थिति

कुल सीटें : 224

प्रभावी संख्या : 221 (कुमारस्वामी का एक वोट कम हुआ, वह दो सीटों से जीते हैं)

बहुमत : 111

भाजपा : 104 (बहुमत से 07 कम)

कांग्रेस : 78 जदएस+ : 37अन्य : 02

ऐसा हो तो भाजपा की जीत

– कांग्रेस-जदएस के जो 14 विधायक गायब माने जा रहे हैं। वे सदन की कार्यवाही से गैरहाजिर रहें।

– कांग्रेस व जदएस के 31 लिंगायत विधायक जातीय आधार पर येदियुरप्पा के पक्ष में आ जाएं।

– कांग्रेस-जदएस के दो तिहाई विधायकों यानी कांग्रेस के 52 और जेडीएस के 26 विधायकों को वह अपने खेमे में कर ले।

– दो तिहाई सदस्यों के बागी होने पर दलबदल कानून लागू नहीं होगा। हालांकि इसकी संभावना सबसे कम है।

 

 
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