विवाह समारोह में भव्यता दिखाने की होड़ वाले माहौल के बीच में बुंदेलखंड में दो परिवारों ने मिसाल पेश की है। कम खर्च के साथ ही पर्यावरण का संदेश देने वाले इस विवाह समारोह के साक्षी बने हजारों लोगों ने इनके प्रयास को जमकर सराहा है। बैलगाड़ी में युवक दुल्हन लेने आया तो लड़की पक्ष से सभी बरातियों को पौधे दिए गए। इसके बाद दुल्हन ने अपनी ससुराल में पति के साथ पौधरोपण करने के बाद घर में कदम रखा। बुंदेलखंड के बांदा में परंपराएं जीवंत हो गईं। यहां पर वैवाहिक समारोह में आधुनिक दिखावा काफी पीछे छूट गया। उन्नत तकनीक की अतार्किक बातें धरी की धरी रह गईं, जबकि गांव जीत गया। जीत इसलिए, क्योंकि इस गांव में बीते मंगलवार को 'इको फ्रेंडली' बरात आई, दूल्हा बैलगाड़ी पर सवार होकर आया। 'पर्यावरण का पहरुआ' दूल्हा खुश था ही, बैलगाडिय़ों पर सवार होकर दूल्हन के गांव पहुंचे बराती भी झूमते दिखे। यह ऐसी बरात थी जो मिसाल बनी। पर्यावरण संरक्षण का सकारात्मक संदेश देने में कामयाब हुई ...कि, बिना किसी तड़क-भड़क व दिखावे के भी बरात जा सकती है। बांदा में टॉमी बना दूल्हा व टीना बनी दुल्हन, निकली बरात यह भी पढ़ें जी हां, बैलगाड़ी से आई बरात जैसे ही नरैनी क्षेत्र के मोहनपुर खलारी गांव पहुंचीं तो लोग बरातियों के स्वागत में जुट गए। एक ऐसा विवाह जहां न डीजे और न ही रंग-बिरंगी लाइटों की तड़क-भड़क। लोगों ने भोजन भी किया तो दोना-पत्तल में। बैलगाड़ी वाला दूल्हा ले गया दुल्हनिया यह भी पढ़ें सुमनलता पटेल व उनके शिक्षक पति यशवंत पटेल ने अपनी भतीजी प्रीती का विवाह छतरपुर (मध्य प्रदेश)अंतर्गत सरबई गांव निवासी सुरेंद्र पटेल से किया। जनवासे में बरातियों के स्वागत की शुरूआत मिर्चवान (ठंडई-शरबत) से की गई। इसके बाद आगे की रस्म हुई। मंगलवार को विदाई से पहले दूल्हा-दुल्हन ने मिलकर पौधरोपण किया। बारातियों को भी विदाई में एक-एक पौधा दिया गया। फारेस्ट रेंजर जेके जायसवाल ने मौजूद एक सैकड़ा बारातियों को संकल्प पत्र के साथ पौधे भेंट किए। दूल्हा-दुल्हन की विदाई पालकी से हुई और बराती बैलगाडिय़ों से घर के लिए रवाना हो गए। क्षेत्रीय लोगों ने इस सादगी भरे वैवाहिक कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा की। कुछ ने तो अपने बेटे-बेटियों की शादी भी इसी तरह करने की बात की। आकर्षण का केंद्र रहा हरा-भरा मंडप बांदा में असलहे की दुकान में बड़ी चोरी, दर्जनों असलहे गायब यह भी पढ़ें मंडप पूरी तरह हरियाली से सजा हुआ था। स्वागत के लिए गेट (मुख्य द्वार) आम-जामुन के पत्तों व बांस के स्ट्रक्चर से बनाया गया था, जिसे हाथी दरवाजा भी बोलते हैं। दूल्हा खजूर की मौर और जामा पहनकर पहुंचा। दो वर्ष पहले गंगापुरवा में भी ऐसा ही एक विवाह देखने को मिला था।

चर्चा में बांदा की ईको फ्रेंडली शादी, बैलगाड़ी वाला दूल्हा ले गया दुल्हनिया

विवाह समारोह में भव्यता दिखाने की होड़ वाले माहौल के बीच में बुंदेलखंड में दो परिवारों ने मिसाल पेश की है। कम खर्च के साथ ही पर्यावरण का संदेश देने वाले इस विवाह समारोह के साक्षी बने हजारों लोगों ने इनके प्रयास को जमकर सराहा है। बैलगाड़ी में युवक दुल्हन लेने आया तो लड़की पक्ष से सभी बरातियों को पौधे दिए गए। इसके बाद दुल्हन ने अपनी ससुराल में पति के साथ पौधरोपण करने के बाद घर में कदम रखा।विवाह समारोह में भव्यता दिखाने की होड़ वाले माहौल के बीच में बुंदेलखंड में दो परिवारों ने मिसाल पेश की है। कम खर्च के साथ ही पर्यावरण का संदेश देने वाले इस विवाह समारोह के साक्षी बने हजारों लोगों ने इनके प्रयास को जमकर सराहा है। बैलगाड़ी में युवक दुल्हन लेने आया तो लड़की पक्ष से सभी बरातियों को पौधे दिए गए। इसके बाद दुल्हन ने अपनी ससुराल में पति के साथ पौधरोपण करने के बाद घर में कदम रखा।  बुंदेलखंड के बांदा में परंपराएं जीवंत हो गईं। यहां पर वैवाहिक समारोह में आधुनिक दिखावा काफी पीछे छूट गया। उन्नत तकनीक की अतार्किक बातें धरी की धरी रह गईं, जबकि गांव जीत गया। जीत इसलिए, क्योंकि इस गांव में बीते मंगलवार को 'इको फ्रेंडली' बरात आई, दूल्हा बैलगाड़ी पर सवार होकर आया।  'पर्यावरण का पहरुआ' दूल्हा खुश था ही, बैलगाडिय़ों पर सवार होकर दूल्हन के गांव पहुंचे बराती भी झूमते दिखे। यह ऐसी बरात थी जो मिसाल बनी। पर्यावरण संरक्षण का सकारात्मक संदेश देने में कामयाब हुई ...कि, बिना किसी तड़क-भड़क व दिखावे के भी बरात जा सकती है।   बांदा में टॉमी बना दूल्हा व टीना बनी दुल्हन, निकली बरात यह भी पढ़ें   जी हां, बैलगाड़ी से आई बरात जैसे ही नरैनी क्षेत्र के मोहनपुर खलारी गांव पहुंचीं तो लोग बरातियों के स्वागत में जुट गए। एक ऐसा विवाह जहां न डीजे और न ही रंग-बिरंगी लाइटों की तड़क-भड़क। लोगों ने भोजन भी किया तो दोना-पत्तल में।   बैलगाड़ी वाला दूल्हा ले गया दुल्हनिया यह भी पढ़ें सुमनलता पटेल व उनके शिक्षक पति यशवंत पटेल ने अपनी भतीजी प्रीती का विवाह छतरपुर (मध्य प्रदेश)अंतर्गत सरबई गांव निवासी सुरेंद्र पटेल से किया। जनवासे में बरातियों के स्वागत की शुरूआत मिर्चवान (ठंडई-शरबत) से की गई। इसके बाद आगे की रस्म हुई। मंगलवार को विदाई से पहले दूल्हा-दुल्हन ने मिलकर पौधरोपण किया। बारातियों को भी विदाई में एक-एक पौधा दिया गया। फारेस्ट रेंजर जेके जायसवाल ने मौजूद एक सैकड़ा बारातियों को संकल्प पत्र के साथ पौधे भेंट किए। दूल्हा-दुल्हन की विदाई पालकी से हुई और बराती बैलगाडिय़ों से घर के लिए रवाना हो गए। क्षेत्रीय लोगों ने इस सादगी भरे वैवाहिक कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा की। कुछ ने तो अपने बेटे-बेटियों की शादी भी इसी तरह करने की बात की।  आकर्षण का केंद्र रहा हरा-भरा मंडप   बांदा में असलहे की दुकान में बड़ी चोरी, दर्जनों असलहे गायब यह भी पढ़ें मंडप पूरी तरह हरियाली से सजा हुआ था। स्वागत के लिए गेट (मुख्य द्वार) आम-जामुन के पत्तों व बांस के स्ट्रक्चर से बनाया गया था, जिसे हाथी दरवाजा भी बोलते हैं। दूल्हा खजूर की मौर और जामा पहनकर पहुंचा। दो वर्ष पहले गंगापुरवा में भी ऐसा ही एक विवाह देखने को मिला था।

बुंदेलखंड के बांदा में परंपराएं जीवंत हो गईं। यहां पर वैवाहिक समारोह में आधुनिक दिखावा काफी पीछे छूट गया। उन्नत तकनीक की अतार्किक बातें धरी की धरी रह गईं, जबकि गांव जीत गया। जीत इसलिए, क्योंकि इस गांव में बीते मंगलवार को ‘इको फ्रेंडली’ बरात आई, दूल्हा बैलगाड़ी पर सवार होकर आया।

‘पर्यावरण का पहरुआ’ दूल्हा खुश था ही, बैलगाडिय़ों पर सवार होकर दूल्हन के गांव पहुंचे बराती भी झूमते दिखे। यह ऐसी बरात थी जो मिसाल बनी। पर्यावरण संरक्षण का सकारात्मक संदेश देने में कामयाब हुई …कि, बिना किसी तड़क-भड़क व दिखावे के भी बरात जा सकती है।

जी हां, बैलगाड़ी से आई बरात जैसे ही नरैनी क्षेत्र के मोहनपुर खलारी गांव पहुंचीं तो लोग बरातियों के स्वागत में जुट गए। एक ऐसा विवाह जहां न डीजे और न ही रंग-बिरंगी लाइटों की तड़क-भड़क। लोगों ने भोजन भी किया तो दोना-पत्तल में।

सुमनलता पटेल व उनके शिक्षक पति यशवंत पटेल ने अपनी भतीजी प्रीती का विवाह छतरपुर (मध्य प्रदेश)अंतर्गत सरबई गांव निवासी सुरेंद्र पटेल से किया। जनवासे में बरातियों के स्वागत की शुरूआत मिर्चवान (ठंडई-शरबत) से की गई। इसके बाद आगे की रस्म हुई। मंगलवार को विदाई से पहले दूल्हा-दुल्हन ने मिलकर पौधरोपण किया। बारातियों को भी विदाई में एक-एक पौधा दिया गया। फारेस्ट रेंजर जेके जायसवाल ने मौजूद एक सैकड़ा बारातियों को संकल्प पत्र के साथ पौधे भेंट किए। दूल्हा-दुल्हन की विदाई पालकी से हुई और बराती बैलगाडिय़ों से घर के लिए रवाना हो गए। क्षेत्रीय लोगों ने इस सादगी भरे वैवाहिक कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा की। कुछ ने तो अपने बेटे-बेटियों की शादी भी इसी तरह करने की बात की।

आकर्षण का केंद्र रहा हरा-भरा मंडप

मंडप पूरी तरह हरियाली से सजा हुआ था। स्वागत के लिए गेट (मुख्य द्वार) आम-जामुन के पत्तों व बांस के स्ट्रक्चर से बनाया गया था, जिसे हाथी दरवाजा भी बोलते हैं। दूल्हा खजूर की मौर और जामा पहनकर पहुंचा। दो वर्ष पहले गंगापुरवा में भी ऐसा ही एक विवाह देखने को मिला था।

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