जम्मू -कश्मीर में आखिर 36 महीने पुरानी बीजेपी -पीडीपी की गठबंधन सरकार आखिर कल टूट ही गई .भाजपा द्वारा समर्थन वापस लिए जाने के कारण यह हालात बने हैं. हालाँकि दोनों पार्टियों के विचार एक दूसरे से मेल नहीं खाते थे इसके बावजूद यह गठबंधन हुआ और तीन साल सरकार भी चली.पीडीपी को जहाँ अलगाववादी समर्थक माना जाता है, वहीं बीजेपी को मुस्लिम या कश्मीर विरोधी माना जाता है. सरकार के गिरने से अब वहां राष्ट्रपति शासन लग गया है . यहां अब सवाल यह उठ रहा है कि बीजेपी ने यह फैसला क्यों लिया? कहा जा रहा है कि घाटी के हालात लगातार बिगड़ने के कारण जनता में भी यह सन्देश जा रहा था कि घाटी की हिंसा संभालने में बीजेपी कामयाब नहीं हो रही है दूसरी तरफ बीजेपी को भी लगने लगा था कि सर्जिकल स्ट्राइक के बाद घाटी के ताज़ा हालात उसके लिए नुकसानदेह साबित हो सकते हैं.रमजान सीजफायर की घोषणा के बाद भी हालात और बिगड़ गए.ईद के दिन राइजिंग कश्मीर नामक अखबार के संपादक शुजात बुखारी की सरेआम हत्या ने भाजपा को यह फैसला लेने को मजबूर कर दिया. शुजात भारत सरकार के समर्थक होने के साथ ही कश्मीर में शांति बहाली चाहते थे. बता दें कि पीडीपी से संबंध तोड़ने का एक कारण राजनीतिक भी माना जा रहा है.कहा जा रहा है कि बीजेपी लोकसभा के साथ जम्मू-कश्मीर में भी चुनाव कराना चाहती है.इसलिए उसने यह फैसला लिया है. वहीं एक चर्चा यह भी चल रही है कि बीजेपी मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़ और राजस्थान की विधानसभाएं भंग करवा कर समय पूर्व चुनाव करवा सकती है . बता दें कि भाजपा के आंतरिक सर्वे में पीएम मोदी अभी भी पहली पसंद बने हुए हैं . इसलिए बीजेपी मोदी लहर में इन राज्यों की सरकार को भी किनारा लगाना चाहती है.

क्या हैं कश्मीर में बीजेपी पीडीपी गठबंधन टूटने के कारण

जम्मू -कश्मीर में आखिर 36 महीने पुरानी बीजेपी -पीडीपी की गठबंधन सरकार आखिर कल टूट ही गई .भाजपा द्वारा समर्थन वापस लिए जाने के कारण यह हालात बने हैं. हालाँकि दोनों पार्टियों के विचार एक दूसरे से मेल नहीं खाते थे इसके बावजूद यह गठबंधन हुआ और तीन साल सरकार भी चली.पीडीपी को जहाँ अलगाववादी समर्थक माना जाता है, वहीं बीजेपी को मुस्लिम या कश्मीर विरोधी माना जाता है. सरकार के गिरने से अब वहां राष्ट्रपति शासन लग गया हैजम्मू -कश्मीर में आखिर 36 महीने पुरानी बीजेपी -पीडीपी की गठबंधन सरकार आखिर कल टूट ही गई .भाजपा द्वारा समर्थन वापस लिए जाने के कारण यह हालात बने हैं. हालाँकि दोनों पार्टियों के विचार एक दूसरे से मेल नहीं खाते थे इसके बावजूद यह गठबंधन हुआ और तीन साल सरकार भी चली.पीडीपी को जहाँ अलगाववादी समर्थक माना जाता है, वहीं बीजेपी को मुस्लिम या कश्मीर विरोधी माना जाता है. सरकार के गिरने से अब वहां राष्ट्रपति शासन लग गया है    . यहां अब सवाल यह उठ रहा है कि बीजेपी ने यह फैसला क्यों लिया? कहा जा रहा है कि घाटी के हालात लगातार बिगड़ने के कारण जनता में भी यह सन्देश जा रहा था कि घाटी की हिंसा संभालने में बीजेपी कामयाब नहीं हो रही है दूसरी तरफ बीजेपी को भी लगने लगा था कि सर्जिकल स्ट्राइक के बाद घाटी के ताज़ा हालात उसके लिए नुकसानदेह साबित हो सकते हैं.रमजान सीजफायर की घोषणा के बाद भी हालात और बिगड़ गए.ईद के दिन राइजिंग कश्मीर नामक अखबार के संपादक शुजात बुखारी की सरेआम हत्या ने भाजपा को यह फैसला लेने को मजबूर कर दिया. शुजात भारत सरकार के समर्थक होने के साथ ही कश्मीर में शांति बहाली चाहते थे.    बता दें कि पीडीपी से संबंध तोड़ने का एक कारण राजनीतिक भी माना जा रहा है.कहा जा रहा है कि बीजेपी लोकसभा के साथ जम्मू-कश्मीर में भी चुनाव कराना चाहती है.इसलिए उसने यह फैसला लिया है. वहीं एक चर्चा यह भी चल रही है कि बीजेपी मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़ और राजस्थान की विधानसभाएं भंग करवा कर समय पूर्व चुनाव करवा सकती है . बता दें कि भाजपा के आंतरिक सर्वे में पीएम मोदी अभी भी पहली पसंद बने हुए हैं . इसलिए बीजेपी मोदी लहर में इन राज्यों की सरकार को भी किनारा लगाना चाहती है.

. यहां अब सवाल यह उठ रहा है कि बीजेपी ने यह फैसला क्यों लिया? कहा जा रहा है कि घाटी के हालात लगातार बिगड़ने के कारण जनता में भी यह सन्देश जा रहा था कि घाटी की हिंसा संभालने में बीजेपी कामयाब नहीं हो रही है दूसरी तरफ बीजेपी को भी लगने लगा था कि सर्जिकल स्ट्राइक के बाद घाटी के ताज़ा हालात उसके लिए नुकसानदेह साबित हो सकते हैं.रमजान सीजफायर की घोषणा के बाद भी हालात और बिगड़ गए.ईद के दिन राइजिंग कश्मीर नामक अखबार के संपादक शुजात बुखारी की सरेआम हत्या ने भाजपा को यह फैसला लेने को मजबूर कर दिया. शुजात भारत सरकार के समर्थक होने के साथ ही कश्मीर में शांति बहाली चाहते थे.

बता दें कि पीडीपी से संबंध तोड़ने का एक कारण राजनीतिक भी माना जा रहा है.कहा जा रहा है कि बीजेपी लोकसभा के साथ जम्मू-कश्मीर में भी चुनाव कराना चाहती है.इसलिए उसने यह फैसला लिया है. वहीं एक चर्चा यह भी चल रही है कि बीजेपी मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़ और राजस्थान की विधानसभाएं भंग करवा कर समय पूर्व चुनाव करवा सकती है . बता दें कि भाजपा के आंतरिक सर्वे में पीएम मोदी अभी भी पहली पसंद बने हुए हैं . इसलिए बीजेपी मोदी लहर में इन राज्यों की सरकार को भी किनारा लगाना चाहती है.

English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com