सोशल मीडिया दिग्गज फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग आज दूसरे दिन अमेरिकी कांग्रेस के सामने हाजिर हुए हैं. यहां फिर उनसे तीखे सवाल पूछे जा रहे हैं. जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया है कि जकरबर्ग कैंब्रिज एनालिटिका डेटा लीक के मामले पर सवालों से घिरे हैं. इस दौरान एक सवाल के जवाब में कहा कि कभी-कभी फेसबुक से जुड़ी घटनाओं के संदर्भ में जानकारियां उन्हें प्रेस से मिलती हैं. दरअसल सवाल जवाब के दूसरे दिन की कड़ी में जब अमेरिकी सांसदों ने सवाल किया- फेसबुक के पास एडवांस्ड डेटा प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी है. इसके बावजूद क्या आपको ऐसे स्कैंडल्स के बारे में प्रेस से पता चलता है? एलेग्जेंडर कोगन ने आपके यूजर डेटा को एक एजेंसी को बेच देता है, तब भी आपको भनक नहीं लगती? हम आपके वादों पर भरोसा क्यों करें जब आप लगातार ऐसा कर रहे हैं? जवाब में जकरबर्ग ने कहा कि हां, 2015 में पहली बार हमें गार्डियन की रिपोर्ट के बाद कैम्ब्रिज एनालिटिका के बारे में पता चला था. कई बार हमें इस तरह के उल्लंघन के बारे में प्रेस से पता चलता है. गौरतलब है कि, 2015 में कोगन ने डेटा अपने ऐप के जरिए डेटा इकट्ठा किया था और ये जानकारियां कोगन ने कैम्ब्रिज एनालिटिका को दे दी थी. लेकिन फेसबुक ने दिसंबर 2015 में गार्डियन की रिपोर्ट सामने आने के बाद उस पर कार्रवाई शुरू किया था. इसके अलावा भी जकरबर्ग जब पूछा गया कि क्या फेसबुक के पास ऐसी तकनीक है जिससे वो पता लगा सकते हैं कि कोई बाहरी ताकत इलेक्शन को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है. जवाब में जकरबर्ग ने कहा कि, 2016 चुनाव के बाद से कंपनी इस पर लगातार काम कर रही है, ताकि आने वाले समय में ऐसा न हो और रूस जैसी कोई बाहरी ताकत चुनाव को प्रभावित ना कर सके.

किस काम की तकनीक? जकरबर्ग बोले- लीक का पता अखबार पढ़कर चला

सोशल मीडिया दिग्गज फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग आज दूसरे दिन अमेरिकी कांग्रेस के सामने हाजिर हुए हैं. यहां फिर उनसे तीखे सवाल पूछे जा रहे हैं. जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया है कि जकरबर्ग कैंब्रिज एनालिटिका डेटा लीक के मामले पर सवालों से घिरे हैं. इस दौरान एक सवाल के जवाब में कहा कि कभी-कभी फेसबुक से जुड़ी घटनाओं के संदर्भ में जानकारियां उन्हें प्रेस से मिलती हैं.सोशल मीडिया दिग्गज फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग आज दूसरे दिन अमेरिकी कांग्रेस के सामने हाजिर हुए हैं. यहां फिर उनसे तीखे सवाल पूछे जा रहे हैं. जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया है कि जकरबर्ग कैंब्रिज एनालिटिका डेटा लीक के मामले पर सवालों से घिरे हैं. इस दौरान एक सवाल के जवाब में कहा कि कभी-कभी फेसबुक से जुड़ी घटनाओं के संदर्भ में जानकारियां उन्हें प्रेस से मिलती हैं.  दरअसल सवाल जवाब के दूसरे दिन की कड़ी में जब अमेरिकी सांसदों ने सवाल किया- फेसबुक के पास एडवांस्ड डेटा प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी है. इसके बावजूद क्या आपको ऐसे स्कैंडल्स के बारे में प्रेस से पता चलता है? एलेग्जेंडर कोगन ने आपके यूजर डेटा को एक एजेंसी को बेच देता है, तब भी आपको भनक नहीं लगती? हम आपके वादों पर भरोसा क्यों करें जब आप लगातार ऐसा कर रहे हैं?  जवाब में जकरबर्ग ने कहा कि हां, 2015 में पहली बार हमें गार्डियन की रिपोर्ट के बाद कैम्ब्रिज एनालिटिका के बारे में पता चला था. कई बार हमें इस तरह के उल्लंघन के बारे में प्रेस से पता चलता है.  गौरतलब है कि, 2015 में कोगन ने डेटा अपने ऐप के जरिए डेटा इकट्ठा किया था और ये जानकारियां कोगन ने कैम्ब्रिज एनालिटिका को दे दी थी. लेकिन फेसबुक ने दिसंबर 2015 में गार्डियन की रिपोर्ट सामने आने के बाद उस पर कार्रवाई शुरू किया था.  इसके अलावा भी जकरबर्ग जब पूछा गया कि क्या फेसबुक के पास ऐसी तकनीक है जिससे वो पता लगा सकते हैं कि कोई बाहरी ताकत इलेक्शन को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है. जवाब में जकरबर्ग ने कहा कि, 2016 चुनाव के बाद से कंपनी इस पर लगातार काम कर रही है, ताकि आने वाले समय में ऐसा न हो और रूस जैसी कोई बाहरी ताकत चुनाव को प्रभावित ना कर सके.

दरअसल सवाल जवाब के दूसरे दिन की कड़ी में जब अमेरिकी सांसदों ने सवाल किया- फेसबुक के पास एडवांस्ड डेटा प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी है. इसके बावजूद क्या आपको ऐसे स्कैंडल्स के बारे में प्रेस से पता चलता है? एलेग्जेंडर कोगन ने आपके यूजर डेटा को एक एजेंसी को बेच देता है, तब भी आपको भनक नहीं लगती? हम आपके वादों पर भरोसा क्यों करें जब आप लगातार ऐसा कर रहे हैं?

जवाब में जकरबर्ग ने कहा कि हां, 2015 में पहली बार हमें गार्डियन की रिपोर्ट के बाद कैम्ब्रिज एनालिटिका के बारे में पता चला था. कई बार हमें इस तरह के उल्लंघन के बारे में प्रेस से पता चलता है.

गौरतलब है कि, 2015 में कोगन ने डेटा अपने ऐप के जरिए डेटा इकट्ठा किया था और ये जानकारियां कोगन ने कैम्ब्रिज एनालिटिका को दे दी थी. लेकिन फेसबुक ने दिसंबर 2015 में गार्डियन की रिपोर्ट सामने आने के बाद उस पर कार्रवाई शुरू किया था.

इसके अलावा भी जकरबर्ग जब पूछा गया कि क्या फेसबुक के पास ऐसी तकनीक है जिससे वो पता लगा सकते हैं कि कोई बाहरी ताकत इलेक्शन को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है. जवाब में जकरबर्ग ने कहा कि, 2016 चुनाव के बाद से कंपनी इस पर लगातार काम कर रही है, ताकि आने वाले समय में ऐसा न हो और रूस जैसी कोई बाहरी ताकत चुनाव को प्रभावित ना कर सके.

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