भारत के महान कवि गोपाल दास नीरज का निधन हो चूका है. लेकिन उनके द्वारा लिखे गए कुछ गीत ऐसे है कि जो आज भी मन्त्र मुग्ध कर देते है जो आने वाली कई सदियों तक याद किए जाएंगे. पेश हैं उनके लिखे वे गीत जो दशकों से टॉप गानों की लिस्ट में शुमार हैं. दिल आज शायर है, ग़म आज नग़मा है- दिल आज शायर है, ग़म आज नग़मा है शब ये ग़ज़ल है सनम गैरों के शेरों को ओ सुनने वाले हो इस तरफ़ भी करम आज मधोश हुआ जाए रे- आज मधोश हुआ जाए रे मेरा मन मेरा मन मेरा मन बिना ही बात मुस्कुराए रे मेरा मन मेरा मन मेरा मन ओ री कली सजा तू डोली ओ री लहर पहना तू पायल ओ री नदी दिखा तू दर्पन ओ री किरण उड़ा तू आँचल एक जोगन है बनी आज दुल्हन हो ओ आओ उड़ जाएं कहीं बनके पवन आज मधोश हुआ जाए रे लिखे जो ख़त तुझे- लिखे जो ख़त तुझे वो तेरी याद में हज़ारों रंग के नज़ारे बन गए ए भाई, ज़रा देखके चलो- ए भाई, ज़रा देखके चलो, आगे ही नहीं पीछे भी दायें ही नहीं बायें भी, ऊपर ही नहीं नीचे भी

गोपाल दास नीरज के लिखें गाने

भारत के महान कवि गोपाल दास नीरज का निधन हो चूका है. लेकिन उनके द्वारा लिखे गए कुछ गीत ऐसे है कि जो आज भी मन्त्र मुग्ध कर देते है जो आने वाली कई सदियों तक याद किए जाएंगे. भारत के महान कवि गोपाल दास नीरज का निधन हो चूका है. लेकिन उनके द्वारा लिखे गए कुछ गीत ऐसे है कि जो आज भी मन्त्र मुग्ध कर देते है जो आने वाली कई सदियों तक याद किए जाएंगे.   पेश हैं उनके लिखे वे गीत जो दशकों से टॉप गानों की लिस्ट में शुमार हैं.  दिल आज शायर है, ग़म आज नग़मा है- दिल आज शायर है, ग़म आज नग़मा है शब ये ग़ज़ल है सनम गैरों के शेरों को ओ सुनने वाले हो इस तरफ़ भी करम     आज मधोश हुआ जाए रे- आज मधोश हुआ जाए रे मेरा मन मेरा मन मेरा मन बिना ही बात मुस्कुराए रे मेरा मन मेरा मन मेरा मन ओ री कली सजा तू डोली ओ री लहर पहना तू पायल ओ री नदी दिखा तू दर्पन ओ री किरण उड़ा तू आँचल एक जोगन है बनी आज दुल्हन हो ओ आओ उड़ जाएं कहीं बनके पवन आज मधोश हुआ जाए रे  लिखे जो ख़त तुझे- लिखे जो ख़त तुझे वो तेरी याद में हज़ारों रंग के नज़ारे बन गए     ए भाई, ज़रा देखके चलो- ए भाई, ज़रा देखके चलो, आगे ही नहीं पीछे भी दायें ही नहीं बायें भी, ऊपर ही नहीं नीचे भी

पेश हैं उनके लिखे वे गीत जो दशकों से टॉप गानों की लिस्ट में शुमार हैं.

दिल आज शायर है, ग़म आज नग़मा है-
दिल आज शायर है, ग़म आज नग़मा है
शब ये ग़ज़ल है सनम
गैरों के शेरों को ओ सुनने वाले
हो इस तरफ़ भी करम

आज मधोश हुआ जाए रे-
आज मधोश हुआ जाए रे
मेरा मन मेरा मन मेरा मन
बिना ही बात मुस्कुराए रे
मेरा मन मेरा मन मेरा मन
ओ री कली सजा तू डोली
ओ री लहर पहना तू पायल
ओ री नदी दिखा तू दर्पन
ओ री किरण उड़ा तू आँचल
एक जोगन है बनी आज दुल्हन हो ओ
आओ उड़ जाएं कहीं बनके पवन
आज मधोश हुआ जाए रे

लिखे जो ख़त तुझे-
लिखे जो ख़त तुझे
वो तेरी याद में
हज़ारों रंग के
नज़ारे बन गए

ए भाई, ज़रा देखके चलो-
ए भाई, ज़रा देखके चलो, आगे ही नहीं पीछे भी
दायें ही नहीं बायें भी, ऊपर ही नहीं नीचे भी

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