गांधी और अटल की पार्टियां बता रहीं दलबदलुओं को स्टार

ऐसा लगता है कि  सियासी दलों के पास राजनीति के लिए साफ-सुथरी छवि व जानकार लोगों का ही टोटा नहीं है, भाषण व प्रचार के लिए भी अच्छे चेहरों की कमी हो गई है। कम से कम स्टार प्रचारकों की सूची देखकर तो ऐसा ही लगता है।
गांधी और अटल की पार्टियां बता रहीं दलबदलुओं को स्टार

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सभी दलों की स्टार प्रचारकों की सूची में कोई न कोई ऐसा चेहरा जरूर शामिल है। महात्मा गांधी की रीतिनीति व सिद्धांत पर चलने का दावा करने वाली कांग्रेस और विचार व सिद्धांत पर आधारित राजनीति का दावा करने वाली भाजपा भी इससे अलग नहीं हैं।

दोनों को अपनी रीतिनीति और बात को जनता तक पहुंचाने के लिए दागियों व बाहरियों का सहारा लेना पड़ा है।पार्टी के स्टार प्रचारकों में बलरामपुर के पूर्व सांसद व दबंग छवि के रिजवान जहीर और बसपा के पूर्व सांसद बृजलाल खाबड़ी का नाम है।

रिजवान पर आपराधिक मामले भी दर्ज रहे हैं। दोनों ही लोग पिछले वर्ष ही कांग्रेस में शामिल हुए हैं। रिजवान जहीर पहले सपा फिर बसपा में रहे। खाबड़ी तो बसपा के संस्थापक सदस्य रहे हैं। 

जाहिर है कि वे राजनीति शुरू करने के साथ ही बसपा की रीतिनीति व सिद्धांत पढ़ते व पढ़ाते रहे हैं। पर, अब ये दोनों लोग जनता को कांग्रेस के सिद्धांत समझाएंगे और पार्टी के लिए वोट मांगेंगे।

बीजेपी को लेना पड़ा नरेंद्र कश्यप का सहारा

पार्टी के स्टार प्रचारकों में बलरामपुर के पूर्व सांसद व दबंग छवि के रिजवान जहीर और बसपा के पूर्व सांसद बृजलाल खाबड़ी का नाम है। रिजवान पर आपराधिक मामले भी दर्ज रहे हैं।

कभी चलता था सिक्का, अब अपने ही घर में ‘पराए’ हो गए शिवपाल

दोनों ही लोग पिछले वर्ष ही कांग्रेस में शामिल हुए हैं। रिजवान जहीर पहले सपा फिर बसपा में रहे। खाबड़ी तो बसपा के संस्थापक सदस्य रहे हैं। जाहिर है कि वे राजनीति शुरू करने के साथ ही बसपा की रीतिनीति व सिद्धांत पढ़ते व पढ़ाते रहे हैं।

पर, अब ये दोनों लोग जनता को कांग्रेस के सिद्धांत समझाएंगे और पार्टी के लिए वोट मांगेंगे।दीनदयाल उपाध्याय व अटल बिहारी वाजपेयी की भाजपा को अपनी बात लोगों तक पहुंचाने के लिए बहू की हत्या में जेल जा चुके और इसी महीने पार्टी में शामिल हुए नरेन्द्र कश्यप का सहारा लेना पड़ा है।

लालकृष्ण आडवाणी जनसंघ व भाजपा के संस्थापक सदस्य रहे लेकिन पार्टी को जनता तक बात पहुंचाने की क्षमता स्वामी प्रसाद मौर्य में नजर आई है। डॉ. मुरली मनोहर जोशी भले ही प्रोफेसर रहे हों, लोग विद्वान मानते हों लेकिन जनता को रिझाने के लिए नेतृत्व ने पिछले वर्ष बसपा से भाजपा में शामिल पूर्व एमएलसी अन्जान से चेहरे लोकेश प्रजापति पर भरोसा जताया है।

बसपा ने नेताओं के पुत्रों को भी दी जगह

मुलायम सिंह यादव सपा के जिन युवा नेताओं को समाजवादी साहित्य न पढ़ने और अखिलेश यादव के पक्ष में नारेबाजी करने के लिए डांटते रहे, वे अब लोहिया के समाजवाद का पाठ पढ़ाएंगे।
पार्टी खड़ी करने में अहम भूमिका निभाने वाले शिवपाल यादव में भले ही स्टार प्रचारक की योग्यता न दिखी हो लेकिन एबाद अहमद व बृजेश यादव के सितारे इतने मजबूत निकले कि सपा के स्टार प्रचारक बना दिए गए।कई दलों में रहकर फिर सपा में लौटे नरेश अग्रवाल, बसपा से आए सुरेन्द्र नागर, रालोद से आने वाले वीरेन्द्र सिंह गुर्जर और देहरादून में अवैध भवन निर्माण और दूसरी पत्नी होने के आरोपों से घिरे साहब सिंह सैनी जैसे नेताओं में भी नेतृत्व को इतनी क्षमता दिखी कि इन्हें समाजवाद की रीतिनीति जनता को समझाने की जिम्मेदारी दे दी गई।

बसपा ने तो प्रचारकों में भी परिवारवाद की परंपरा का सृजन कर दिया और नेताओं के साथ उनके पुत्रों को भी जगह दे दी गई। उदाहरण के लिए पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश मिश्र के समधी गोपाल नारायण मिश्र को तो बसपा ने स्टार प्रचारक बनाया ही है।

साथ ही उनके बेटे परेश मिश्र के कंधों पर भी कांशीराम की बात को लोगों के समझाने की जिम्मेदारी डाल दी है। इसी तरह नसीमुद्दीन सिद्दीकी के साथ उनके बेटे अफजल भी पार्टी के स्टार प्रचारक हैं। 

 
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