जब एक वैश्या ने कहा ‘साहब भले ही मैं वैश्या हूँ पर विश्वास करें मैं एक देवी की तरह पवित्र हूँ’

जब एक वैश्या ने कहा ‘साहब भले ही मैं वैश्या हूँ पर विश्वास करें मैं एक देवी की तरह पवित्र हूँ’

नई दिल्ली: हमारे भारतीय समाज में चोरी और खून करने वाले लोगों को भी माफी मिल जाती है.  मगर वैश्या को हमारा समाज अपनाने को तैयार ही नहीं होता.  यूं कह लीजिए कि भारतीय समाज में हर अपराध को माफी है मगर वेश्यावृत्ति को बिल्कुल भी माफी नहीं दी जाती.  कोई भी इस बात को समझने को तैयार नहीं होता कि लड़कियां और महिलाएं मजबूरी में इस धंधे को अपनाती है.  उनके गलत काम तो सभी पकड़ लेते हैं मगर उसके पीछे की वजह कोई नहीं समझना चाहता.  परंतु वही लोग यह भूल जाते हैं कि उन्हीं के समाज के पुरुषों की हवस मिटाने के लिए ही मैं उस धंधे में जाती हैं.  केवल यही नहीं बल्कि वेश्यावृति के इस घिनौने धंधे को नेता और अभिनेता लोग चलाते हैं.

शारीरिक संबंध यानी की सेक्स हर शरीर की जरूरत होती है.  भले मर्द हो या औरत शारीरिक संबंध बनाना दोनों की ही एक जरूरत है.  आज हम आपको बताएंगे कि आखिर अपनी चैन की नींद त्यागकर लड़कियों ने इस गलत रास्ते को क्यों चुना आखिर यह उनकी मजबूरी थी या उनकी पैसे पाने की एक ख्वाहिश. आज हम आपको एक ऐसी लड़की के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने इस गंदगी में पैर तो लह लिया लेकिन वह चाह कर भी अपना साफ़ चरित्र सबको शाबित नहीं कर सकी… तो चलिए जानते हैं आखिर ये पूरा मामला क्या था…

इस दुनिया में हर कोई रोटी खाने के लिए और अपनी कुछ जरूरतें पूरी करने के लिए जी रहा है. और महंगाई के इस दौर में पैसे के बिना इन जरूरतों को पूरा करना ना मुमकिन सा है. इसलिए ये कह लीजिये कि पैसा हम सबके लिए सबसे कीमती और जरूरी वस्तु बन चुका है. कुछ लोग अपनी गरीबी और पारिवारिक मजबूरियों से तंग आ जाते हैं और पैसा कमाने के लिए सही और गलत रास्ता दोनों ही चुनने को तयार हो जाते हैं. कुछ ऐसा ही सोचते हुए लडकियाँ और महिलाएं भी कईं बार जिस्मफरोशी के दलदल में फंस जाती है. और एक बार जो लड़की इस गंदगी में कदम रख लेती है, वो सारी उम्र के लिए ही गन्दी लड़की के समान ट्रीट की जाती है. हमारे समाज में बहुत सारी ऐसी भी महिलाएं हैं जिनके बच्चे छोटे हैं और उन्हें वह अपने साथ रख कर ही उनके सामने अजनबियों से सम्बन्ध बना लेती हैं. खुलेआम अपने जिस्म का व्यापार करना उन औरतों के लिए कितना मुश्किल हो सकता है ये सोच कर ही हमारी रूह कांप उठेगी.

आज हम बात कर रहे हैं एक मध्य वर्ग की लड़की सीमा की. जो की हॉस्टल में पढाई पूरी करने के बाद 70 हजार कमाने लग गयी थी. लेकिन एक दिन वह जब वापिस अपनी माँ के गाँव पहुंची तो वहां पहुँच कर उसके होश उड़ गये.

दरअसल सीमा जब अपनी माँ चमेली से मिलने गाँव पहुंची तो वहां एक ऑटो वाले ने सीमा को देख चमेली से पुछा कि “ये धंधे में नई आई है क्या?” ऐसा सुन कर चेली ने कहा कि वह उसकी बेटी है और शहर से पढ़ लिख कर अब यहाँ उससे मिलने आई है. ऐसा सुनकर ड्राईवर ने उसको कहा कि “अपनी बच्ची को यहाँ से दूर ही रख क्यूंकि, यहाँ बहुत सारे ऐसे भेडिये हैं जो उसका जिस्म कुत्तों की तरह नोच खायेंगे”. ऐसा सुन कर सीमा दंग रह गयी कि ये सब ऐसा क्यूँ बोल रहे हैं. सीमा ने रोते हुए अपनी माँ से इसका जवाब माँगा तो उसकी माँ ने उसको बताया कि उसके पिता की मौत के बाद उसके लिए सीमा की पढाई लिखाई और बाकी खर्चे नामुमकिन हो गये थे. जिसके बाद उसने खुद को जिस्म बेचने के लिए राज़ी कर लिया और तब से वह एक वैश्या की जिंदगी जीने को मजबूर हो गयी है.

सीमा अपनी माँ चमेली के साथ हुए उसके चाचा के दुर्विव्हार और बाकियों के चमेली को ठुकराने के बारे में जान कर सहम उठी और उसको अपनी माँ पर गर्व महसूस होने लग गया. सीमा ने माँ को भरोसा दिलवाया कि अब उसको ये सब करने की जरूरत नहीं रही क्यूंकि, अब वह इतनी काबिल बन चुकी है कि अच्छे से उसका पालण पोषण कर सकती है. साथ ही उसने बताया कि वह एक लड़के से बहुत प्यार करती है और जल्द ही दोनों शादी करने वाले हैं. ये सुन कर सीमा की माँ चमेली ख़ुशी से झूम उठी. लेकिन भगवान को कुछ आर ही मंजूर था. जब सीमा के प्रेमी को उसकी माँ की सच्चाई पता चली तो उसने रिश्ता तोड़ दिया. लेकिन, कहीं ना कहीं सीमा को विश्वास था कि उसका प्रेमी वापिस लौट आएगा.

शाम को दोनों माँ बेटी जब चाय पी रहे थे तो सीमा के प्रेमी विजय का कॉल आ गया. जिसके बाद दोनों माँ बेटी की आँखों में उम्मीद की एक किरण जाग उठी. लेकिन, वह नही जानती थी कि यह फोन उनकी सभी खुशियाँ उनसे छीन लेगा. दरअसल विजय ने फोन पर कहा कि “सीमा मुझे तुम्हारा खानदानी पेशा पता चल गया है. तुम एक वैश्या की पैदाईश हो और खुद भी एक वैश्या ही हो. इसलिए मैं तुमसे शादी कभी नहीं कर सकता”. ऐसा सुन कर सीमा टूट कर बिखर गयी और मन ही मन खुद से कहने लगी कि हाँ मैं एक वैश्या हूँ, “हाँ मेरी मां वैश्या थी, हाँ मैं वैश्या की बेटी हूँ, लेकिन मैं एक देवी की तरह पवित्र हूं, विश्वास कीजिए मैं अभी तक कुंवारी हूँ.” इतने में चमेली ने देखा की उसकी बेटी बेहोश हो चुकी थी.

जाने हमारे समाज की सोच कब बदलेगी. एक के गुनाह की सज़ा जाने कब तक उसके पूरे परिवार को झेलनी पड़ेगी. हम लोगों को समझदार बनने की जरूरत है क्यूंकि, वैश्या पाप नही है बल्कि, एक मजबूर औरत है जिसकी मदद के लिए हमे आगे बढना चाहिए ना कि उसको लात मारनी चाहिए.

 
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