खेल से जुड़ी कहानियों पर बनीं फिल्में बच्चों को करती हैं प्रभावित : फरहान अख्तर

फिल्म ‘द स्काई इज पिंक’ में काम कर रहे फिल्मकार एवं अभिनेता फरहान अख्तर का कहना है कि खेलों से जुड़ी कहानियां समझने में आसान होती हैं. ये लोगों को प्रेरित करती हैं. फरहान ने यहां मंगलवार को अनिल कुंबले, रितेश सिधवानी, साकिब सलीम, रिया चक्रवर्ती और निधि अग्रवाल के साथ स्पोर्ट्सवियर ब्रांड डी : एफवाई के लॉन्च पर संवाददाताओं से यह बात कही.

फरहान से जब यह पूछा गया कि क्या खेलों से जुड़ी फिल्में बनना क्या एक ट्रेंड बन गया है? इस पर उन्होंने कहा, ‘हम हमेशा खेलों से जुड़े खिलाड़ियों की कहानियों को पर्दे पर लाने की कोशिश करते हैं. क्योंकि इससे मुझे लगता है कि बच्चे बहुत कुछ सीख सकते हैं’.

उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि खेल क्षेत्र से जुड़ी कहानियों या किसी खिलाड़ी के सफर को पर्दे पर इसलिए उतारा जा रहा है क्योंकि इन्हें समझना आसान हैं और वे हर तबके के लोगों को प्रेरित करती हैं’.

बता दें कि साल 2013 में भारतीय धावक मिल्खा सिंह की बायोपिक ‘भाग मिल्खा भाग’ में फरहान ने मिल्खा सिंह का किरदार निभाया था. फरहान अख्तर ‘द स्काई इज पिंक’ में प्रियंका चोपड़ा के साथ पर्दे पर साथ दिखेंगे. दोनों कलाकार इससे पहले एक साथ जोया अख्तर की 2015 में आयी फिल्म ‘दिल धड़कने दो’ में दिखे थे. 

इस फिल्म को बोस ने लिखा है जबकी जूही चतुर्वेदी ने इसके डाइलॉक लिखे हैं. बोस इससे पहले अमु और महगरीटा विद ए स्टरो जैसी फिल्में निर्देशित कर चुके है. ‘द स्काई इज पिंक’ एक 13 साल की उम्र में पुलमोनरी फाइब्रोसिस से डाइगनोटिक एक युवा लड़की, ऐशा चौधरी की रीयल लाईफ स्टोरी बताती है, जो आमतौर पर immune deficiency disorder के रूप में जानी जाती है. उसके ईलाज के बाद, वो कैसे एक प्रेरक वक्ता बनकर कई सारे वाक्य करती है जिनमें टेडेक्स और आईएनके सम्मेलन शामिल है. वो माई लिटिल एपिफेन्स नामक एक किताब भी लिखती है.

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