चेन्नई की टीम उम्मीद कर रही होगी कि सुरेश रैना जल्द से जल्द आग उगलना शुरू कर दें, क्योंकि उनमें बेहद कम समय में मैच को विपक्षी टीम से दूर ले जाने की क्षमता है। इसके लिए चेन्नई को अच्छी शुरुआत की दरकार है क्योंकि अगर रैना तेज गेंदबाजों का सामना करते हैं तो पहली ही गेंद से जगह बनाकर शॉट खेलने का प्रयास करते हैं और इसी क्रम में शॉर्ट गेंद पर विकेट भी दे बैठते हैं। बेशक टी—20 क्रिकेट में जगह बनाकर ऑफ साइड पर खेलना आम शॉट माना जाता है, लेकिन हालिया समय में रैना तेज गेंदबाजों के खिलाफ ऐसे शॉट सफलता से खेलने में अधिक कामयाब नहीं हुए हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि वह क्रीज पर सेट होने से पहले ही इन शॉट को खेलना शुरू कर देते हैं। एक बार वह क्रीज पर जम जाएं तो उन्हें रोकना बेहद मुश्किल हो जाता है। तीन स्पिनरों के साथ उतरने की धौनी की रणनीति बेहतरीन थी, खासकर यह देखते हुए कि बल्लेबाज चौके—छक्के मारने के लिए तेजी से आती गेंदों का इंतजार करता है। ऐसे में पिच पर पड़कर धीमी गति से आने वाली गेंदों पर लंबे शॉट खेलना ज्यादा मुश्किल होता है। कोलकाता की टीम में बड़े और स्टार नाम नहीं हैं, लेकिन युवा खिलाड़ी अपनी एनर्जी और समर्पण से इसकी भरपाई कर रहे हैं। आरसीबी के खिलाफ कार्तिक भी अंतिम ओवर में गलत हो सकते थे या फिर विनय कुमार की लाइन भी गलत हो सकती थी। जब सब कुछ इतनी तेजी से घट रहा हो तो विकेट बचाए रखना कभी भी आसान नहीं होता इसलिए इस बात को ज्यादा तूल नहीं दिया जाना चाहिए कि एक गेंदबाज जिसने अच्छी गेंदबाजी की हो, फिर भी उसके दो ओवर बाकी रह जाएं। डीके बनाम वीके की जंग में बाजी डीके की कोलकाता के हाथ लगी, लेकिन सवाल ये है कि भारत के दो विकेटकीपरों की जंग कौन जीतेगा।

गावस्कर ने दिया सुझाव- सुरेश रैना को लय में आने के लिए करना होगा ये काम

सुनील गावस्कर का कॉलम

वापसी के बाद अपना पहला मैच मुश्किल से जीतने वाली चेन्नई सुपरकिंग्स की टीम विजयी लय कायम रखना चाहेगी, लेकिन अब उसे कोलकाता नाइटराइडर्स जैसे कड़ी टीम का सामना करना है जो अपना पहला मैच जीत चुकी है। चेन्नई के प्रशंसकों के लिए यह बड़ा मौका है कि वे दो साल के बाद अपनी टीम को घरेलू मैदान पर खेलता देखेंगे। ऐसे में इस बात में कोई संदेह नहीं है कि एमए चिदंबरम स्टेडियम दर्शकों से खचाखच भरा होगा और पीले रंग में रंगा होगा। कोलकाता नाइटराइडर्स की टीम भी ईडन गार्डेंस में ऐसे माहौल का अनुभव कर चुकी है। हालांकि मैदान में विराट कोहली को भी दर्शकों का भरपूर प्यार मिला। जो लोग सोचते हैं कि अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल लीग की तरह यहां फ्रेंचाइजी का फैन बेस उतना मजबूत नहीं है, उन्हें आइपीएल टीमों का फैन बेस देखकर आश्चर्य होगा। और हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि आइपीएल महज दस साल पुरानी है। इसके बावजूद फ्रेंचाइजियों ने प्रशंसकों का अच्छा और मजबूत आधार तैयार कर लिया है, खासकर घरेलू मैदान पर। चेन्नई की टीम उम्मीद कर रही होगी कि सुरेश रैना जल्द से जल्द आग उगलना शुरू कर दें, क्योंकि उनमें बेहद कम समय में मैच को विपक्षी टीम से दूर ले जाने की क्षमता है। इसके लिए चेन्नई को अच्छी शुरुआत की दरकार है क्योंकि अगर रैना तेज गेंदबाजों का सामना करते हैं तो पहली ही गेंद से जगह बनाकर शॉट खेलने का प्रयास करते हैं और इसी क्रम में शॉर्ट गेंद पर विकेट भी दे बैठते हैं। बेशक टी—20 क्रिकेट में जगह बनाकर ऑफ साइड पर खेलना आम शॉट माना जाता है, लेकिन हालिया समय में रैना तेज गेंदबाजों के खिलाफ ऐसे शॉट सफलता से खेलने में अधिक कामयाब नहीं हुए हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि वह क्रीज पर सेट होने से पहले ही इन शॉट को खेलना शुरू कर देते हैं। एक बार वह क्रीज पर जम जाएं तो उन्हें रोकना बेहद मुश्किल हो जाता है।   तीन स्पिनरों के साथ उतरने की धौनी की रणनीति बेहतरीन थी, खासकर यह देखते हुए कि बल्लेबाज चौके—छक्के मारने के लिए तेजी से आती गेंदों का इंतजार करता है। ऐसे में पिच पर पड़कर धीमी गति से आने वाली गेंदों पर लंबे शॉट खेलना ज्यादा मुश्किल होता है।   कोलकाता की टीम में बड़े और स्टार नाम नहीं हैं, लेकिन युवा खिलाड़ी अपनी एनर्जी और समर्पण से इसकी भरपाई कर रहे हैं। आरसीबी के खिलाफ कार्तिक भी अंतिम ओवर में गलत हो सकते थे या फिर विनय कुमार की लाइन भी गलत हो सकती थी। जब सब कुछ इतनी तेजी से घट रहा हो तो विकेट बचाए रखना कभी भी आसान नहीं होता इसलिए इस बात को ज्यादा तूल नहीं दिया जाना चाहिए कि एक गेंदबाज जिसने अच्छी गेंदबाजी की हो, फिर भी उसके दो ओवर बाकी रह जाएं। डीके बनाम वीके की जंग में बाजी डीके की कोलकाता के हाथ लगी, लेकिन सवाल ये है कि भारत के दो विकेटकीपरों की जंग कौन जीतेगा।

चेन्नई की टीम उम्मीद कर रही होगी कि सुरेश रैना जल्द से जल्द आग उगलना शुरू कर दें, क्योंकि उनमें बेहद कम समय में मैच को विपक्षी टीम से दूर ले जाने की क्षमता है। इसके लिए चेन्नई को अच्छी शुरुआत की दरकार है क्योंकि अगर रैना तेज गेंदबाजों का सामना करते हैं तो पहली ही गेंद से जगह बनाकर शॉट खेलने का प्रयास करते हैं और इसी क्रम में शॉर्ट गेंद पर विकेट भी दे बैठते हैं। बेशक टी—20 क्रिकेट में जगह बनाकर ऑफ साइड पर खेलना आम शॉट माना जाता है, लेकिन हालिया समय में रैना तेज गेंदबाजों के खिलाफ ऐसे शॉट सफलता से खेलने में अधिक कामयाब नहीं हुए हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि वह क्रीज पर सेट होने से पहले ही इन शॉट को खेलना शुरू कर देते हैं। एक बार वह क्रीज पर जम जाएं तो उन्हें रोकना बेहद मुश्किल हो जाता है। 

तीन स्पिनरों के साथ उतरने की धौनी की रणनीति बेहतरीन थी, खासकर यह देखते हुए कि बल्लेबाज चौके—छक्के मारने के लिए तेजी से आती गेंदों का इंतजार करता है। ऐसे में पिच पर पड़कर धीमी गति से आने वाली गेंदों पर लंबे शॉट खेलना ज्यादा मुश्किल होता है। 

कोलकाता की टीम में बड़े और स्टार नाम नहीं हैं, लेकिन युवा खिलाड़ी अपनी एनर्जी और समर्पण से इसकी भरपाई कर रहे हैं। आरसीबी के खिलाफ कार्तिक भी अंतिम ओवर में गलत हो सकते थे या फिर विनय कुमार की लाइन भी गलत हो सकती थी। जब सब कुछ इतनी तेजी से घट रहा हो तो विकेट बचाए रखना कभी भी आसान नहीं होता इसलिए इस बात को ज्यादा तूल नहीं दिया जाना चाहिए कि एक गेंदबाज जिसने अच्छी गेंदबाजी की हो, फिर भी उसके दो ओवर बाकी रह जाएं। डीके बनाम वीके की जंग में बाजी डीके की कोलकाता के हाथ लगी, लेकिन सवाल ये है कि भारत के दो विकेटकीपरों की जंग कौन जीतेगा।

 
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