गोरक्षकों के नाम पर वसूली जा रही रंगदारी, कई चेहरे हुए बेनकाब...

गोरक्षकों के नाम पर वसूली जा रही रंगदारी, कई चेहरे हुए बेनकाब…

देश में विभिन्न दक्षिणपंथी गुटों से जुड़े स्वयंभू गोरक्षकों की ओर से लोगों की पीट-पीट कर हत्या कर दिए जाने के कई मामले सामने आ चुके हैं. इन्हें गोमांस का ट्रांसपोर्ट करने के शक में निशाना बनाया गया. कुछ जगह वाहनों से मीट ले जा रहे लोगों पर भी हमले किए गए. इंडिया टुडे टीम ने कुछ बीफ विक्रेताओं से इस मुद्दे पर बात की तो उन्होंने चौंकाने वाले खुलासे किए.  गोरक्षकों के नाम पर वसूली जा रही रंगदारी, कई चेहरे हुए बेनकाब...अभी अभी: यूपी विधानभवन की सुरक्षा के लिए सीएम योगी ने लिया बड़ा फैसला…

बीफ विक्रेताओं और ट्रांसपोर्टर्स के दावों के मुताबिक इन स्वयंभू गोरक्षकों के गुटों की ओर से धमकियां देकर वसूली की जाती है. ये धमकाते हैं कि अगर पैसा नहीं दिया गया तो उन्हें मुंबई के आसपास भी नहीं फटकने दिया जाएगा, वाहनों को नष्ट कर दिया जाएगा. यही नहीं पीट पीट कर हत्या भी कर दी जाएगी.     

दिन में ये कथित गोरक्षक बेशक गायों के सेवक के चोले में नजर आएं लेकिन इंडिया टुडे की जांच में उनके असल मंसूबे खुल कर सामने आ गए. इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर्स ने मुंबई के दो एंट्री प्वाइंट्स पर इनके काले कारनामों को बेनकाब किया.  

इंडिया टुडे टीम ने पहले मुंबई के बाह्य क्षेत्र में वाडा-भिवंडी हाईवे का रुख किया. गुजरात को मुंबई से जोड़ने वाले इस हाईवे पर ट्रकों की हर वक्त भारी आवाजाही रहती है. वाडा ताल्लुका से होकर मानोर से ठाणे के अंदरूनी इलाकों में पहुंचने वाला ये रूट गुजरात से बीफ लाने वाले ट्रांसपोर्टर्स के लिए खौफ का दूसरा नाम है.

इसी रूट पर आंगांव में प्रसिद्ध गोपाल गौशाला है. गोपाल गौशाला की ओर से हाईवे और आसपास के क्षेत्रों में बजरंग दल के कार्यकर्ताओं की मदद से लगातार गश्त की जाती है. इस गश्ती दल को गश्ती पाठक कहा जाता है. बीफ कारोबारी इनके नाम से ही आतंकित रहते हैं. दरअसल इन गश्ती पाठक ने गाय रक्षकों के नाम पर ऐसी छवि बनाई है जो बीफ का ट्रांसपोर्ट करते किसी भी वाहन को देखते ही नष्ट कर देते हैं.   

इंडिया टुडे के कवर रिपोर्टर्स ने काल्पनिक बीफ ट्रांसपोर्टर का हवाला देते हुए गश्ती पाठक के एक अहम सदस्य से कहा कि वे गुजरात से बीफ ट्रांसपोर्ट कर मुंबई में बेचना चाहते हैं और ये काम बिना किसी अड़चन हो सके, ये सुनिश्चित करना चाहते हैं. गश्ती पाठक से जुड़े इस सदस्य ने कई बैठकों के लिए बुलाने के बाद जो दावे किए वो चौंकाने वाले थे. उसने एक निश्चित रकम के भुगतान के बाद संरक्षण का वादा किया. उसने ये दावा भी किया कि अगर वो बीफ का ट्रांसपोर्ट करने वाले वाहन पर खुद सवार रहेगा तो पुलिस समेत किसी की भी उसे रोकने की हिम्मत नहीं होगी. 

बजरंग दल के गश्ती दल का आतंक

मुंबई के उपनगर और मुस्लिम बहुल क्षेत्र भिवंडी में सप्लाई करने वाले बीफ कारोबारियों में गोपाल गौशाला के नाम का भय है. इन कारोबारियों का कहना है कि पहले गौशाला के बजरंग दल कार्यकर्ताओं से डील नहीं की जाती थी तो वो बीफ के ऊपर डीजल या कोलतार फेंक कर खराब कर देते थे. ऐसा करने पर बीफ खाने लायक नहीं रह जाता.  

गोपाल गौशाला की एक वेबसाइट भी है जो गाय संरक्षण और बजरंग दल गश्ती पाठक (गश्ती दल) की गतिवधियों का बढ़ा चढ़ा कर पेश करती है.

इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोटर्स ने इस क्षेत्र का सर्वे करने के बाद कुछ बीफ विक्रेताओं से बात की. यहीं से गोपाल गौशाला और बजरंग दल गश्ती पाठक की गतिविधियों का पता चला. इंडिया टु़डे के रिपोर्टर ने खुद को इन्फॉर्मर बताते हुए बजरंग दल से जुड़े एक शख्स से बात की. साथ ही बीफ की काल्पनिक खेप के बारे में सूचना देने की मंशा जताई. इस शख्स ने बहुत ही सक्रिय गोरक्षक और बजरंग दल गश्ती पाठक के सदस्य वासुदेव पाटिल का फोन नंबर दिया.  

इसके बाद इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर ने काल्पनिक बीफ व्यापारी बताते हुए वासुदेव से फोन पर बात की. साथ ही भिवंडी वाडा रोड पर बीफ को लाने-ले जाने के लिए संरक्षण और मदद की मांग की. वासुदेव जब मुलाकात के लिए सामने आया तो उसके साथ हुई बातचीत को खुफिया कैमरे से रिकॉर्ड किया गया. वासुदेव ने मुलाकात के लिए हाइवे पर ऐसे स्थान को चुना जहां उसे कोई अन्य व्यक्ति ना देख सके. ये हैरान करने वाला था कि जिस शख्स की छवि बीफ लाने ले जाने वाले वाहनों को पकड़ने की थी वही बीफ की सुरक्षित आवाजाही के लिए दावे करने लगा.

बातचीत के दौरान वासुदेव ने दावा किया कि वो बीफ वाले वाहन पर खुद सवार रहेगा और उसे सुरक्षित उसकी मंजिल तक पहुंचाएगा. अपने गांव में वासु के नाम से जाने जाने वाले वासुदेव ने कहा, ‘ मैं खेप को सुरक्षित उस जगह तक पहुंचा दूंगा जहां आप चाहते हैं. जब तक आप मेरे संपर्क में हो आपको फिक्र करने की कोई जरूरत नहीं है. बस मुझे इतना बताइए कि वाहन कब आएगा. मैं उस वाहन पर खुद बैठूंगा और जब मैं बैठा हूंगा तो कोई बजरंग दल कार्यकर्ता या पुलिसकर्मी उसे रोकने की हिम्मत नहीं दिखाएगा.’

वासुदेव हमारे साथ बात करते हुए बहुत चौकन्ना था. उसकी पूरी कोशिश थी कि गांव की गौशाला के किसी अऩ्य सदस्य की नजर वहां ना पड़े. 

वासुदेव ने साथ ही कई सवाल भी किए. जैसे कि कितना बीफ लाया जाएगा. कौन से वाहन में लाया जाएगा, क्या ये कटा हुआ होगा और इसकी बाजार में क्या कीमत होगी. वासुदेव ने कहा, ‘मैं चाहता हूं कि आप मेरे साथ ईमानदार रहें. और ना ही किसी और व्यक्ति से इस बारे में संपर्क करें. साथ ही फोन पर भी कभी बीफ का उल्लेख ना करें. जब भी खेप आनी हो बस मुझे फोन कर दें, मैं इसी स्थान पर इंतजार करूंगा और वाहन पर सवार हो जाऊँगा.’

वासुदेव ने ये सब करने के लिए कितना पैसा लेगा, ये भी बताया. वासुदेव ने प्रति वाहन सुरक्षित ले जाने के लिए 20,000 रुपए की मांग की. अंडर कवर रिपोर्टर्स के मोल-भाव करने पर वासुदेव 15,000 रुपए में तैयार हो गया.

इंडिया टुडे की इन्वेस्टीगेशन टीम ने फिर नवी मुंबई का रुख किया. नवी मुंबई भी मुंबई का अहम एंट्री प्वाइंट है. पुणे, अहमदनगर और आसपास के क्षेत्रों से बड़ी मात्रा में मीट, बीफ मुंबई लाया जाता है. इसके लिए कालाम्बोली और पनवेल से होकर गुजरने वाले रूट का इस्तेमाल किया जाता है. यहां शिवसेना से जुड़े गौरक्षकों का अन्य गुट सक्रिय है. इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर्स को डी एन मिश्रा नाम के शख्स का पता चला जो कालाम्बोली, नवी मुंबई में शिवसेना का पूर्व शाखा प्रमुख रह चुका है.

ये हैरान करने वाला था कि हिंदुत्व की हितैषी होने के दावे करने वाली पार्टी से जुड़ा शख्स ही इस तरह की गतिविधियों में लिप्त था. मिश्रा के एक सहयोगी राजेश ने इंडिया टुडे टीम को ये कह कर फोन किया कि मिश्रा के सारे कामों को वो ही देखता है. मिश्रा और राजेश दोनों ही पनवेल से निकाय चुनाव लड़ चुके हैं और दोनों को ही हार का मुंह देखना पड़ा.     

राजेश ने इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर्स से बातचीत के दौरान कहा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की वजह से गोमांस का मिलना मुश्किल हो गया है. राजेश ने ये खुलासा भी किया कि एक बार हाईवे पर बीफ ले जाते एक ट्रक को पकड़ा गया. पैसे देकर समझौता करने से इनकार करने पर उस ट्रक को जला दिया गया. राजेश के मुताबिक इस घटना के लिए उस पर केस दर्ज है.

राजेश फिर इंडिया टुडे के दो अंडर कवर रिपोर्टर्स को मिश्रा के पास पार्टी दफ्तर में ले गया. मिश्रा ने खेप के साथ इसको ले जाने से जुडे  कागजात के बारे में पूछताछ की.  

राजेश ने फिर कहा, ‘हम जोनल डीसीपी से बात कर लेंगे और डॉक्टर की मदद से कागजात तैयार करने में भी मदद कर देंगे. गोमांस को लाना- ले जाना जोखिम भरा है, लेकिन उसे भैंस के मीट के साथ छुपा कर लाया जा सकता है.’  

राजेश से जब ये पूछा गया कि बीफ को सांगानेर से लाने के लिए वो कैसे कागजात तैयार कराएगा, इस पर उसका जवाब था कि वो इस काम को लंबे समय से कर रहे हैं, इसलिए फिक्र करने की जरूरत नहीं है.

उद्धव ठाकरे तक पहुंच का दावा

मिश्रा ने खेप को सुरक्षित पहुंचाने के लिए आश्वस्त करने के साथ अपनी लंबी पहुंच के भी लंबे चौड़े दावे किए. मिश्रा ने कहा, ‘मैं 18 साल से यहां हूं और मेरे मातोश्री से सीधे संपर्क हैं. उद्धव ठाकरे से लेकर पार्टी में हर कोई मुझे अच्छी तरह जानता है. सुप्रीमो (बाल ठाकरे) भी मुझे जानते थे. इस क्षेत्र में हमारा अच्छा रसूख है. सभी वरिष्ठ नेताओं के इस क्षेत्र में फॉर्म हाउस हैं.’   

राजेश ने बीच में दखल देते हुए कहा, ‘ये शिवसेना का दफ्तर है. हाईवे पर भी हमारा एक दफ्तर है. हम रात को अपनी गश्त लगवाते हैं और बीफ ले जाने वाले संदिग्ध वाहनों की तलाश में रहते हैं. स्थानीय लोग हमारी इज्जत करते हैं. इस क्षेत्र में हमने उनके लिए बहुत काम किया है.’

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