पिछले माह हुए कैबिनेट विस्तार के ही पंजाब कांग्रेस में बगावत के सुर फूट पड़े थे। ओबीसी समुदाय को प्रतिनिधित्व न दिए जाने को लेकर अमरगढ़ के विधायक सुरजीत सिंह धीमान और उड़मुड़ के संगत सिंह गिलजियां ने पार्टी के पदों से इस्तीफा दे दिया था। वहीं, वाल्मीकि समुदाय को नजरंदाज किए जाने के कारण राजकुमार वेरका भी नाराज हो गए थे। अभी यह मामला पूर्ण रूप से शांत भी नहीं हुआ था कि छह बार के विधायक राकेश पांडे और चार-चार बार के विधायक अमरीक सिंह ढिल्लों और रणदीप सिंह नाभा ने विधानसभा की कमेटियों से इस्तीफा दे दिया था।

कैप्‍टन से नाराज विधायक मानने को तैयार नहीं, इस्तीफे स्पीकर के पास अटके

कैलाश नाथ]। कैप्‍टन अमरिंदर सिंह कैबिनेट विस्तार के बाद पार्टी में वरिष्ठता को नजरंदाज करने से नाराज होकर तीन विधायकों ने विधानसभा कमेटियों से इस्तीफा दे दिया था। लेकिन, अभी तक इनके इस्तीफे स्पीकर के पास ही पड़े हैं। इस्तीफा देने वालों में विधायक लुधियाना नॉर्थ के राकेश पांडे, अमलोह के रणदीप सिंह नाभा और समराला के अमरीक सिंह ढिल्लों शामिल हैं। तीनों ने 14 मई को विधानसभा की कमेटी से इस्तीफा दिया था। ये विधायक अपने इस्‍तीफे वापस लेने को तैयार नहीं हैं।पिछले माह हुए कैबिनेट विस्तार के ही पंजाब कांग्रेस में बगावत के सुर फूट पड़े थे। ओबीसी समुदाय को प्रतिनिधित्व न दिए जाने को लेकर अमरगढ़ के विधायक सुरजीत सिंह धीमान और उड़मुड़ के संगत सिंह गिलजियां ने पार्टी के पदों से इस्तीफा दे दिया था। वहीं, वाल्मीकि समुदाय को नजरंदाज किए जाने के कारण राजकुमार वेरका भी नाराज हो गए थे। अभी यह मामला पूर्ण रूप से शांत भी नहीं हुआ था कि छह बार के विधायक राकेश पांडे और चार-चार बार के विधायक अमरीक सिंह ढिल्लों और रणदीप सिंह नाभा ने विधानसभा की कमेटियों से इस्तीफा दे दिया था।

तीन विधायकों ने दिया था विधानसभा कमेटियों से इस्तीफा

इस्तीफे के 24 दिन बीत जाने के बावजूद स्पीकर राणा केपी सिंह ने अभी इसे स्वीकार नहीं किया है। वे विधायकों की नाराजगी दूर करना चाहते थे, लेकिन राकेश पांडे, अमरीक सिंह ढिल्लों और रणदीप सिंह नाभा मानने को तैयार नहीं हो रहे। माना जा रहा है कि विधायकों की ओर से कोई सकारात्मक रिस्पॉन्स न देने के कारण अब स्पीकर को इस्तीफे पर अंतिम फैसला लेना होगा।

राकेश पांडे सरकारी कारोबार कमेटी के चेयरमैन और अमरीक सिंह ढिल्लों लाइब्रेरी कमेटी के चेयरमैन हैं। विधायकों ने चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया था, इस वजह से कमेटी की बैठकें प्रभावित हो रही हैं। इसकी वजह से स्पीकर के पास अब कोई चारा नहीं रह गया है। माना जा रहा है कि विधायकों के न मानने की स्थिति में स्पीकर के पास इस्तीफा स्वीकार करना ही आखिरी विकल्प होगा।

पिछले माह हुए कैबिनेट विस्तार के ही पंजाब कांग्रेस में बगावत के सुर फूट पड़े थे। ओबीसी समुदाय को प्रतिनिधित्व न दिए जाने को लेकर अमरगढ़ के विधायक सुरजीत सिंह धीमान और उड़मुड़ के संगत सिंह गिलजियां ने पार्टी के पदों से इस्तीफा दे दिया था। वहीं, वाल्मीकि समुदाय को नजरंदाज किए जाने के कारण राजकुमार वेरका भी नाराज हो गए थे। अभी यह मामला पूर्ण रूप से शांत भी नहीं हुआ था कि छह बार के विधायक राकेश पांडे और चार-चार बार के विधायक अमरीक सिंह ढिल्लों और रणदीप सिंह नाभा ने विधानसभा की कमेटियों से इस्तीफा दे दिया था।

 
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