गुजरात का वो स्थान जहाँ गिरा था सती का हृदय, और शक्‍तिपीठ की हुई थी स्थापना

देवी भक्ति की खास पूजा-अर्चना का त्यौहार और मां दुर्गा की भक्ति को समर्पित शारदीय नवरात्रि 2020, 17 अक्टूबर से आरम्भ हो चुकी है। आज नवरात्रि 2020 का द्वितीय दिन है। हिन्दू धर्म में नवरात्रि का खास महत्व होता है। नवरात्रि मां नवदुर्गा की आराधना का त्यौहार है। नवरात्रि वह वक़्त होता है, जब हवन, यज्ञ तथा पूजा पाठ करने से अत्याधिक फायदा प्राप्त किया जा सकता है। हवन तथा पूजा पाठ करने से न सिर्फ मानसिक शक्ति प्राप्त होती है, बल्कि इससे विचारों में भी शुद्धि आती है। इस पर्व पर लोग वैदिक परंपरा से आरधना करते हैं तथा हजारों लोग माता दुर्गा के दर्शनों के लिए जाते हैं।

वही हिंदू धर्म में पुराणों का खास महत्‍व है तथा इन्‍हीं पुराणों में माता के शक्‍तिपीठों वर्णन मिलता हैं। माता के इन शक्तिपीठों के बनने की एक पौराणिक कथा है। दक्ष प्रजापति की बेटी सती के मृत शरीर को लेकर प्रभु शिव पृथ्वी पर तांडव करते हुए घूमने लगे। तब श्री विष्णु ने अपने चक्र से सती के मृत शरीर को टुकड़े-टुकड़े में काट दिया। सती के शरीर के अंग, वस्त्र तथा आभूषण जहां-जहां गिरे, उन स्थानों पर मां दुर्गा के शक्तिपीठ बनें। ये शक्तिपीठ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैले हैं। देवी पुराण में 51 शक्तिपीठ बताए गए हैं। अब आरम्भ नवरात्रों की हो तथा जयकारे मां के शक्‍तिपीठों के न लगें, ऐसा कैसे हो सकता है। गुजरात में अम्बाजी का मन्दिर भी एक खास शक्तिपीठ है जहां हर वर्ष नवरात्रि में भव्य पूजा होती है।

देश में मां शक्ति के 51 शक्तिपीठों में सम्मिलित सबसे प्रमुख स्थल में से एक अंबाजी मंदिर है क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि यहां माता सती का हृदय गिरा था। इस मंदिर के गर्भगृह में मां की कोई मूर्ति स्थापित नहीं है, बल्कि यहां उपस्थित मां का एक श्रीयंत्र की पूजा की जाती है। इस श्रीयंत्र को कुछ इस तरह सजाया जाता है कि देखने वाले को लगे कि मां अम्बे यहां साक्षात विराजमान हैं। यह मंदिर माता अंबाजी को संर्पित है तथा गुजरात का सबसे मुख्य मंदिर है।

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