चीन के बढ़े हुए रक्षा बजट के निशाने पर भारत है या अमेरिका

चीन के बढ़े हुए रक्षा बजट के निशाने पर भारत है या अमेरिका

आने वाले साल के लिए चीन ने अपनी रक्षा बजट की घोषणा कर दी है। वो अपनी मिलिट्री पर 1.11 ट्रिलियन युआन (175 अरब डॉलर) खर्च करने जा रहा है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक चीन अपनी सेना के आधुनिकीकरण पर भारत से तीन गुना ज्यादा खर्च करने जा रहा है। भारत ने अपने ताजा बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए 46 अरब डॉलर रखा है। भारत की तुलना में चीन की ये रकम काफी बड़ी है।चीन के बढ़े हुए रक्षा बजट के निशाने पर भारत है या अमेरिका

रकम कितनी बड़ी है इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि अभी एक युआन की कीमत 10.26 रुपये के बराबर है। चीन ने इस बार पिछले साल के मुकाबले अपना रक्षा बजट आठ फीसदी बढ़ाया है। बीजिंग में चीन की संसद की बैठक के दौरान इसकी घोषणा की गई।

हाल ही में इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रैटेजिक स्टडीज यानी आईआईएसएस के विशेषज्ञों ने कहा था कि अब अमेरिका अपनी सेना का मुकाबला रूस से नहीं बल्कि चीन से करेगा, खासकर समंदर में और हवा में। यानी चीन की नेवी और वायु सेना अमेरिका को टक्कर देने की तैयारी में है।

इसमें कोई शक नहीं कि चीन की सेना पहले भी दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं में शुमार रही है। ऐसा नहीं है कि 1959 से दुनियाभर के देशों में सैन्य तैयारियों पर होने वाले खर्च पर निगरानी रखने वाली संस्था आईआईएसएस के विशेषज्ञों की ही ऐसी राय हो, दूसरे कई जानकारों का भी ऐसा ही मानना है।

विशेषज्ञों का मानना है कि चीनी सेना का आधुनिकीकरण और तकनीकी दक्षता का कोई मुकाबला नहीं है। चीन की सेना की कुछ उपलब्धियों को देखिए- उनकी लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों से लेकर फिफ्थ जेनरेशन के लड़ाकू विमानों तक। चीन का दावा है कि ऐसे 75 फीसदी हथियारों को वो पश्चिमी देशों के मुकाबले आधी कीमत पर बेचता है जिनकी तकनीक पश्चिमी देशों के मुकाबले की ही है।

पिछले साल चीन ने अपना रक्षा बजट सात फीसदी बढ़ा कर 150.5 अरब डॉलर किया था। अमेरिका के बाद रक्षा बजट पर सबसे ज्यादा खर्च करने वाला चीन दूसरा देश है। प्रेक्षकों का कहना है कि चीन दो और विमानवाहक पोत बनाने पर विचार कर रहा है। इसके अलावा नए जेट लड़ाकू विमान और स्टील्थ फाइटर जे-20 को भी शामिल करने पर विचार किया जा रहा है।

रक्षा बजट सकल घरेलू उत्पाद और देश के कुल खर्च का एक छोटा हिस्सा है

चीन का सरकारी मीडिया ये मानता है कि पिछले दो सालों में रक्षा बजट में वृद्धि का सिलसिला जारी है। लेकिन इसके साथ ही रक्षा बजट में इस वृद्धि को जायज ठहराया गया है। नेशनल पीपल्स कांग्रेस के प्रवक्ता झांग येसुई का कहना है कि दूसरे बड़े देशों की तुलना में चीन का रक्षा बजट उसके सकल घरेलू उत्पाद और देश के कुल खर्च का एक छोटा हिस्सा ही है।

प्रधानमंत्री ली कचियांग ने चीन के लिए 6.5 फीसदी विकास दर का भी लक्ष्य रखा है। माना जा रहा है कि नेशनल पीपल्स कांग्रेस इसी मीटिंग में राष्ट्रपति पद के लिए अधिकतम दो कार्यकाल की सीमा खत्म करने की घोषणा कर सकता है। ऐसा हुआ तो शी जिनपिंग के अनिश्चितकाल काल तक राष्ट्रपति पद पर बने रहने का रास्ता खुल जाएगा। इस कदम की लंबे समय से उम्मीद की जा रही थी।

लेकिन चीन में इस बात को लेकर विवाद भी है। माओ जेडॉन्ग के बाद शी जिनपिंग चीन के सबसे ताकतवर नेता बनने की राह पर हैं। 11 मार्च को नेशनल पीपल्स कांग्रेस की बैठक में इस सिलसिले में औपचारिक प्रस्ताव लाया जा सकता है और इसके सर्वसम्मति से पास होने की उम्मीद की जा रही है। नेशनल पीपल्स कांग्रेस को दुनिया में एक रबरस्टैंप संसद की तरह देखा जाता है जो कम्युनिस्ट पार्टी के प्रस्तावों को मंजूरी देती है।

तकीनीकी रूप से नेशनल पीपल्स कांग्रेस के 3000 प्रतिनिधि चीन के अलग-अलग प्रांतों और क्षेत्रों से निर्वाचित होते हैं लेकिन हकीकत में पार्टी इन्हें चुनती है। 

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