केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने किया दावा, कहा- आजादी के बाद जब नेहरू ने मांगी थी RSS से मदद

केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने किया दावा, कहा- आजादी के बाद जब नेहरू ने मांगी थी RSS से मदद

पिछले दिनों आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के तीन दिनों के भीतर सेना तैयार करने वाले बयान के बाद लगातार सुर्खियों में बने हुए है। भागवत के इस बयान के बाद जहां कांग्रेस इसे सेना का अपमान बता रही है वहीं केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने दावा किया है कि आजादी के बाद जब पाकिस्तान ने हमला किया था तब प्रधानमंत्री जवाहलाल नेहरू ने आरएसएस से मदद मांगी थी।केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने किया दावा, कहा- आजादी के बाद जब नेहरू ने मांगी थी RSS से मददअभी-अभी: बिहार के आरा में ब्लास्ट से मचा हड़कंप, 4 संदिग्ध फरार, 1 गिरफ्तार
उमा भारती ने एकबार फिर से इतिहास की तरफ ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि आजादी के बाद कश्मीर के राजा महाराजा हरि सिंह संधि पर हस्ताक्षर नहीं कर रहे थे और शेख अब्दुल्ला ने हस्ताक्षर करने के लिए उनपर दबाव डाला था। तेब नेहरू दुविधा की स्थिति में आ गए थे। आजादी के बाद जब भारत पाकिस्तान राज्यों के विलय के लिए संधि कर रहे थे।तभी भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई थी। 

उमा ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि पाकिस्तान ने भारत पर हमला कर दिया था और उसके सैनिक उधमपुर की तरफ बढ़ने लगे। उस समय नेहरूजी ने गुरू गोवलकर (उस समय के आरएसएस प्रमुख एम एस गोवलकर) आरएसएस के स्वयंसेवकों की मदद मांगी, जिसके बाद आरएसएस स्वयंसेवक मदद को जम्मू-कश्मीर गए थे। 

भागवत अपने बयानों की वजह से अकसर ही चर्चा  में बने रहते हैं

वैसे भागवत अपने बयानों की वजह से अकसर ही चर्चा  में बने रहते हैं। इसके पहले भागवत ने कहा था कि स्वयंसेवक देश की रक्षा के लिए हमेशा तैयार हैं, अगर देश को जरूरत पड़ी तो वे तीन दिन में ही सेना के रूप में मातृभूमि की रक्षा के लिए तैयार हो जाएंगे। भागवत के इस बयान के बाद विपक्ष ने हंगामा खड़ा कर दिया और इसे देश के लिए जान न्योछावर करने वालों का अपमान बताया था।

पिछले दिनों उमा भारती ने ऐलान किया था कि वह अब चुनाव नहीं लड़ेगी पार्टी के लिए काम करेंगी।  ऐसा उन्होंने खुद एलान किया था। मगर अब उन्होंने खुद ही इसका खंडन करते हुए कहा है कि वह सिर्फ अगले तीन साल तक चुनाव नहीं लड़ेंगी। उमा भारती ने कहा कि कमर और घुटने में दर्द की वजह से मैं अगले तीन साल तक आराम करना चाहती हूं और कोई चुनाव नहीं लड़ूंगी।

हालांकि अभी मंत्री पद पर बनी रहूंगी। मेरी राज्यसभा में भी जाने की कोई इच्छा नहीं है। वहीं उन्होंने यह भी कहा कि व्यापमं घोटाले में मेरा नाम आना जीवन का सबसे दुखद क्षण था। घोटाले में मेरा नाम अनुचित था।

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