बुरी तरह हारने के बाद एक बार फिर केजरीवाल देख रहे हैं प्रधानमंत्री बनने के सपने

विधानसभा चुनावों और दिल्ली में नगर निगम में बुरी तरह से हार के बाद थोड़े ठंडे पड़े अरविंद केजरीवाल फिर से प्रधानमंत्री बनने के सपने देखने लगे हैं। 2014 में भी उनका ये सपना बुरी तरह टूटा था, लेकिन 2019 के लिए उन्होंने अभी से रणनीति बनाने का काम शुरू कर दिया है। केजरीवाल और उनके करीबियों को लग रहा है कि किसानों का मुद्दा जोर-शोर से उठाकर वो 2019 के लोकसभा चुनाव में अच्छी-खासी सीटें हासिल कर सकेंगे। इसी के इर्द-गिर्द पिछले हफ्ते एक बैठक भी बुलाई गई, जिसमें देशव्यापी किसान आंदोलन की रणनीति बनाई गई। इस सिलसिले में केजरीवाल काफी समय दिल्ली से बाहर भी रहेंगे। सूत्रों के मुताबिक बैठक में केजरीवाल ने कहा कि मंदसौर में हुई गोलीबारी से किसान गुस्सा हैं। कांग्रेस इस गुस्से का फायदा नहीं उठा पाएगी, क्योंकि उसके कई नेताओं के नाम सामने आ गए हैं। ऐसे में आम आदमी पार्टी के लिए ये सुनहरा मौका है जब वो किसानों के मुद्दे को चुनावी जीत में कैश करवा ले।

बुरी तरह हारने के बाद एक बार फिर केजरीवाल देख रहे हैं प्रधानमंत्री बनने के सपनेफिर दिल्ली से हटा फोकस

आम आदमी पार्टी के सूत्रों के मुताबिक केजरीवाल एक बार फिर से दिल्ली से जुड़े कामों के बजाय दूसरे राज्यों पर अधिक फोकस कर रहे हैं। पिछले दिनों सारी तैयारियां एमपी, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों से जुड़ी रही हैं। केजरीवाल ने ही तय किया है कि 15 जुलाई से आम आदमी पार्टी किसानों का देशव्यापी आंदोलन शुरू करेगी। पहले चरण में 20 राज्यों में जुलाई और अगस्त में किसान सम्मेलन किए जाएंगे। जबकि 11 सितंबर से किसान यात्रा शुरू की जाएगी। इसकी शुरुआत मध्य प्रदेश से होगी, जहां जल्द ही विधानसभा के चुनाव होने हैं। आम आदमी पार्टी के रणनीतिकारों को लग रहा है कि पहले विधानसभा और बाद में लोकसभा चुनावों में इससे फायदा होगा। पार्टी चाहती है कि लोकसभा चुनाव के लिए केजरीवाल को संभावित प्रधानमंत्री के तौर पर अभी से प्रोजेक्ट किया जाए।

अभी-अभी: करीना को सताया ३ तलाक और हलाला का डर बोली “कर लुंगी आत्महत्या”

केजरीवाल के चेहरे पर ज़ोर

आंदोलन की जो रूपरेखा तैयार की गई है, उसमें बात तो किसानों की होगी, लेकिन पोस्टर बैनर और तमाम दूसरी प्रचार सामग्री केजरीवाल के चेहरे के इर्द-गिर्द होगी। 2 अक्टूबर को जंतर मंतर पर किसानों के मुद्दे पर धरना होगा जिसमें केजरीवाल खुद शामिल होंगे। इसके बाद रामलीला मैदान में राष्ट्रीय किसान रैली का आयोजन किया जाएगा। पिछले कई महीनों से लगातार बीजेपी के निशाने पर खड़े केजरीवाल को किसानों के आंदोलन के नाम पर मोदी सरकार को घेरने का एक बड़ा मौका दिख रहा है। यह ठीक उसी तरह है जैसे कि 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले केजरीवाल करप्शन के मुद्दे पर देशभर में अपनी इमेज चमकाने में कामयाब हो गए थे। और मीडिया उन्हें अगले प्रधानमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट भी करने लगा था। उन्होंने लोकसभा में करीब 500 सीटों पर उम्मीदवार भी खड़े कर दिए, लेकिन ज्यादातर की जमानत भी जब्त हो गई।

पीएम बनना चाहते हैं केजरीवाल

यह बात अक्सर कही जाती है कि केजरीवाल उस पद से संतुष्ट नहीं रहते जहां पर वो हैं। जब वो दिल्ली के मुख्यमंत्री बने तो वो यहां से भी भागने की कोशिश में लग गए। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी चरम पर है। ज्यादातर बड़े नेता एक-दूसरे की शक्ल देखना भी पसंद नहीं करते। निचले स्तर पर कार्यकर्ताओं का मनोबल बुरी तरह से टूटा हुआ है। लेकिन पार्टी नेतृत्व चाहता है कि प्रचार और आक्रामक तेवरों के दम पर वो 2019 में प्रधानमंत्री पद के लिए भी अपना दांव आजमाएं। अगर किसी तरह से 30-40 सीटें आ गईं और बीजेपी बहुमत से दूर रह गई तो प्रधानमंत्री पद के लिए उनका दावा मजबूत रहेगा। केजरीवाल के ये आंकलन सच्चाई के कितने करीब हैं फिलहाल यह तो 2019 के चुनाव के बाद ही पता चल पाएगा।

English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com