किसी एक कंपनी को लाभ देने के मकसद से नहीं लाया गया IBC अध्यादेश: पीयूष गोयल

किसी एक कंपनी को लाभ देने के मकसद से नहीं लाया गया IBC अध्यादेश: पीयूष गोयल

मोदी सरकार ने विपक्ष के इस आरोप को खारिज किया है कि केंद्र ने एक कंपनी को फायदा पहुंचाने के मकसद से दिवालियेपन पर कानून (आइबीसी) में संशोधन के लिए अध्यादेश जारी किया था। कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने साफ कहा कि सरकार ने यह अध्यादेश मकान खरीदने वालों और छोटे व मझोले उद्योगों (एसएमई) के लाभ के लिए जारी किया। उन्होंने साफ कहा कि पहले जहां सरफेसी कानून और बीआइएफआर के तंत्र के माध्यम से मात्र 10-20 फीसद बैंक कर्जो की रिकवरी हो पाती थी लेकिन आइबीसी के तहत कर्ज की रिकवरी 55 प्रतिशत हो गयी है और अब बैंकों का पैसा वापस आ रहा है।किसी एक कंपनी को लाभ देने के मकसद से नहीं लाया गया IBC अध्यादेश: पीयूष गोयल

गोयल ने मंगलवार को लोकसभा में इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (द्वितीय संशोधन) विधेयक 2018 पर चार घंटे से अधिक चली चर्चा का जवाब देते हुए यह कही। गोयल के जवाब से असंतुष्ट विपक्षी कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने सदन से वाकआउट किया, जिसके बाद लोकसभा ने यह विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिया। सरकार ने आइबीसी में संशोधन के लिए जून में अध्यादेश जारी किया था। इसलिए इस अध्यादेश की जगह की यह विधेयक लाया गया है।

कांग्रेस नेता मल्लिकाजरुन खड़गे सहित विपक्ष के कई नेताओं ने सरकार पर आरोप लगाया कि रिलायंस इंडस्ट्रीज द्वारा आलोक इंडस्ट्रीज के अधिग्रहण में मदद के लिए यह अध्यादेश लाया गया था। वहीं आरएसपी सदस्य एनके प्रेमचंद्रन, तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय और बीजद नेता भृतहरि माहताब ने भी यह आरोप लगाकर सरकार को घेरते हुए सवाल किया कि जब संसद का मानसून सत्र जुलाई में शुरू होने वाला था तो यह अध्यादेश क्यों जारी किया और इससे क्या फायदा हुआ। इसके जवाब में गोयल ने कहा कि लोग सरकार से तत्काल कदम उठाने की उम्मीद रखते हैं और इसे अच्छा माना जाता है। इसलिए सरकार ने यह अध्यादेश जारी किया। उन्होने कहा कि सरकार का जोर फंसे कर्ज वाली कंपनियों को बंद करने पर नहीं बल्कि उनका समाधान निकालने पर है ताकि नौकरियों को बचाया जा सके। गोयल ने स्पष्ट किया कि इस विधेयक के प्रावधान पूर्व प्रभाव से लागू नहीं होंगे।

दरअसल विपक्षी सदस्यों को इस विधेयक के उस प्रावधान पर ऐतराज था जिसके तहत कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स में कोई भी महत्वपूर्ण फैसला लेने के लिए जरूरी 75 प्रतिशत मतसंख्या को घटाकर 66 प्रतिशत किया गया है। विपक्ष का आरोप था कि यह एक कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए किया जा रहा है। विपक्षी सदस्यों ने इस विधेयक को संसद की वित्त मामलों संबंधी स्थाई समिति के पास भेजने की मांग भी की। गोयल ने कहा कि इस विधेयक में यह प्रावधान किया गया है जिसके बाद मकान खरीदने वाले लोग भी कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स में शामिल होंगे और उनके हितों का बचाव किया जा सकेगा। साथ ही एसएमई को भी फायदा होगा।
English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com