चार साल में किया पांच साल का काम, चौथी सालगिरह पर मोदी सरकार छेड़ेगी बड़ा प्रचार अभियान

चार साल में किया पांच साल का काम, चौथी सालगिरह पर मोदी सरकार छेड़ेगी बड़ा प्रचार अभियान

केंद्र सरकार अपनी चौथी वर्षगांठ पर अगले महीने बड़ा प्रचार अभियान छेड़ने जा रही है। इस अभियान की थीम होगी – पांच साल का काम चार साल में ही कर दिखाया। इसके लिए सरकार ने सभी मंत्रालयों से उनके प्रदर्शन और उपलब्धियों के आंकडे़ जुटाकर प्रधानमंत्री कार्यालय भेजने के निर्देश दिए हैं।  चार साल में किया पांच साल का काम, चौथी सालगिरह पर मोदी सरकार छेड़ेगी बड़ा प्रचार अभियान

सरकार के प्रचार अभियान के केंद्र में गरीब और दलितों के लिए बनाई योजनाओं की उपलब्धियां होंगी ताकि विपक्ष के इस प्रोपेगंडा की काट की जा सके कि यह सरकार गरीब और दलित विरोधी है।

सरकार ने असंगठित क्षेत्र के मजदूरों का प्रॉविडेंट फंड काटने का प्रावधान किया है जिसके ब्याज की रकम सरकार चुकाएगी। इससे उनके नियोक्ताओं पर कोई बोझ नहीं पड़ेगा। साथ ही सरकार के प्रचार अभियान में 12 रुपये प्रतिवर्ष की दर पर दुर्घटना बीमा और एक रुपये प्रतिदिन की दर पर पंद्रह साल तक देने से साठ साल की उम्र के बाद 5000 रुपये प्रतिमाह की पेंशन का प्रावधान है। और यह रकम लेने के लिए उन्हें सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे बल्कि यह पैसा डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से हर महीने उनके जनधन बैंक खाते में आ जाएंगे।

आधार से बचाए 50000 करोड़
सरकार ने पिछले चार सालों में डीबीटी के जरिए बचाए हैं। यह सब आधार की वजह से फर्जी लाभार्थियों की पहचान करने से संभव हुआ है। सरकार का मानना है कि वे लोग ही निजता के नाम पर आधार का विरोध कर रहे हैं जिनके आर्थिक हितों पर अंधकार की वजह से कुठाराघात हुआ है।

इनसे हुआ गरीबों को लाभ
सरकार के प्रचार अभियान में उज्ज्वला योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों को मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन और पहला सिलेंडर देना, उजाला योजना के तहत मुफ्त एलईडी बल्ब बांटना, सौभाग्य योजना के तहत हर घर तक बिजली पहुंचाना, इंद्रधनुष योजना के तहत दो साल तक की उम्र के बच्चों को सात बीमारियों से बचने की मुफ्त टीकाकरण और जन धन योजना के तहत सभी के जीरो बैलेंस के बैंक खाते खुलवाना शामिल हैं।

एक साल में दिए साढ़े पांच करोड़ रोजगार!
बीजेपी ने हर साल दो करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था। इसमें असफल रहने का आरोप विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर लगा रहा है। इसकी काट करने के लिए केंद्र सरकार ने नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन (एनएसएसओ) के मापदंड बदल रही है। अब जिन लोगों को सरकार ने अपना रोजगार शुरू करने के लिए तीन साल पहले शुरू हुई मुद्रा योजना के तहत कर्ज उपलब्ध कराया है, उनकी गिनती भी नौकरियों (जॉब्स) में की जाएगी। केवल एक साल (2015-16) के दौरान ही केंद्र सरकार ने 4.53 करोड़ लोगों को 50,000 रुपये का कर्ज उपलब्ध कराया है। इस साल 2.28 करोड़ रुपये का कर्ज स्वीकृत हुआ।

जितना कहा, उतना किया

सरकार का मानना है कि उसने पिछले चार सालों में गरीबों के लिए काम तो बहुत से किए हैं लेकिन फिर भी विपक्ष उसकी छवि गरीब विरोधी बनाने में जुटा है। इसकी मुख्य वजह है सरकार अपनी उपलब्धियों को जनता तक नहीं पहुंचा पाई है। सरकार के साथ ही इन योजनाओं का प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी भारतीय जनता पार्टी के संगठन की भी होगी। इसके लिए कार्यकर्ताओं को पार्टी का 2014 का घोषणापत्र के साथ उपलब्धियों की सूची दी जाएगी। वे गांव-गांव जाकर लोगों को बताएंगे कि पार्टी ने जितने वादे किए थे, उनमें से अधिकतर पूरे कर दिए हैं।

मोदीकेयर होगी गेमचेंजर
बीजेपी नेताओं का मानना है कि हाल ही में पचास करोड़ लोगों के लिए प्रधानमंत्री द्वारा घोषित स्वास्थ्य योजना (मोदीकेयर) का पार्टी को वैसा ही फायदा होगी जैसा 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को रोजगार गारंटी स्कीम (मनरेगा) से हुआ था।

गत सप्ताह लिखे इस पत्र में प्रसाद ने कहा है, रिकॉर्डों से यह पता नहीं चलता है कि आरोप लगाने वाली महिला को अपना मामला रखने का अवसर दिया गया। कर्नाटक हाईकोर्ट की महिला जज अथवा वरिष्ठ महिला न्यायिक अधिकारी ने इसकी जांच की। जैसा कि विशाखा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है। उन्होंने कहा, कनिष्ठ न्याय अधिकारी की ओर से अपने वरिष्ठ अधिकारी पर लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों की इतनी संक्षिप्त पड़ताल, कई गंभीर सवाल खड़े करती है। इस बीच, सूत्रों के अनुसार, सरकार ने जस्टिस चेलमेश्वर के उन आरोपों को भी खारिज कर दिया है, जिनमें कहा गया है कि कार्यपालिका नियुक्तियों को लेकर की गई न्यायिक सिफारिशों को रोक रही है। सरकार भट्ट की पदोन्नति की कॉलेजियम की सिफारिश पर जल्दबाजी में नहीं है।  

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