गोरखाओं की राष्‍ट्रीयता पर प्रश्‍न, कहा- ‘जन्‍म भारत में फिर भी विदेशी क्‍यों’

दार्जिलिंग में जीजेएम का चल रहे अनिश्‍चितकालीन हड़ताल का सोमवार को ग्‍यारहवां दिन है। गोरखाओं के राष्‍ट्रीयता पर संदेह के सवाल उठाए जाने पर समुदाय में उदासी और निराशा व्‍याप्‍त है। भारतीय गोरखा भूतपूर्व सैनिक कल्‍याण संगठन के सचिव डी पी गुरुंग ने सवाल किया कि भारत में जन्‍म लेने के बावजूद उन्‍हें विदेशी के तौर पर क्‍यों लिया जाता है।

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गोरखाओं की राष्‍ट्रीयता पर प्रश्‍न, कहा- ‘जन्‍म भारत में फिर भी विदेशी क्‍यों’

गुरुग ने कहा उनके पूर्वजों ने भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दी हैं तब भी उन्‍हें देश से बाहर का क्‍यों समझा जाता है। गुरुंग ने एएनआई को बताया, ‘1907 से ही हम अलग भूमि की मांग कर रहे हैं, इसलिए यह कोई नई मांग नहीं है। लेकिन बंगाल की सरकार और भारत सरकार इस पक्ष में नहीं है। हमारा जन्‍म भी यहीं हुआ है फिर हमें विदेशी के तौर पर क्‍यों लिया जाता है, हमारे पूर्वजों ने भारतीय सेना में अपना योगदान दिया है, क्‍या हम विदेशी हैं? हमारी मांग संवैधानिक है। बंगाल सरकार हमें आतंकवादी बुलाती है, क्‍या हम आतंकी हैं?’

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रविवार को भारतीय गोरखा भूतपूर्व सैनिक कल्‍याण संगठन द्वारा गोरखालैंड राज्‍य की मांग कर रहे शांतिपूर्ण विरोध के दौरान ये बयान आए। गोरखा जनमुक्‍ति मोर्चा ने ईद के अवसर पर मुस्‍लिम समुदाय के लिए 12 घंटों की छूट दी। गत 15 जून से दार्जिलिंग में जीजेएम का अनिश्‍चितकालीन बंद जारी है। इस बंद के कारण वहां जनजीवन अस्‍त व्‍यस्‍त है। इसके कारण वहां का चाय उद्योग भी बुरी तरह प्रभावित है।

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