ग्लोबल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है और इसके चलते भारत में महंगाई बेलगाम होती दिखाई दे रही है. इसी एक संकेत को आधार मानते हुए केन्द्रीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को प्रमुख नीतिगत दर रेपो में 25 बेसिस प्वाइंट का इजाफा कर इसे 6.25 फीसदी कर दिया. रेपो रेट में इस इजाफे पर रिजर्व बैंक गवर्नर समेत समिति के सभी 6 सदस्यों की मुहर लगी. यानी आरबीआई समिति का मानना है कि मौजूदा समय में भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने खड़ी चुनौतियों को देखते हुए यह कदम उठाया जाना जरूरी था. हालांकि रिजर्व बैंक के इस फैसले ने बाजार को चौंकाने का काम किया क्योंकि लंबे समय से बाजार को सस्ते ब्याज दरों की उम्मीद बंधी हुई थी जिससे देश में कारोबारी तेजी का रास्ता साफ किया जा सके. जानें रिजर्व बैंक की तीन दिन तक चली बैठक के बाद कैसा बताया गया देश और दुनिया का आर्थिक स्वास्थः- विकसित अर्थव्यवस्थाओं से खराब संकेत अप्रैल में रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा से लेकर जून समीक्षा तक वैश्विक आर्थिक गतिविधियों में विस्तार जारी है हालांकि इस विस्तार की रफ्तार प्रभावित हुई है और यह पहले से कमजोर पड़ी है. विकसित अर्थव्यवस्थाओं में अमेरिका में नरम निजी खर्च और हाउसिंग सेक्टर में कम निवेश के चलते साल की शुरुआत कमजोर रही है. हालांकि माना जा रहा है कि रोजगार और रिटेल सेल के आंकड़ों में सुधार के चलते अमेरिका में स्थिति अच्छी हो सकती है. वहीं मौजूदा साल में यूरो क्षेत्र का प्रदर्शन खराब रहा है. यूरो क्षेत्र में कमजोर उत्पादन आंकड़े और खराब होती कारोबारी भावना आने वाले दिनों में परेशानी का सबब बन सकती है. इनके अलावा, जापान में पहली तिमाही के दौरान आर्थिक सिकुड़न दर्ज हुई है हालांकि दूसरी तिमाही में सुधार की संभावना है. उभरती अर्थव्यवस्थाओं से मिला-जुला संकेत प्रमुख उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं (ईएमई) में आर्थिक गतिविधि काफी लचीली रही हैं. चीनी अर्थव्यवस्था ने पहली तिमाही में मजबूत गति कायम रखी. औद्योगिक उत्पादन पर हाल ही के आंकड़े और पीएमआई दर्शाता है कि दूसरी तिमाही में वृद्धि के स्थिर रहने की संभावना है. वहीं रूसी अर्थव्यवस्था में वर्ष 2017 के अंत में नरमी के बाद आने वाले सालों में बढ़ोतरी की संभावना है. दोनों विनिर्माण और सेवाओं के पीएमआई में अप्रैल में बढोतरी हुई. दक्षिण अफ्रीका में, राजनीतिक स्थिरता आने से वृद्धि संभावनाओं में सुधार हुआ है. ऐसा उपभोक्ता विश्वास, विनिर्माण पीएमआई और खुदरा बिक्री के आंकड़ों से दिखाई दे रहा है. इसके विपरीत, ब्राजील से उच्च बेरोजगारी और नरम औद्योगिक उत्पादन के कमजोर आंकड़े दर्शाते हैं कि मंदी का प्रभाव बना हुआ है. इसे पढ़ें: आम आदमी से ज्यादा सरकारों के 'अच्छे दिन' लाएगा ये रेपो रेट कट भौगोलिक-राजनीतिक तनाव से अनिश्चितता का माहौल वैश्विक व्यापार वृद्धि में मजबूती बनी हुई है, हालांकि भौगोलिक-राजनीतिक तनाव से हाल ही में निर्यात आदेशों और हवाई माल भाड़े में गिरावट आई है. बढ़े हुए भौगोलिक-राजनीतिक तनाव के कारण कच्चे तेल की कीमतें 24 मई तक तेजी से बढ़ी किंतु इसके बाद पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) और रूस द्वारा आपूर्ति को सहज करने की संभावनाओं से कीमतों में नरमी आई. रूस पर अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण मूल धातु विशेषकर एल्यूमिनियम की कीमतें बढ़ गई. मजबूत डॉलर के कारण स्वर्ण ने बिक्री दबाव देखा है हालांकि पिछले सप्ताह में यूरो क्षेत्र में राजनीतिक अनिश्चितता के कारण इस धातु में सुधार हुआ. इन कारणों से दुनिया की कई उभरती अर्थव्यवस्थाओं के सामने महंगाई का खतरा खड़ा हो गया है. घरेलू अर्थव्यवस्था में जीडीपी रफ्तार संभालने की कवायद घरेलू मोर्चे पर केंद्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (सीएसओ) ने 31 मई को वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही के लिए राष्ट्रीय आय लेखों के तिमाही अनुमान और वर्ष 2017-18 के लिए अनंतिम अनुमान जारी किए. वर्ष 2017-18 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 6.7 प्रतिशत अनुमानित की गई है जो 28 फरवरी को जारी किए गए दूसरे अग्रिम अनुमानों से 0.1 प्रतिशत अंक ज्यादा है. बंपर फसल और ग्रामीण आवास और इंफ्रास्ट्रक्चर पर सरकार के जोर के चलते विशेषकर उन्नत ग्रामीण मांग के कारण निजी अंतिम उपभोग व्यय में काफी अधिक बढ़ोतरी से इस वृद्धि को सहारा मिला है. तिमाही आंकड़े दर्शाते हैं कि वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में अर्थव्यवस्था 7.7 प्रतिशत से बढ़ी जो पिछली सात तिमाहियों में सबसे तेज गति है. सकल स्थायी पूंजी निर्माण (जीएफसीएफ) वृद्धि चौथी तिमाही तक लगातार तीन तिमाहियों में बढ़ी. सामान्य मॉनसून से आ रही सबसे बड़ी राहत रिजर्व बैंक ने आपूर्ति पक्ष पर, कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के अनुमानों को भी बढ़ाया है जिनमें वर्ष के दौरान खाद्यान्न और बागवानी में अब तक के सबसे अधिक उत्पादन द्वारा सहायता मिली. तिमाही आधार पर, वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में कृषि वृद्धि तेजी से बढ़ी है. 16 अप्रैल को भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने सामान्य दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून वर्षा का पूर्वानुमान लगाया है जिसकी 30 मई को पुनः पुष्टि की गई. यह कृषि क्षेत्र के लिए अच्छा संकेत है. मौसम और कृषि वैज्ञानिकों का दावा है कि इस साल सामान्य मॉनसून देश में खरीफ पैदावार के लिए बेहद अहम है और अनुमान है कि इस पैदावार के सहारे देश में किसानों को अच्छी आमदनी देखने को मिलेगी जिसका सीधा असर देश में आर्थिक गतिविधि को तेज करने में देखने को मिलेगा. कोयला, सीमेंट उत्पादन तेज, बिजली सुस्त रिजर्व बैंक के मुताबिक औद्योगिक वृद्धि में भी मजबूती आई है जो विनिर्माण के मजबूत निष्पादन को दर्शा रही है. यह चौथी तिमाही में लगातार तीन तिमाहियों में तेज हुई है. विनिर्माण फर्मों द्वारा क्षमता उपयोग वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में काफी बढ़ा जैसा कि रिज़र्व बैंक को उम्मीद थी. कोयले के उत्पादन में तेज विस्तार के कारण आठ मुख्य उद्योगों का उत्पादन अप्रैल में तीव्र हुआ जो 42 महीनों के अपने उच्च स्तर पर पहुंच गया. सीमेंट उत्पादन ने भी अप्रैल में लगातार छह महीनों के लिए दुहरी अंकों में वृद्धि दिखाई दी है. हालांकि विद्युत उत्पादन में कमी देखने को मिली है. रिजर्व बैंक ने बताया कि नए घरेलू आदेशों और निर्यात के सहारे मई में विनिर्माण पीएमआई लगातार दसवें महीने तेज रफ्तार दिखा रही है. सर्विस सेक्टर ने सरकार को किया है निराश व्यापार, होटल, परिवहन और संचार तथा वित्तीय सेवाओं जैसे कुछ संघटकों में कम वृद्धि के कारण सेवा क्षेत्र की वृद्धि नीचे की ओर संशोधित की गई है. हालांकि आंकड़ों में यह मजबूत ही दिखाई दे रही है. निर्माण कार्यकलाप ने नई श्रृंखला (आधार 2011-12) में चौथी तिमाही में उच्चतम वृद्धि दर्ज की. हालांकि देश में ट्रैक्टरों और दुपहिया वाहनों की बढ़ती बिक्री ग्रामीण मांग की मजबूती दर्शाती है. वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री भी अप्रैल में तेज हुई. रेलवे के राजस्व अर्जन मालभाड़ा ट्रैफिक में वृद्धि हुई जिसका कारण कोयले, उर्वरकों और सीमेंट में बढ़ोतरी है. यात्री वाहनों की बिक्री वृद्धि तेज हुई लेकिन अप्रैल में लागतार तीसरे महीने के लिए बंदरगाह ट्रैफिक में गिरावट दर्ज हुई है.

चार साल बाद RBI ने इन मजबूरियों के चलते बढ़ाया रेपो रेट

ग्लोबल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है और इसके चलते भारत में महंगाई बेलगाम होती दिखाई दे रही है. इसी एक संकेत को आधार मानते हुए केन्द्रीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को प्रमुख नीतिगत दर रेपो में 25 बेसिस प्वाइंट का इजाफा कर इसे 6.25 फीसदी कर दिया. रेपो रेट में इस इजाफे पर रिजर्व बैंक गवर्नर समेत समिति के सभी 6 सदस्यों की मुहर लगी. यानी आरबीआई समिति का मानना है कि मौजूदा समय में भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने खड़ी चुनौतियों को देखते हुए यह कदम उठाया जाना जरूरी था. हालांकि रिजर्व बैंक के इस फैसले ने बाजार को चौंकाने का काम किया क्योंकि लंबे समय से बाजार को सस्ते ब्याज दरों की उम्मीद बंधी हुई थी जिससे देश में कारोबारी तेजी का रास्ता साफ किया जा सके.ग्लोबल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है और इसके चलते भारत में महंगाई बेलगाम होती दिखाई दे रही है. इसी एक संकेत को आधार मानते हुए केन्द्रीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को प्रमुख नीतिगत दर रेपो में 25 बेसिस प्वाइंट का इजाफा कर इसे 6.25 फीसदी कर दिया. रेपो रेट में इस इजाफे पर रिजर्व बैंक गवर्नर समेत समिति के सभी 6 सदस्यों की मुहर लगी. यानी आरबीआई समिति का मानना है कि मौजूदा समय में भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने खड़ी चुनौतियों को देखते हुए यह कदम उठाया जाना जरूरी था. हालांकि रिजर्व बैंक के इस फैसले ने बाजार को चौंकाने का काम किया क्योंकि लंबे समय से बाजार को सस्ते ब्याज दरों की उम्मीद बंधी हुई थी जिससे देश में कारोबारी तेजी का रास्ता साफ किया जा सके.  जानें रिजर्व बैंक की तीन दिन तक चली बैठक के बाद कैसा बताया गया देश और दुनिया का आर्थिक स्वास्थः-  विकसित अर्थव्यवस्थाओं से खराब संकेत अप्रैल में रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा से लेकर जून समीक्षा तक वैश्विक आर्थिक गतिविधियों में विस्तार जारी है हालांकि इस विस्तार की रफ्तार प्रभावित हुई है और यह पहले से कमजोर पड़ी है. विकसित अर्थव्यवस्थाओं में अमेरिका में नरम निजी खर्च और हाउसिंग सेक्टर में कम निवेश के चलते साल की शुरुआत कमजोर रही है. हालांकि माना जा रहा है कि रोजगार और रिटेल सेल के आंकड़ों में सुधार के चलते अमेरिका में स्थिति अच्छी हो सकती है. वहीं मौजूदा साल में यूरो क्षेत्र का प्रदर्शन खराब रहा है. यूरो क्षेत्र में कमजोर उत्पादन आंकड़े और खराब होती कारोबारी भावना आने वाले दिनों में परेशानी का सबब बन सकती है. इनके अलावा, जापान में पहली तिमाही के दौरान आर्थिक सिकुड़न दर्ज हुई है हालांकि दूसरी तिमाही में सुधार की संभावना है.  उभरती अर्थव्यवस्थाओं से मिला-जुला संकेत  प्रमुख उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं (ईएमई) में आर्थिक गतिविधि काफी लचीली रही हैं. चीनी अर्थव्यवस्था ने पहली तिमाही में मजबूत गति कायम रखी. औद्योगिक उत्पादन पर हाल ही के आंकड़े और पीएमआई दर्शाता है कि दूसरी तिमाही में वृद्धि के स्थिर रहने की संभावना है. वहीं रूसी अर्थव्यवस्था में वर्ष 2017 के अंत में नरमी के बाद आने वाले सालों में बढ़ोतरी की संभावना है. दोनों विनिर्माण और सेवाओं के पीएमआई में अप्रैल में बढोतरी हुई. दक्षिण अफ्रीका में, राजनीतिक स्थिरता आने से वृद्धि संभावनाओं में सुधार हुआ है. ऐसा उपभोक्ता विश्वास, विनिर्माण पीएमआई और खुदरा बिक्री के आंकड़ों से दिखाई दे रहा है. इसके विपरीत, ब्राजील से उच्च बेरोजगारी और नरम औद्योगिक उत्पादन के कमजोर आंकड़े दर्शाते हैं कि मंदी का प्रभाव बना हुआ है.  इसे पढ़ें: आम आदमी से ज्यादा सरकारों के 'अच्छे दिन' लाएगा ये रेपो रेट कट  भौगोलिक-राजनीतिक तनाव से अनिश्चितता का माहौल  वैश्विक व्यापार वृद्धि में मजबूती बनी हुई है, हालांकि भौगोलिक-राजनीतिक तनाव से हाल ही में निर्यात आदेशों और हवाई माल भाड़े में गिरावट आई है. बढ़े हुए भौगोलिक-राजनीतिक तनाव के कारण कच्चे तेल की कीमतें 24 मई तक तेजी से बढ़ी किंतु इसके बाद पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) और रूस द्वारा आपूर्ति को सहज करने की संभावनाओं से कीमतों में नरमी आई. रूस पर अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण मूल धातु विशेषकर एल्यूमिनियम की कीमतें बढ़ गई. मजबूत डॉलर के कारण स्वर्ण ने बिक्री दबाव देखा है हालांकि पिछले सप्ताह में यूरो क्षेत्र में राजनीतिक अनिश्चितता के कारण इस धातु में सुधार हुआ. इन कारणों से दुनिया की कई उभरती अर्थव्यवस्थाओं के सामने महंगाई का खतरा खड़ा हो गया है.  घरेलू अर्थव्यवस्था में जीडीपी रफ्तार संभालने की कवायद  घरेलू मोर्चे पर केंद्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (सीएसओ) ने 31 मई को वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही के लिए राष्ट्रीय आय लेखों के तिमाही अनुमान और वर्ष 2017-18 के लिए अनंतिम अनुमान जारी किए. वर्ष 2017-18 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 6.7 प्रतिशत अनुमानित की गई है जो 28 फरवरी को जारी किए गए दूसरे अग्रिम अनुमानों से 0.1 प्रतिशत अंक ज्यादा है. बंपर फसल और ग्रामीण आवास और इंफ्रास्ट्रक्चर पर सरकार के जोर के चलते विशेषकर उन्नत ग्रामीण मांग के कारण निजी अंतिम उपभोग व्यय में काफी अधिक बढ़ोतरी से इस वृद्धि को सहारा मिला है. तिमाही आंकड़े दर्शाते हैं कि वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में अर्थव्यवस्था 7.7 प्रतिशत से बढ़ी जो पिछली सात तिमाहियों में सबसे तेज गति है. सकल स्थायी पूंजी निर्माण (जीएफसीएफ) वृद्धि चौथी तिमाही तक लगातार तीन तिमाहियों में बढ़ी.  सामान्य मॉनसून से आ रही सबसे बड़ी राहत  रिजर्व बैंक ने आपूर्ति पक्ष पर, कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के अनुमानों को भी बढ़ाया है जिनमें वर्ष के दौरान खाद्यान्न और बागवानी में अब तक के सबसे अधिक उत्पादन द्वारा सहायता मिली. तिमाही आधार पर, वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में कृषि वृद्धि तेजी से बढ़ी है. 16 अप्रैल को भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने सामान्य दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून वर्षा का पूर्वानुमान लगाया है जिसकी 30 मई को पुनः पुष्टि की गई. यह कृषि क्षेत्र के लिए अच्छा संकेत है. मौसम और कृषि वैज्ञानिकों का दावा है कि इस साल सामान्य मॉनसून देश में खरीफ पैदावार के लिए बेहद अहम है और अनुमान है कि इस पैदावार के सहारे देश में किसानों को अच्छी आमदनी देखने को मिलेगी जिसका सीधा असर देश में आर्थिक गतिविधि को तेज करने में देखने को मिलेगा.  कोयला, सीमेंट उत्पादन तेज, बिजली सुस्त  रिजर्व बैंक के मुताबिक औद्योगिक वृद्धि में भी मजबूती आई है जो विनिर्माण के मजबूत निष्पादन को दर्शा रही है. यह चौथी तिमाही में लगातार तीन तिमाहियों में तेज हुई है. विनिर्माण फर्मों द्वारा क्षमता उपयोग वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में काफी बढ़ा जैसा कि रिज़र्व बैंक को उम्मीद थी. कोयले के उत्पादन में तेज विस्तार के कारण आठ मुख्य उद्योगों का उत्पादन अप्रैल में तीव्र हुआ जो 42 महीनों के अपने उच्च स्तर पर पहुंच गया. सीमेंट उत्पादन ने भी अप्रैल में लगातार छह महीनों के लिए दुहरी अंकों में वृद्धि दिखाई दी है. हालांकि विद्युत उत्पादन में कमी देखने को मिली है. रिजर्व बैंक ने बताया कि नए घरेलू आदेशों और निर्यात के सहारे मई में विनिर्माण पीएमआई लगातार दसवें महीने तेज रफ्तार दिखा रही है.  सर्विस सेक्टर ने सरकार को किया है निराश  व्यापार, होटल, परिवहन और संचार तथा वित्तीय सेवाओं जैसे कुछ संघटकों में कम वृद्धि के कारण सेवा क्षेत्र की वृद्धि नीचे की ओर संशोधित की गई है. हालांकि आंकड़ों में यह मजबूत ही दिखाई दे रही है. निर्माण कार्यकलाप ने नई श्रृंखला (आधार 2011-12) में चौथी तिमाही में उच्चतम वृद्धि दर्ज की. हालांकि देश में ट्रैक्टरों और दुपहिया वाहनों की बढ़ती बिक्री ग्रामीण मांग की मजबूती दर्शाती है. वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री भी अप्रैल में तेज हुई. रेलवे के राजस्व अर्जन मालभाड़ा ट्रैफिक में वृद्धि हुई जिसका कारण कोयले, उर्वरकों और सीमेंट में बढ़ोतरी है. यात्री वाहनों की बिक्री वृद्धि तेज हुई लेकिन अप्रैल में लागतार तीसरे महीने के लिए बंदरगाह ट्रैफिक में गिरावट दर्ज हुई है.

जानें रिजर्व बैंक की तीन दिन तक चली बैठक के बाद कैसा बताया गया देश और दुनिया का आर्थिक स्वास्थः-

विकसित अर्थव्यवस्थाओं से खराब संकेत

अप्रैल में रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा से लेकर जून समीक्षा तक वैश्विक आर्थिक गतिविधियों में विस्तार जारी है हालांकि इस विस्तार की रफ्तार प्रभावित हुई है और यह पहले से कमजोर पड़ी है. विकसित अर्थव्यवस्थाओं में अमेरिका में नरम निजी खर्च और हाउसिंग सेक्टर में कम निवेश के चलते साल की शुरुआत कमजोर रही है. हालांकि माना जा रहा है कि रोजगार और रिटेल सेल के आंकड़ों में सुधार के चलते अमेरिका में स्थिति अच्छी हो सकती है. वहीं मौजूदा साल में यूरो क्षेत्र का प्रदर्शन खराब रहा है. यूरो क्षेत्र में कमजोर उत्पादन आंकड़े और खराब होती कारोबारी भावना आने वाले दिनों में परेशानी का सबब बन सकती है. इनके अलावा, जापान में पहली तिमाही के दौरान आर्थिक सिकुड़न दर्ज हुई है हालांकि दूसरी तिमाही में सुधार की संभावना है.

उभरती अर्थव्यवस्थाओं से मिला-जुला संकेत

प्रमुख उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं (ईएमई) में आर्थिक गतिविधि काफी लचीली रही हैं. चीनी अर्थव्यवस्था ने पहली तिमाही में मजबूत गति कायम रखी. औद्योगिक उत्पादन पर हाल ही के आंकड़े और पीएमआई दर्शाता है कि दूसरी तिमाही में वृद्धि के स्थिर रहने की संभावना है. वहीं रूसी अर्थव्यवस्था में वर्ष 2017 के अंत में नरमी के बाद आने वाले सालों में बढ़ोतरी की संभावना है. दोनों विनिर्माण और सेवाओं के पीएमआई में अप्रैल में बढोतरी हुई. दक्षिण अफ्रीका में, राजनीतिक स्थिरता आने से वृद्धि संभावनाओं में सुधार हुआ है. ऐसा उपभोक्ता विश्वास, विनिर्माण पीएमआई और खुदरा बिक्री के आंकड़ों से दिखाई दे रहा है. इसके विपरीत, ब्राजील से उच्च बेरोजगारी और नरम औद्योगिक उत्पादन के कमजोर आंकड़े दर्शाते हैं कि मंदी का प्रभाव बना हुआ है.

भौगोलिक-राजनीतिक तनाव से अनिश्चितता का माहौल

वैश्विक व्यापार वृद्धि में मजबूती बनी हुई है, हालांकि भौगोलिक-राजनीतिक तनाव से हाल ही में निर्यात आदेशों और हवाई माल भाड़े में गिरावट आई है. बढ़े हुए भौगोलिक-राजनीतिक तनाव के कारण कच्चे तेल की कीमतें 24 मई तक तेजी से बढ़ी किंतु इसके बाद पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) और रूस द्वारा आपूर्ति को सहज करने की संभावनाओं से कीमतों में नरमी आई. रूस पर अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण मूल धातु विशेषकर एल्यूमिनियम की कीमतें बढ़ गई. मजबूत डॉलर के कारण स्वर्ण ने बिक्री दबाव देखा है हालांकि पिछले सप्ताह में यूरो क्षेत्र में राजनीतिक अनिश्चितता के कारण इस धातु में सुधार हुआ. इन कारणों से दुनिया की कई उभरती अर्थव्यवस्थाओं के सामने महंगाई का खतरा खड़ा हो गया है.

घरेलू अर्थव्यवस्था में जीडीपी रफ्तार संभालने की कवायद

घरेलू मोर्चे पर केंद्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (सीएसओ) ने 31 मई को वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही के लिए राष्ट्रीय आय लेखों के तिमाही अनुमान और वर्ष 2017-18 के लिए अनंतिम अनुमान जारी किए. वर्ष 2017-18 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 6.7 प्रतिशत अनुमानित की गई है जो 28 फरवरी को जारी किए गए दूसरे अग्रिम अनुमानों से 0.1 प्रतिशत अंक ज्यादा है. बंपर फसल और ग्रामीण आवास और इंफ्रास्ट्रक्चर पर सरकार के जोर के चलते विशेषकर उन्नत ग्रामीण मांग के कारण निजी अंतिम उपभोग व्यय में काफी अधिक बढ़ोतरी से इस वृद्धि को सहारा मिला है. तिमाही आंकड़े दर्शाते हैं कि वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में अर्थव्यवस्था 7.7 प्रतिशत से बढ़ी जो पिछली सात तिमाहियों में सबसे तेज गति है. सकल स्थायी पूंजी निर्माण (जीएफसीएफ) वृद्धि चौथी तिमाही तक लगातार तीन तिमाहियों में बढ़ी.

सामान्य मॉनसून से आ रही सबसे बड़ी राहत

रिजर्व बैंक ने आपूर्ति पक्ष पर, कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के अनुमानों को भी बढ़ाया है जिनमें वर्ष के दौरान खाद्यान्न और बागवानी में अब तक के सबसे अधिक उत्पादन द्वारा सहायता मिली. तिमाही आधार पर, वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में कृषि वृद्धि तेजी से बढ़ी है. 16 अप्रैल को भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने सामान्य दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून वर्षा का पूर्वानुमान लगाया है जिसकी 30 मई को पुनः पुष्टि की गई. यह कृषि क्षेत्र के लिए अच्छा संकेत है. मौसम और कृषि वैज्ञानिकों का दावा है कि इस साल सामान्य मॉनसून देश में खरीफ पैदावार के लिए बेहद अहम है और अनुमान है कि इस पैदावार के सहारे देश में किसानों को अच्छी आमदनी देखने को मिलेगी जिसका सीधा असर देश में आर्थिक गतिविधि को तेज करने में देखने को मिलेगा.

कोयला, सीमेंट उत्पादन तेज, बिजली सुस्त

रिजर्व बैंक के मुताबिक औद्योगिक वृद्धि में भी मजबूती आई है जो विनिर्माण के मजबूत निष्पादन को दर्शा रही है. यह चौथी तिमाही में लगातार तीन तिमाहियों में तेज हुई है. विनिर्माण फर्मों द्वारा क्षमता उपयोग वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में काफी बढ़ा जैसा कि रिज़र्व बैंक को उम्मीद थी. कोयले के उत्पादन में तेज विस्तार के कारण आठ मुख्य उद्योगों का उत्पादन अप्रैल में तीव्र हुआ जो 42 महीनों के अपने उच्च स्तर पर पहुंच गया. सीमेंट उत्पादन ने भी अप्रैल में लगातार छह महीनों के लिए दुहरी अंकों में वृद्धि दिखाई दी है. हालांकि विद्युत उत्पादन में कमी देखने को मिली है. रिजर्व बैंक ने बताया कि नए घरेलू आदेशों और निर्यात के सहारे मई में विनिर्माण पीएमआई लगातार दसवें महीने तेज रफ्तार दिखा रही है.

सर्विस सेक्टर ने सरकार को किया है निराश

व्यापार, होटल, परिवहन और संचार तथा वित्तीय सेवाओं जैसे कुछ संघटकों में कम वृद्धि के कारण सेवा क्षेत्र की वृद्धि नीचे की ओर संशोधित की गई है. हालांकि आंकड़ों में यह मजबूत ही दिखाई दे रही है. निर्माण कार्यकलाप ने नई श्रृंखला (आधार 2011-12) में चौथी तिमाही में उच्चतम वृद्धि दर्ज की. हालांकि देश में ट्रैक्टरों और दुपहिया वाहनों की बढ़ती बिक्री ग्रामीण मांग की मजबूती दर्शाती है. वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री भी अप्रैल में तेज हुई. रेलवे के राजस्व अर्जन मालभाड़ा ट्रैफिक में वृद्धि हुई जिसका कारण कोयले, उर्वरकों और सीमेंट में बढ़ोतरी है. यात्री वाहनों की बिक्री वृद्धि तेज हुई लेकिन अप्रैल में लागतार तीसरे महीने के लिए बंदरगाह ट्रैफिक में गिरावट दर्ज हुई है.

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