केन्द्रीय मंत्री जुएल ओराम ने अनुसूचित जाति और जनजातियों को सफल उद्यमी बनने और बैंक से ऋण लेने के लिए भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या की तरह स्मार्ट होने का मशवरा दिया. जनजातीय उद्यमी कॉन्क्लेव 2018 अपने विचार रखते हुए जनजातीय कल्याण मंत्री ने कहा कि सरकार अलग-अलग योजनाओं के माध्यम से आदिवासी उद्यमियों को प्रोत्साहित करेगी. उन्होंने कहा कि हालांकि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को शिक्षा, नौकरियों और राजनीति में आरक्षण मिला हुआ है , लेकिन नुकसान यह है कि ज्ञान और प्रतिभा के संदर्भ में उनके साथ दूसरे लोगों के बराबर व्यवहार नहीं किया जाता है. उन्होंने कहा,‘‘हमें उद्यमी बनना चाहिए, हमें बुद्धिमान बनना चाहिए. हमें स्मार्ट बनना चाहिए. हमें जानकारी हासिल करनी चाहिए. सूचना शक्ति है. जिनके पास जानकारी है, वे सत्ता को नियंत्रित करते हैं.’’ उन्होंने कहा,‘‘आप लोग विजय माल्या की आलोचना करते हैं. लेकिन विजय माल्या क्या है? वह बुद्धिमान है. उसने कुछ बुद्धिमान लोगों को नौकरी पर रखा. उसने यहां और वहां बैंककर्मियों, राजनेताओं, सरकार के साथ इधर-उधर किया.’’ ओराम ने पूछा, ‘‘उसने (माल्या) उन्हें खरीदा. किसने आपको (स्मार्ट होने से) रोका है? आदिवासियों से व्यवस्था को प्रभावित नहीं करने के लिए किसने पूछा? किसने आपको बैंककर्मियों को प्रभावित करने से रोका.’’ उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इच्छा है कि एससी और एसटी लम्बे समय तक रोजगार पाने वाले नहीं रहने चाहिए बल्कि वे रोजगार देने वाले होने चाहिए. हमें उनकी इच्छा को पूरा करना चाहिए. एक मंत्री के रूप में इसके लिए मैं प्रतिबद्ध हूं.’’

केन्द्रीय मंत्री का मशवरा, माल्या की तरह स्मार्ट बनो, राजनेताओं के साथ ….

केन्द्रीय मंत्री जुएल ओराम ने अनुसूचित जाति और जनजातियों को सफल उद्यमी बनने और बैंक से ऋण लेने के लिए भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या की तरह स्मार्ट होने का मशवरा दिया. जनजातीय उद्यमी कॉन्क्लेव 2018 अपने विचार रखते हुए जनजातीय कल्याण मंत्री ने कहा कि सरकार अलग-अलग योजनाओं के माध्यम से आदिवासी उद्यमियों को प्रोत्साहित करेगी. उन्होंने कहा कि हालांकि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को शिक्षा, नौकरियों और राजनीति में आरक्षण मिला हुआ है , लेकिन नुकसान यह है कि ज्ञान और प्रतिभा के संदर्भ में उनके साथ दूसरे लोगों के बराबर व्यवहार नहीं किया जाता है.केन्द्रीय मंत्री जुएल ओराम ने अनुसूचित जाति और जनजातियों को सफल उद्यमी बनने और बैंक से ऋण लेने के लिए भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या की तरह स्मार्ट होने का मशवरा दिया. जनजातीय उद्यमी कॉन्क्लेव 2018 अपने विचार रखते हुए जनजातीय कल्याण मंत्री ने कहा कि सरकार अलग-अलग योजनाओं के माध्यम से आदिवासी उद्यमियों को प्रोत्साहित करेगी. उन्होंने कहा कि हालांकि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को शिक्षा, नौकरियों और राजनीति में आरक्षण मिला हुआ है , लेकिन नुकसान यह है कि ज्ञान और प्रतिभा के संदर्भ में उनके साथ दूसरे लोगों के बराबर व्यवहार नहीं किया जाता है.    उन्होंने कहा,‘‘हमें उद्यमी बनना चाहिए, हमें बुद्धिमान बनना चाहिए. हमें स्मार्ट बनना चाहिए. हमें जानकारी हासिल करनी चाहिए. सूचना शक्ति है. जिनके पास जानकारी है, वे सत्ता को नियंत्रित करते हैं.’’ उन्होंने कहा,‘‘आप लोग विजय माल्या की आलोचना करते हैं. लेकिन विजय माल्या क्या है? वह बुद्धिमान है. उसने कुछ बुद्धिमान लोगों को नौकरी पर रखा. उसने यहां और वहां बैंककर्मियों, राजनेताओं, सरकार के साथ इधर-उधर किया.’’    ओराम ने पूछा, ‘‘उसने (माल्या) उन्हें खरीदा. किसने आपको (स्मार्ट होने से) रोका है? आदिवासियों से व्यवस्था को प्रभावित नहीं करने के लिए किसने पूछा? किसने आपको बैंककर्मियों को प्रभावित करने से रोका.’’ उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इच्छा है कि एससी और एसटी लम्बे समय तक रोजगार पाने वाले नहीं रहने चाहिए बल्कि वे रोजगार देने वाले होने चाहिए. हमें उनकी इच्छा को पूरा करना चाहिए. एक मंत्री के रूप में इसके लिए मैं प्रतिबद्ध हूं.’’

उन्होंने कहा,‘‘हमें उद्यमी बनना चाहिए, हमें बुद्धिमान बनना चाहिए. हमें स्मार्ट बनना चाहिए. हमें जानकारी हासिल करनी चाहिए. सूचना शक्ति है. जिनके पास जानकारी है, वे सत्ता को नियंत्रित करते हैं.’’ उन्होंने कहा,‘‘आप लोग विजय माल्या की आलोचना करते हैं. लेकिन विजय माल्या क्या है? वह बुद्धिमान है. उसने कुछ बुद्धिमान लोगों को नौकरी पर रखा. उसने यहां और वहां बैंककर्मियों, राजनेताओं, सरकार के साथ इधर-उधर किया.’’

ओराम ने पूछा, ‘‘उसने (माल्या) उन्हें खरीदा. किसने आपको (स्मार्ट होने से) रोका है? आदिवासियों से व्यवस्था को प्रभावित नहीं करने के लिए किसने पूछा? किसने आपको बैंककर्मियों को प्रभावित करने से रोका.’’ उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इच्छा है कि एससी और एसटी लम्बे समय तक रोजगार पाने वाले नहीं रहने चाहिए बल्कि वे रोजगार देने वाले होने चाहिए. हमें उनकी इच्छा को पूरा करना चाहिए. एक मंत्री के रूप में इसके लिए मैं प्रतिबद्ध हूं.’’

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