मानव जीवन कि अगर बात करें, तो यह पंचतत्वों से बना है। और मृत्यु के बाद यह वही पंचतत्वों में मिल जाता है। प्राकृति का यह नियम है कि इस धरती पर जो भी आया है, उसका जाना तय है। लेकिन अब तक हममें से बहुत से लोग इस मृत्यु से अनजान है। हममें से बहुत से लोग यह नहीं जानते है मृत्यु होती क्या है? यह क्यों आती है? क्यों कोई मरता है? और भी कई सवाल हैं, जो मृत्यु से जुड़े हुए है। अगर आपके मन में भी मृत्यु को लेकर कुछ सवाल है, तो यहां पर आज हम इसी मृत्यु के बारे में आपसे चर्चा करने वाले हैं। जिसे जानकर आपके मन मस्तिष्क में पैदा होने वाले इन सवालों के सारे जवाब आपको मिल जाएंगे। मनुष्य मरता क्यों है- वह इसलिए मरता है, क्योंकि उसकी जिजीविषा मर गई है। उसकी कामनाएं नष्ट हो गई हैं। उसके हृदय से राग समाप्त हो गया है। उसके जीवन का सारा आकर्षण केंद्र नष्ट हो चुका है, उसके सारे सुनहरे स्वप्न विलीन हो चुके हैं। अब उसके मन में कोई कामना नहीं बची है। धीरे-धीरे वह मरुभूमि बनता जाता है और एक दिन उसका संबंध प्रकृति से टूट जाता है। यही मृत्यु है। इसलिए जीवन में राग और आकर्षण आवश्यक है। आपके जीवन में कोई न कोई ऐसा आकर्षण का केंद्र हो, जो आपको निरंतर गतिमान रखे। जिस दिन आपके जीवन के सारे आशा केंद्र नष्ट हो जाएंगे, आप जी नहीं सकेंगे। इसीलिए प्रकृति से निरंतर संबंध बनाए रखना आवश्यक है। यह बात तो स्पष्ट है कि हमारे जीवन का सूत्र प्रकृति के हाथ में है। प्रकृति से अनवरत जीवन ऊर्जा प्रवाहित हो रही है।

क्या आप भी अपने जीवन के आधार से अंजान हैं?

मानव जीवन कि अगर बात करें, तो यह पंचतत्वों से बना है। और मृत्यु के बाद यह वही पंचतत्वों में मिल जाता है। प्राकृति का यह नियम है कि इस धरती पर जो भी आया है, उसका जाना तय है। लेकिन अब तक हममें से बहुत से लोग इस मृत्यु से अनजान है। हममें से बहुत से लोग यह नहीं जानते है मृत्यु होती क्या है? यह क्यों आती है? क्यों कोई मरता है? और भी कई सवाल हैं, जो मृत्यु से जुड़े हुए है। अगर आपके मन में भी मृत्यु को लेकर कुछ सवाल है, तो यहां पर आज हम इसी मृत्यु के बारे में आपसे चर्चा करने वाले हैं। जिसे जानकर आपके मन मस्तिष्क में पैदा होने वाले इन सवालों के सारे जवाब आपको मिल जाएंगे।मानव जीवन कि अगर बात करें, तो यह पंचतत्वों से बना है। और मृत्यु के बाद यह वही पंचतत्वों में मिल जाता है। प्राकृति का यह नियम है कि इस धरती पर जो भी आया है, उसका जाना तय है। लेकिन अब तक हममें से बहुत से लोग इस मृत्यु से अनजान है। हममें से बहुत से लोग यह नहीं जानते है मृत्यु होती क्या है? यह क्यों आती है? क्यों कोई मरता है? और भी कई सवाल हैं, जो मृत्यु से जुड़े हुए है। अगर आपके मन में भी मृत्यु को लेकर कुछ सवाल है, तो यहां पर आज हम इसी मृत्यु के बारे में आपसे चर्चा करने वाले हैं। जिसे जानकर आपके मन मस्तिष्क में पैदा होने वाले इन सवालों के सारे जवाब आपको मिल जाएंगे।  मनुष्य मरता क्यों है-  वह इसलिए मरता है, क्योंकि उसकी जिजीविषा मर गई है। उसकी कामनाएं नष्ट हो गई हैं। उसके हृदय से राग समाप्त हो गया है। उसके जीवन का सारा आकर्षण केंद्र नष्ट हो चुका है, उसके सारे सुनहरे स्वप्न विलीन हो चुके हैं। अब उसके मन में कोई कामना नहीं बची है। धीरे-धीरे वह मरुभूमि बनता जाता है और एक दिन उसका संबंध प्रकृति से टूट जाता है। यही मृत्यु है। इसलिए जीवन में राग और आकर्षण आवश्यक है। आपके जीवन में कोई न कोई ऐसा आकर्षण का केंद्र हो, जो आपको निरंतर गतिमान रखे। जिस दिन आपके जीवन के सारे आशा केंद्र नष्ट हो जाएंगे, आप जी नहीं सकेंगे। इसीलिए प्रकृति से निरंतर संबंध बनाए रखना आवश्यक है। यह बात तो स्पष्ट है कि हमारे जीवन का सूत्र प्रकृति के हाथ में है। प्रकृति से अनवरत जीवन ऊर्जा प्रवाहित हो रही है।

मनुष्य मरता क्यों है-  वह इसलिए मरता है, क्योंकि उसकी जिजीविषा मर गई है। उसकी कामनाएं नष्ट हो गई हैं। उसके हृदय से राग समाप्त हो गया है। उसके जीवन का सारा आकर्षण केंद्र नष्ट हो चुका है, उसके सारे सुनहरे स्वप्न विलीन हो चुके हैं। अब उसके मन में कोई कामना नहीं बची है। धीरे-धीरे वह मरुभूमि बनता जाता है और एक दिन उसका संबंध प्रकृति से टूट जाता है। यही मृत्यु है। इसलिए जीवन में राग और आकर्षण आवश्यक है। आपके जीवन में कोई न कोई ऐसा आकर्षण का केंद्र हो, जो आपको निरंतर गतिमान रखे। जिस दिन आपके जीवन के सारे आशा केंद्र नष्ट हो जाएंगे, आप जी नहीं सकेंगे। इसीलिए प्रकृति से निरंतर संबंध बनाए रखना आवश्यक है। यह बात तो स्पष्ट है कि हमारे जीवन का सूत्र प्रकृति के हाथ में है। प्रकृति से अनवरत जीवन ऊर्जा प्रवाहित हो रही है।

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