कैसे हुई कमल की उत्पत्ति: शिव के बीज से जन्मा फूल

#tosnews कैसे हुई कमल की उत्पत्ति: शिव के बीज से जन्मा फूल
#tosnews कमल के फूल को आदि काल से ही सर्वश्रेष्ठ माना गया है। कमल के फूल का गुणगान पौराणिक कथाओं में मिलता है। उदाहरण के तौर पर कमल के फूल का प्रयोग किया जाता है। कमल का फूल कीचड़ में जन्म लेने के बावजूद भी उसमें कीचड़ नहीं लगता है। भारत का राष्ट्रीय फूल कमल को पावन माना गया है जो पौराणिक समय से ही भारत में पाया गया । वहीं कमल के फूल को बहुगुणी औषधि के रूप में भी प्रयोग में लाया गया है। कमल का फूल आध्यात्म से जुड़ा हुआ है और ज्ञान पवित्रता का प्रतीक भी माना जाता है। आज हम जानेंगे कमल के फूल की उत्पत्ति कैसे हुई –
#tosnews कमल के फूल की उत्पत्ति कैसे हुई –
समुद्र मंथन से निकला कमल #tosnews
#tosnews पुराणों में कमल के जन्म के भी बहुत सारी कथाएं मिलती हैं। इसकी सबसे प्रचलित कथा है समुद्र मंथन की। इसमें कहा गया है कि जब देवता और असुरों के बीच समुद्र मंथन हो रहा था, तब उससे मंथन में 14 रत्न निकले थे। उन्हीं रत्नों में से एक रत्न में कमल पर विराजमान माता लक्ष्मी भी उत्पन्न हुई थी। इसी के आधार पर कमल के फूल की उत्पत्ति समुद्र से मानी जाती है। भगवत पुराण में कहा गया है कि सृष्टि की रचना के लिए भगवान विष्णु ने अपनी नाभि से कमल को उत्पन्न किया था जिससे कमल की रचना हुई । इस कमल पर ब्रह्माजी विराजित होते हैं ।
भगवान विष्णु की नाभि से निकला कमल – #tosnews
जब भगवान विष्णु की नाभि से कमल निकला तो उस कमल में ब्रह्मा जी विद्यमान थे। वहीं अगर बात शिवपुराण की करें तो शिवपुराण में भी इस बात का वर्णन किया गया है कि कमल के फूल की उत्पत्ति शिव के बीज से मानी गई है।
पौराणिक मान्यताओं की धरोहर #tosnews
सारांश कमल का फूल हमारे पौराणिक मान्यताओं की धरोहर मानी गई है। कमल का फूल कोमलता, विनम्रता, सुंदरता, पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। पुराणों से यह पवित्र होकर भारत के समस्त भारतीय संस्कृति साहित्य में अनेक जगहों पर विद्यमान है। हर जगह कमल के फूल का वर्णन किया गया है। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में कमल के फूल का प्रयोग किया जाता है। भारत में इसको राष्ट्रीय फूल के तौर पर रखा गया है। इसके पश्चात पाली, प्राकृत और हिंदी साहित्य में भी कमल के फूल को एक विशिष्ट स्थान दिया गया है।
माता लक्ष्मी का आसन कमल का फूल#tosnews
भगवान विष्णु की अर्धांगिनी माता लक्ष्मी का आसन कमल का फूल है। वहीं कला संगीत और ज्ञान की देवी माता सरस्वती का भी कमलासन कमल ही है। माता सरस्वती को श्वेत कमल में विराजित होते हुए देखा जाता है। श्वेत वर्ण शांति का प्रतीक माना गया है।
कमल से पड़ा पद्म नाम #tosnews
कमल के फूल का नाम का वर्णन पुराणों में किया गया है। पद्म पुराण का नाम कमल के नाम पर रखा गया है। क्योंकि भगवान विष्णु की नाभि से जन्मे ब्रह्मा जी ने भगवान नारायण की नाभि से होकर सृष्टि रचना संबंधी ज्ञान का विस्तार किया था। इस पुराण को पद्म पुराण की संज्ञा दी गई। इस पुराण के 5 खंड और 55000 प्रखंड में भगवान विष्णु की विस्तृत महिमा का बखान किया गया है। कमल के पुष्प से उत्पन्न हुए ब्रह्मा जी ने पद्म पुराण की रचना की थी कमल के नाम पर ही उन्होंने पद्मपुराण रखा।

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