खंडहर बन चुका है विश्व के प्राचीनतम शहरों में गिना जाने वाला ‘दमिश्क’

 सीरियाई सेना ने दमिश्‍क को इस्‍लामिक स्‍टेट के आतंकियों से पूरी तरह से मुक्‍त करवा लिया है। यह उसके लिए एक बड़ी कामयाबी है। दमिश्‍क को आईएस के चंगुल से मुक्‍त करवाने में सेना को सात वर्ष लग गए। आतंकियों के कब्जे से छूटने के बाद दमिश्क की जो बदहाल सूरत सामने आई है वह किसी को भी रुला देने के लिए काफी है। सात वर्षों तक चली इस लड़ाई में दमिश्क की इमारतें अब खंडहर बन चुकी हैं। सरकार की तरफ से भी अब इस बात का ऐलान कर दिया गया है कि दमिश्‍क अब पूरी तरह से आईएस से मुक्‍त हो गया है।

सेना के मुताबिक, उसने इस पूरे इलाके पर कब्जा कर लिया है और अब यह स्थान पूरी तरह से सुरक्षित है। सात साल चली भयंकर लड़ाई के बाद सेना इस जीत को मील का पत्थर मान रही है। मीडिया में जारी किए एक बयान के मुताबिक, सीरियाई सेना ने राजधानी दमिश्क और उसके आस-पास के स्थान को पूरी तरह से अपने नियंत्रण में बताया है। बयान में कहा गया कि सेना ने एक महीने के अभियान के बाद फलस्तीनी यर्मोक शिविर और हजर अल-असवाद में आइएस को खत्म कर दिया।

क्‍यों खास है दमिश्‍क की जीत

दमिश्‍क पर जीत राष्‍ट्रपति बशर अल असद के लिए कई मायनों में बड़ी है। दमिश्‍क पर कब्‍जे की खबर उस वक्‍त आई है जब कुछ समय पहले ही असद ने पुतिन से सोची में मुलाकात की थी। माना जा रहा है कि यहां पर असद ने भी अपनी रणनीति में बदलाव किया है। यही वजह थी कि सीरिया को लेकर पुतिन की तरफ से भी बड़ा बयान आया था। यह जीत इस लिहाज से भी खास है क्‍योंकि दमिश्‍क सीरिया में राजनीतिक सरगर्मी का बड़ा केंद्र है। इसके अलावा आपको बता दें कि दमिश्क सीरिया की राजधानी होने के साथ-साथ सीरिया का सबसे बड़ा शहर भी है। लेबनान की सीमा के निकट बसा यह एक ऐतिहासिक शहर है। यही वजह है कि दमिश्क को विश्व के प्राचीनतम शहरों में गिना जाता है। दमिश्क लेवेंट और अरब दुनिया का एक प्रमुख सांस्कृतिक केंद्र भी है। दमिश्क दूसरी सहस्राब्दी में बसाया गया था।

कभी आईएस की राजधानी थी राका

आपको बता दें कि आईएस ने सीरिया में राका को अपनी स्‍वघोषित राजधानी बना रखा था। लेकिन बीते वर्ष अक्‍टूबर में चार महीने चले संघर्ष के बाद इसको भी आईएस के चंगुल से मुक्‍त करवा लिया गया था। इस लड़ाई में करीब 3250 लोग मारे गए थे जिनमें अधिकतर यहां के आम नागरिक थे। । इन मारे गए लोगों में एक तिहाई से अधिक आम नागरिक शामिल थे।

सात वर्षों में पहली बार दमिश्‍क पर पूरा नियंत्रण

राष्ट्रपति बशर असद की सेना ने 2011 की लड़ाइयों के बाद पहली बार दमिश्क और उसके आस-पास के इलाकों को सरकारी नियंत्रण में लिया है। इस संघर्ष में दोनों ओर से कई लोग मारे गए हैं। साथ ही यर्मोक शिविर के रिहायशी इलाके में भी काफी तबाही हुई है। स्थानीय मीडिया के मुताबिक, जिस जगह पर सेना और आतंकियों के बीच मुठभेड़ चल रही थी, वहां कुछ नागरिक भी फंसे थे। उन्हें निकालने के लिए सेना को युद्ध विराम करना पड़ा, जिसके बाद सभी लोगों को बाहर निकाला गया। सोमवार दोपहर को सेना ने युद्ध विराम खत्म कर अपना ऑपरेशन फिर से शुरू किया। आखिरकार इस भीषण संघर्ष में असद की सेना को कामयाबी मिली और वह दमिश्क और उसके आस-पास के स्थान को अपने नियंत्रण में लेने में सफल हुई।राजधानी दमिश्क के पास हजर अल-असवाद में संघर्ष के कारण तबाह हुई इमारतों के पास खड़े सीरियाई सेना के जवान। सात साल बाद वे यहां नियंत्रण करने में कामयाब हुए हैं।

आतंकियों और सरकार के बीच समझौता

सीरिया की राजधानी दमिश्‍क को लेकर आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट और सरकार के बीच कुछ दिन पहले एक समझौता हुआ था। जिसके तहत दो दिन पूर्व इस आतंकी समूह ने समझौते के मुताबिक अपने अंतिम गढ़ को छोड़ना शुरू कर दिया था। आईएस इस समझौते के लिए भी कई दिनों तक चली भीषण लड़ाई के बाद राजी हुआ था। ब्रिटेन की ‘ सीरियन आब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स के प्रमुख रमी अब्दुल रहमान का कहना है कि आईएस के लड़ाकों और उनके रिश्तेदारों ने यारमुक फलस्तीनी शरणार्थी शिविर और पास के तादामुन जिले को छोड़ दिया है। उनके मुताबिक सीरिया के विशाल रेगिस्तान के लिए बसें पूर्व की तरफ रवाना हो गईं जहां कुछ हिस्से पर आईएस का अब भी कब्जा है। यह घटनाक्रम दक्षिणी दमिश्क से आईएस को खदेड़ने के लिए महीनेभर से जारी लड़ाई को खत्म करने के वास्ते हुए समझौते के एक दिन बाद शुरू हुआ था। सरकार समर्थक बल, खासकर फलस्तीनी मिलिशिया आईएस के कब्जे से यारमुक, तादामुन और कदम तथा हाजर अल असवाद को छुड़ाने के लिए 19 अप्रैल से लड़ रहे थे। आब्जर्वेटरी के अनुसार इस लड़ाई में 250 से अधिक शासन समर्थक सशस्त्रकर्मी और आईएस के 233 लड़ाके मारे गए हैं।

एक और प्राचीन शहर पाल्‍मायरा

आपको यहां ये भी बताना जरूरी होगा कि दो वर्ष पहले ही सीरियाई सेना ने पाल्‍मायरा को अपने कब्‍जे में लिया था। आपको बता दें कि पाल्मायरा यूनेस्को का एक वैश्विक धरोहर स्थल है। यहां कब्‍जे को लेकर आईएस और सेना के बीच करीब डेढ़ वर्ष तक भीषण युद्ध चला था। हालांकि इस दौरान आईएस ने इस प्राचीन शहर को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया था। इसके अलावा आईएस ने यहां पर स्थित 2000 वर्ष पुराने रोमन युग के इस के एक प्राचीन मंदिर को भी नष्ट कर दिया था। यह मंदिर पाल्मायरा की प्रसिद्ध रंगभूमि से करीब 500 मीटर दूर स्थित था। यह मंदिर पहली सदी का है और यह तूफान एवं फसल के लिए मददगार बारिश के फोएनिसियाई देवता को समर्पित था। दूसरी सदी में ईसाई धर्म के यहां आने के पहले पाल्मायरा में बेबीलोनियाई भगवान बेल, यार्हीबोल (सूर्य) और अग्लिबोल (चंद्रमा) के रूप में त्रिदेवों की पूजा की जाती थी। तीसरी सदी में रोमन साम्राज्य के आंतरिक राजनीतिक अस्थिरता का सामना करने के कारण पाल्मायरा को इस दौर में स्वयं को स्वतंत्र घोषित करने का अवसर मिला।

पाल्‍मायरा का इतिहास

पाल्मायरा के लोगों ने जेनोबिया के नेतृत्व में पश्चिम में रोमवासियों और पूर्व में फारसी बलों को भगा दिया। जेनोबिया इसके बाद रानी के सिंहासन पर विराजमान हुईं, लेकिन रोमन सम्राट औरेलियन के शहर पर फिर से कब्जा करने के बाद शक्तिशाली रानी को रोम वापस ले जाया गया और पाल्मायरा की महत्ता कम होने लगी थी। मार्च 2011 में सीरिया में संकट शुरू होने से पूर्व खूबसूरत प्रतिमाओं और 1000 से अधिक स्तम्भों से सजे इस प्राचीन शहर का नजारा देखने के लिए प्रतिवर्ष 1,50,000 से अधिक पर्यटक पाल्मायरा आया करते थे। यह प्राचीन शहर अब सीरिया में जारी युद्ध के कारण सशस्त्र विद्रोहियों और सरकारी बलों के बीच संषर्ष का दंश झेल रहा है।

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